जीवविज्ञान
Jeev Vigyan
One-Liner Part-2
1.
इण्डोल ऐसीटिक अम्ल ऑक्सीन होता है।
2.
एड्रिनल ग्रन्थि को आपातकालीन ग्रन्थि भी कहते है।
3.
सोमैटोट्रॉफिक हार्मोन पीयूष ग्रन्थि द्वारा स्रावित होते है।
4.
सटेस्टोस्टिरोन हार्मोन वृषण ग्रन्थि द्वारा स्रावित होता है।
5.
एस्ट्रोजन हार्मोन डिम्ब ग्रन्थि द्वारा स्रावित होता है।
6.
थायराक्सीन ग्रन्थि थायराइड ग्रन्थि द्वारा स्रावित होता है।
7.
मानव भ्रूण हदय अपने परिवर्धन के चतुर्थ सप्ताह में स्पन्दन करने लगता है।
8.
परखनली शिशु का परिवर्धन परखनली के अन्दर ही होता है।
9.
खुजलाने से खाज मिटती है क्योंकि इससे कुछ तंत्रिकाऐं उददीप्त होती है जो
मस्तिष्क को प्रतिहिस्टामिनी रसायनों का उत्पादन बढाने का निर्देश देती है।
10.
मनुष्य के आँख में प्रकाश तरंगें अक्ष पटल पर स्नायु उद्वेगों में परिवर्तित
होती हैं।
11.
जन्तु विज्ञान में जीवित व मृत जानवरों का अध्ययन करते है।
12.
दृष्टि पटल (रेटिना) पर जो चित्र बनता है वह वस्तु से छोटा व उल्टा होता है।
13.
मनुष्य आर्द्रता व गर्मी में परेानी महसूस करता है। इसका कारण है कि पसीना
आर्द्रता के कारण वाष्पित नही होता हैं।
14.
पोलियो का टीका सबसे पहले जान साल्क ने तैयार किया था
15.
अस्थियों का अध्ययन विज्ञान ऑस्टियोलोजी शाखा के अन्तर्गत किया जाता है।
16.
जीन अणुओं की सरंचना को सबसे पहले डा जेम्स वाटसन और डा फ्रांसिस क्रिक
द्वारा रेखांकित किया गया था।
17.
मनुष्य के शरीर में पसलियों के 12 जोड़े होते हैं।
18.
पोषक घोल में सूक्ष्म पादप अंशो को विकसित करना ऊतक संवर्धन कहलाता है।
19.
मनुष्य के मस्तिष्क के जिस भाग में स्मृति रहती है उसे प्रमस्तिष्क
प्रान्तस्था (कॉर्टेक्स) कहते हैं।
20.
मानव प्रतिरक्षा हीनता विषाणु (एच0 आई0 वी0) एक जीवधारी है क्योंकि यह स्वतः प्रजनन कर सकता है।
21.
विकास का सिद्धान्त चार्ल्स डार्विन द्वारा प्रतिपादित किया गया था।
22.
मानवशरीर में सबसे लम्बी हड्डी ऊरू (जाँघ) की होती है।
23.
जैव विकास के सन्दर्भ में साँपों में अंगों का उपयोग तथा अनुपयोग किये जाने
से अंगो के लोप होने को स्पष्ट किया जाता है।
24.
क्लोन अलैंगिक विधि से उत्पन्न किया जाता है।
25.
श्वसन क्रिया में वायु के नाइट्रोजन घटक की मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं
होता है।
26.
डायनासोर मेसोजोइक सरीसृप प्रजाति में आते थे।
27.
जीव समुदाय द्वारा सौर ऊर्जा का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है।
28.
नेत्रदान में दाता की आँख का कार्निया नामक भाग उपयोग में लाया जाता है।
29.
सील स्तनपायी जाति है।
30.
एजोला को जैव उर्वरक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
31.
मानवशरीर में प्रेलैटिकन हार्मोन का निर्माण अण्डाशय में होता है।
32.
ऐसे अंग जो विभिन्न कार्यो में उपयोग होने के कारण काी एसमान हो सकते है
लेकिन उनकी मूल संरचना एवं भ्रूणीय प्रक्रिया में समानता होती है, समजात अंग कहलाते है।
33.
भोजन के लिए विभिन्न जीव एक-दूसरे पर आश्रित रहते है।इस
प्रकार एक शृंखला का निर्माण होता है इस शृंखला के प्रारम्भ में हरे पौधे होते
हैं।
34.
केंचुए के कोई नेत्र नही होता है।
35.
अमीबियेसिस से आमावतसार रोग होता है।
36.
हमारे शरीर की मस्तिष्क कोशिकाओं में सबसे कम पुनर्योजी शक्ति होती है।
37.
हमारे छोड़ी हुयी सांस की हवा में कार्बनडाइआक्साइड की मात्रा 4 प्रतिशत होती हैै।
38.
शुतुरमुर्ग आकार में सबसे बड़ा पक्षी होता है।
39.
एड्स वायरस एक सूची आर0एन0ए0 होता है।
40.
पात्र निषेचन और फिर गर्भाशय में प्रतिराशण करने के बाद उत्पन्न शिशु कोे 'टेस्ट ट्यूब बेबी' कहते है।
41.
सर्वाधिक प्रकाश संश्लेषित क्रियाकलाप प्रकाश के नीले व लाल क्षेत्र में
चलता है।
42.
प्रकाश संश्लेषण के दौरान पैदा होने वाली आक्सीजन का स्त्रोत जल होता है।
43.
किसी वृक्ष को अधिकतम हानि उसकी छाल का नाश करके पहुचती है ।
44.
पपक्षियों में प्रायः एक ही वृषण होता है।
45.
एल्फल्फा एक प्रकार की घास का नाम है।
46.
वायुगुहिका की उपस्थिति जल पादप के अनुकूलन होती है।
47.
प्रकाश संश्लेषण केवल दृश्य वर्णो में ही होता है । प्रकाश संश्लेषण
प्रक्रिया में जल, प्रकाश, क्लोरोफिल तथा कार्बनडाइआक्साइड की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट का निर्माण
होता है।
48.
प्रोटोजोआ वर्ग के जीव जल्दी प्रजनन करते है।
49.
मरूस्थलीय क्षेत्र में उगने वाली वनस्पतियों को जीरोफाइट कहते हैं।
50.
अधिक आर्द्रता वाले क्षेत्रों या दलदली क्षेत्र की वनस्पतियां हाइग्रोफाइट
के अन्तर्गत आती हैं।
51.
नमकीन क्षेत्र में होने वाली वनस्पतियों को हैलोफाइट कहते है।
52.
पारिस्थितिकी तन्त्र की खाद्य शृंखला का सही अनुक्रम पादप-शाकाहारी-मांसाहारी-अपघटक है।
53.
पौधे का पत्ती वाला भाग श्वसन करता है।
54.
केला और नारियल एकबीजपत्री फल हैं।
55.
सिनकोना पौधे के तने की छाल से कुनैन प्राप्त की जाती है।
56.
बीज के अंकुरण में महत्वपूर्ण कारणों में प्रमुखतः हवा नमी एवं उपयुक्त ताप
होते है। सूर्य का प्रकाश नही होता है।
57.
यीस्ट और मशरूम फफूँद (फंजाई) होते है।
58.
कीटों के वैज्ञानिक अध्ययन को एन्टोमोलॉजी कहते हैं।
59.
फल विज्ञान के अध्ययन को पोमोलॉजी कहते है।
60.
पुष्प विज्ञान के अध्ययन को फ्लोरीकल्चर कहते हैं।
61.
सब्जी विज्ञान के अध्ययन को ओलेरीकल्चर कहते है।
62.
आँख का वह भाग जिसमें वर्णांक होल होता है तथा जो किसी व्यक्ति की आँखों का
रंग निश्चित करता है, उसे आइरिस भाग कहते हैं।
63.
अमोनिया को नाइट्रेट में बदलने में नाइट्रोसोमोनास भूमिका निभाता है।
64.
जीनोम चित्रण का सम्बन्ध जीन्स के चित्रण से है।
65.
पंतगा बारूदी सुरंगो का पता लगाने में उपयोगी होते हैं।
66.
एजोला नीलहरित शैवाल एवं एल्फाल्फा जैव उर्वरक के रूप प्रयोग होते है।
67.
गिरगिट एक आंख से आगे की ओर तथा उसी समय दूसरी आंख से पीछे की ओर देख सकता
है।
68.
कृषि की वह शाखा जो पालतु पशुओं के चारे, आश्रय, स्वास्थ्य तथा प्रजनन से सम्बधित होती है उसे पशुपालन (एनीमल हस्बेन्ड्री) कहते है।
69.
जेरेन्टोलॉजी वृद्ध अवस्था के अध्ययन को कहा जाता है।
70.
जनसंख्या एवं मानव जाति के महत्वपूर्ण आंकड़ों के अध्ययन को जनांकिकी कहते
है।
71.
जलीय पौधे को हाइड्रोफाइट कहते है।
72.
हरे फलों को कृत्रिम रूप से पकाने हेतु एसीटिलीन गैस का प्रयोग करते है।
73.
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में प्रकाश ऊर्जा , रासायनिक ऊर्जा में
परिवर्तित होती है ।
74.
वृक्ष की आयु का वर्षों में निर्धारण उसमें उपस्थित वार्षिक वलयों की संख्या
के आधार पर किया जाता है।
75.
सिनकोना की छाल से प्राप्त औषधि को मलेरिया के उपचार के लिए प्रयोग किया
जाता है। जिस कृत्रिम औषधि ने इस प्राकृतिक औषधि के प्रतिस्थापित किया वह
क्लोरोक्विन है।
76.
मृदा को नाइट्रोजन से भरपूर करने वाली फसल मटर की फसल है।
77.
यदि जल का प्रदूषण वर्तमान गति से होता रहा तो अन्ततः जल पादपों के लिए
ऑक्सीजन के अणु अप्राप्य हो जायेगें ।
78.
घोंसला बनाने वाला एक मात्र सर्प नागराज (किंग कोबरा) है।
79.
नदियों में जल प्रदूशण की माप ऑक्सीजन की घुली हुई मात्रा से की जाती है।
80.
शिशु का पितृत्व स्थापित करने के लिए डीएनए फिंगर प्रिंटिग तकनीक का प्रयोग
किया जा सकता हैं।
81.
भारतीय किसान टर्मिनेट बीज प्रौधोगिकी के प्रवेष से असंतुष्ट हैं क्योकि इस
प्रौद्योगिकी से उत्पादित बीजों से अंकुरणक्षम बीज बनाने में असमर्थ पौधों के उगने
की सम्भावना होती है।
82.
मछली के मांस में बहुअसंतृप्त वसा अम्ल होते है। इसलिए इसका उपभोग अन्य
पशुओं के मांस की तुलना में स्वास्थ्यकर माना जाता है।
83.
जीवाणु , सूक्ष्म शैवाल और कवक
उद्योगों में सर्वाधिक व्यापक रूप से उपयोग में आता है।
84.
प्याज की खेती पौध का प्रतिरोपण करके की जाती है।
85.
ऑक्टोपस एक मृदुकवची (मोल्यूज) है।
86.
इफेड्रिन एक औषधि है जिसका उपयोग अस्थमा रोग में होता है इसे जिम्नोस्पर्म
से निकाला जाता है।
87.
चावल की फसल के लिए नीलहरित शैवाल अच्छे जैव उर्वरक का कार्य करता है।
88.
रेशम का कीडा अपने जीवन चक्र के कोशित चरण में वाणिज्यिक तन्तु पैदा करता
है।
89.
रक्त ग्लूकोज स्तर सामान्यतः भाग प्रति मिलियन (ppm) में व्यक्त किया जाता है।
90.
लम्बे समय तक कठोर शारीरिक कार्य के पश्चात् मांसपेसियों में थकान अनुभव
होने का कारण ग्लूकोज का अवक्षय होना है।
91.
नीम के वृक्ष ने जैव उर्वरक , जैव किटनाशी एवं
प्रजननरोधी यौगिक स्त्रोत के रूप में महत्व प्राप्त कर लिया है।
92.
नियासीन (बी5), राइबोफ्लेविन(बी2), थायमीन(बी1) एवं पिरीडाक्सीन सभी
विटामिन जल में विलेय है।
93.
उदर के लगा हुआ मानव आंत का लघु ऊपरी भाग गृहणी (ड्यूओडिनम) कहलाता है।
94.
लोहा एन्जाइम्स को सक्रिय करता है, मैग्निशियम वसा का
संष्लेशण करती है, क्लोरीन प्रकाश संश्लेशण में
इलेक्ट्रानों का स्थानान्तरण करती है, नाइट्रोजन प्रोटीन का संश्लेषण
करती है।
95.
सर्वप्रथम हार्वे ने रक्त परिसंचरण का सिद्धान्त प्रतिपादित किया था उसके
बाद डार्विन का विकास सिद्धान्त प्रतिपादित हुआ था उसके बाद मेंडल का वंशागति का
नियम प्रतिपादित हुआ था एवं तत्पश्चात डी ब्रीज का उत्परिवर्तन का सिद्धान्त
प्रतिपादित हुआ।
96.
एक वयस्क मनुष्य के प्रत्येक जबडे में 16 दाँत पाये जाते है।
प्रत्येक जबड़े मे दाँतों का विन्यास - एक कैनाइन, दो प्रीमोलर, दो इन्सीजर एवं तीन मोलर होता
है।
97.
डार्विन का सिद्धान्त ‘आरिजिन ऑफ स्पीशीज‘ की व्याख्या का सही अनुक्रम
अतिउत्पादन - विभिन्नताऐं- अस्तित्व के लिए संघर्ष - योग्यतम की उत्तरजीविता
है।
98.
यदि किसी द्विबीजपत्री जड को तिरछी दिशा में काटें तो उसकी आन्तरिक संरचना
में बाहर से अन्दर की ओर जो भी भाग पाये जाते है, अन्दर की ओर पाये जाने
वाले भाग क्रमषः इपिडर्मिस - कार्टेक्स - पेरीसाइकिल - वेस्कुल बण्डल होता है।
99.
मनुष्य को विटामिन्स की जरूरत क्रमशः विटामिन के - विटामिन ई - विटामिन डी - विटामिन ए आरोही क्रम (बढ़ते हुए क्रम) में होती है
100.
ऊँट का औसत जीवन काल 30 वर्ष , बिल्ली का औसत जीवन वर्ष 21 वर्ष , गाय का 16 वर्ष , घोडे का 62 वर्ष होता है।
101.
सूक्ष्म एवं बड़े दोनो प्रकार के जीवों मे होने वाली प्रक्रिया अवायुवीय
श्वसन कहलाती है, केवल सूक्ष्म जीवों मे होने वाली
क्रिया किण्वन कहलाती है।
102.
पत्तियों की निचली सतह स्थित रन्ध्रों द्वारा पौधो में सम्पन्न होने वाली
क्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है।
103.
मानव शरीर के ऊतकों में ऑक्सीजन का परिसंचरण क्रमशः फेंफडें, रक्त, ऊतक क्रम में होता है।
104.
एक पुष्प कुछ किस्म के कीटों को नियमित तौर पर आकर्षित करता है जिससे पौधे
को विकासीय लाभ प्राप्त होता है। इसका कारण है कि कीटों की कुछ प्रजातियां फूलों
को खाती है एवं इससे पौधे की अन्य प्रजातियों के पराग प्राप्त होते हैं।
105.
क्रायोजनिक्स का उपयोग मज्जा कोशिकाओं को संरक्षित रखने में , अत्यन्त कम रक्त बहाये ऑपरेशन में, एवं खाद्य पदार्थ के
संरक्षण में किया जा सकता है।
106.
लैमार्क ने उपार्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धान्त प्रतिपादित किया था ।
107.
पौधो को बिना मिट्टी का उपयोग किये एवं बिना जल का उपयोग किये विकसित करने
की तकनीक को हाइड्रोपोनिक्स कहते है।
108.
त्वचा का रंग निर्धारित करने वाला वर्णक मैलेनिन पराबैगनी प्रकाश के लिए
अपारदर्शक होता है।
109.
एकबीजपत्री पौधों की पत्तियां संकरी होती है जबकि द्विबीजपत्री पौधो की
पत्तियां चौड़ी होती हैं।
110.
जब दो जीव एक साथ रहते हैं किन्तु इस प्रक्रिया में केवल एक जीव को लाभ होता
है तो इस स्थिति को परजीविता कहते हैं।
111.
मानव का हदय नाशपाती के आकार का पेशीय अंग है। यह उदर गुहा के बायें भाग में
स्थित होता है। यह दोनों फेफडों के मध्य में स्थित होता है। यह एक थैलीनुमा संरचना
में बन्द होता है जिसे पेरीकार्डियम कहते है।
112.
रसाकुंचन ग्लूकोज के अणुओं को छोटे अणुओं में विखण्डित कर देती है एवं
एडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट की छोटी मात्रा उत्पन्न करती है।
113.
अग्नाशय मानव शरीर का दूसरा सबसे बडा ग्रन्थि युक्त अंग है एवं यह
अन्तःस्रावी एवं बहिस्रावी दोनों प्रकार की ग्रन्थि है।
114.
लाइसोसोम प्रोटीन संश्लेषण के स्थल है एवं इन्हे आत्मघाती थैली के नाम से
जाना जाता है।
115.
इम्नियोसेंटेसिस गर्भाशय के अन्दर बढ रहे बच्चे से रक्त का नमूना लेने की प्रक्रिया
है एवं यह गर्भधारण के 16 वें सप्ताह में किया जाता
है। इससे गर्भस्थ शिशु में किसी प्रकार की विकृति का पता चल जाता है।
116.
अण्डे में काफी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। प्रोटीन के साथ-साथ अण्डे में विटामिन बी12, लोहा एवं फॉस्फोरस भी पाये जाते
है।
117.
इरिथ्रोसाइट्स, फफॅूद एवं वायरस कोशिका
सिद्धान्ततः भिन्न होते हैं।
118.
मेंढक वयस्क होने पर ही फेफड़ों द्वारा सांस लेते है जबकि सरीसृप जन्म से ही
फेंफडों द्वारा सांस लेते है।
119.
फाइलेरिया कृमि, नहरूआ (गिनी कृमि) , अंकुशकृमि(हुकवर्म) एवं पिनकृमि आदि सभी सूत्र कृमि
है।
120.
मानव शरीर में थायराइड ग्रन्थि की कुसंक्रिया के कारण मिक्सीडीमा होता है।
121.
यकृतशोथ - बी (हिपेटाइटिस बी) जो यकृत को प्रभावित करता है
वास्तव में एक विषाणु (वायरस) होता है।
122.
वनस्पति जगत में सबसे बडा बीजाण्डा, सबसे बड़े नर व मादा
युग्मक व सबसे बडा वृक्ष अनावृत बीजीयों में पाया जाता है।
123.
सिथलिस, ट्रिपोनिमापैलिडम द्वारा फैलता
है।
124.
किसी पौधे की शीर्षस्थ कलिका को काटने का परिणामस्वरूप पार्श्व शाखाओं की
वृद्धि होती है।
125.
अन्तः प्रद्रव्यी जालिका कोशिका अंगक प्रोटीन के ग्लाइकोसाइलेसन से
सम्बन्धित होती है।
126.
सी0 वी0 फ्रीश ने मधुमक्खियों की भाषा खोजी थी।
127.
लाइसोसोम जल अपघटक इन्जाइमों का भण्डार है । जलीय अपघटक विकारों के कारण ही
इसे आत्मघाती थैली कहते हैं।
128.
पृथ्वी पर प्रथम जीवधारी रसायन प्रपोषित थे।
129.
मानव के स्वच्छ मण्डल कार्निया में रक्त का संचरण नहीं होता है।
130.
जीवधारियों की विविधता का कारण उत्परिवर्तन है।
131.
जीर्णता के लिए एब्सिसिक अम्ल हार्मोन उत्तरदायी है।
132.
फलों को गिरने से एन0ए0ए0 रोकता है।
133.
एल0एस0डी0 एक विभ्रमक (हेलूसिनोजेनिक) है।
134.
आमतौर पर बातचीत की दौरान ध्वनि की तीव्रता 40 से 60 डेसिबल होती है।
135.
पौधे की खेती के लिए मिट्टी की सबसे अनुकूल पी0एच0 6.5 से 7.5 है।
136.
मच्छरों के लार्वा को चुन चुन के खाने वाली मछली रोहू मछली है।
137.
चन्द्रमा पर जीवन न होने का कारण ऑक्सीजन की अनुपस्थिति है।
138.
अब तक खोजे गये जीवाश्मों के अनुसार मावन की उत्पत्ति और विकास का प्रारम्भ
अफ्रीका से हुआ है।
139.
यदि स्तनधारियों की वृक्क नलिका में हेनले लूप होती तो मूत्र अधिक पतला हो
जाता।
140.
लम्बे उपवास के दौरान शरीर द्वारा कार्बन पदार्थ का उपयोग निम्न क्रम में
होगा : पहले कार्बोहाइड्रेट - वसा - प्रोटीन होता है।
141.
किसी जाति की उत्पत्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण जननात्मक पृथक्करण है।
142.
चावल की खेती में हरी घास की खाद की भाँति इस्तेमाल होने वाली जलीय फर्न
अजोला है।
143.
केले का खाने योग्य भाग मध्यफल, भित्ती तथा अल्पविकसित अन्तःफल
भित्ती होता है।
144.
खजूर का खाने योग्य भाग फलभित्ति होती है।
145.
कृत्रिम पेसमेकर के रोपण का केन्द्र साइयनुएट्रियलनोड होगा।
146.
मानव प्रदूषित वायु में श्वसन करने पर कार्बनमोनोआक्साइड की अत्यधिक मात्रा
श्वास के साथ चली जाती है जिससे रूधिर में कार्बोक्सी हीमोग्लोबीन की मात्रा बढ
जाती है।
147.
कुंजीशिला जाति एक ऐसी जाति है जो समुदाय के कुल जैव भार का सूक्ष्म भाग है
परन्तु समुदाय के संगठन एवं उत्तरजीविता को अत्यधिक प्रभावित करती है।
148.
यूरिकोटेलिज्म पक्षियों, सरीसृपो एवं कीटों में पायी जाती
है।
149.
आजकल जन्तु कोशिका संवर्धन तकनीक का सर्वाधिक उपयोग वैक्सीन निर्माण में
होता है।
150.
मिथाइल आइसोसायनेट, जल से क्रिया कर विषैली गैस
बनाता है।
151.
संसार की सबसे हल्की गर्म और महंगी शहतूश का स्रोत चीरू है।
152.
गुणसूत्रों पर जीनों का स्थान सुनिश्चित करने की प्रक्रिया आनुवांशिक नक्शा
कहलाती है।
153.
पादप विविधता को संरक्षित करने के लिए जैव मण्डल संरक्षण का उपयोग अधिक
प्रभावीशाली होता है।
154.
लिंग गुणसूत्र, अलिंगी गुणसूत्रों एवं माइटोकोन्ड्रिया
से प्राप्त डी0एन0ए0 से प्रमाणित होता है कि
मनुष्य चिम्पेंजी से अन्य होमीनॉइड कपियों की तुलना में अधिक समानता रखता है।
155.
मासिक चक्र के दौरान महिलाओं में अण्ड निर्माण सामान्यतः क्रम प्रसारी
प्रावस्था के अन्त में होती है।
156.
मनुष्य के वेगस तन्त्रिका में क्षति सामान्यतः जीव्हा की गति को प्रभावित
नहीं करेगी ।
157.
कैंसर कोशिकाएँ विकिरणों (रेडिएशन्स) द्वारा सामान्य कोशिकाओं की तुलना में जल्दी नष्ट हो जाती है क्योकि इनमें
कोशिका विभाजन तीव्र गति से होता है।
158.
स्तनधारिओं के शरीर का एक विशिष्ट लक्षण डायफ्राम की उपस्थिति है।
159.
लेटराइट मिटटी में एल्यूमिनियम तत्व पाया जाता है।
160.
टेरारोजा मिटटी गुलाब सर्वाधिक उपयुक्त होती है।
161.
चिरनोजेम्स मिटटी संसार की सबसे घनी मिट्टी है
162.
पेट्रोल में 5 प्रतिशत एल्कोहल मिलाने की
अनुमति भारत सरकार द्वारा दी गयी है।
163.
इलेक्ट्रान स्पिन रेजोनेन्स (ई0एस0आर0) और जीवाश्मीय डी0एन0ए0, जैव विकास के काल निर्धारण की नयी तकनीक है।
164.
बाहय केन्द्रकीय अनुवांशिकता माइटोकोण्ड्रिया तथा हरितलवक में उपस्थित जीनों
का परिणाम है।
165.
मेढक के लारवा (टेडपोल) में गिल्स में की उपस्थिति इंगित करती है कि मेढक गिल्सयुक्त पूर्वजों से विकसित
हुआ है।
166.
ओपेरिन के अनुसार ऑक्सीजन पृथ्वी के आदि वायुमण्डल में उपस्थित नही थी।
167.
मानव का घनिष्टतम सम्बन्धी चिम्पैन्जी है।
168.
ऐग्रोबैक्टीरियम ट्यूमिफेशियन्स जीवाणु का पौधे में आनुवांशिक इन्जीनियरिंग
में उपयोग किया जाता है।
169.
कॉपर-टी का कार्य ब्लास्टोसिस्ट के आरोपण को रोकना है।
170.
अधिक नमक वाले अचार में जीवाणु मर जाते है क्योंकि ये जीव द्रव्यकुंचित हो
जाते है, और इस तरह मर जाते है।
171.
वृक्कों द्वारा रूधिर के संगठन के नियन्त्रण को सन्तुलित करने की क्रिया
होम्योस्टेसिस कहलाती है।
172.
पक्षियो में यूरिक अम्ल द्वारा उत्सर्जन शरीर के जल के संरक्षण के लिए सहायक
होता है।
173.
स्तनधारियों में मुख्य उत्सर्जी पदार्थ यूरिया होता है।
174.
मनुष्य तथा स्तनियों में यूरिया का निर्माण यकृत में होता है।
175.
मूत्र को रखने पर उसमें से तीखी गन्ध आती है।इसका कारण है कि यूरिया का
जीवाणु द्वारा अमोनिया में बदला जाना ।
176.
वृक्कों के अतिरिक्त उत्सर्जन में यकृत भी सहायक होता है।
177.
वेसोप्रेसिन मूत्र के सान्द्रण से सम्बधित है।
178.
कोशिका झिल्ली प्रोटीन एवं लिपिड की बनी होती है।
179.
माइटोकोण्ड्रिया, कोशिका का शक्ति केन्द होता है।
180.
मूलाग्र की एक कोशिका से 256 कोशिकाएं बनने में 8 बार समसूत्री विभाजन होता है।
181.
अर्धसूत्रण के विभाजन के फलस्वरूप बनी संतति कोशिकाएं मातृकोशिकाओं से भिन्न
होती है क्योकि अर्धसूत्री विभाजन क्रिया के दौरान जीनविनिमय होता है।
182.
गुणसूत्र की संरचना में डी0एन0ए0 व प्रोटीन भाग लेते है।
183.
माइटोकोण्ड्रिया के अन्तःवलन क्रिस्टी कहलाते है।
184.
केन्द्रिका में क्रमशः प्रोटीन, आर0एन0ए0 व डी0एन0ए0 का अनुपात 85 प्रतिशत , 10 प्रतिशत व 5 प्रतिशत हेता है।
185.
जन्तु कोशिका में सेल्यूलोज नही पाया जाता है।
186.
जैव संगठन का सही क्रम, कोशिकाएँ - ऊतक - अंग - अंगतन्त्र - जीव, है।
187.
प्रोकैरियोटिक कोशिका, यूकैरियोटिक कोशिका से भिन्न
होती है क्योंकि माइटोकोण्ड्रिया तथा गॉल्जीकाय अनुपस्थित हैं एवं केन्द्रक पर
आवरण नही होता।
188.
इंफ्लुएंजा विषाणु, क्लोरेला एवं यीस्ट
प्रोकैरियोटिक नहीं हैं।
189.
तेल प्रदुषण को समाप्त करने के लिए सुपरबग आनन्द चक्रवर्ती ने तैयार किया
है।
190.
डी0एन0ए0 फिंगर प्रिंटिग के लिए भारत में विश्व प्रसिद्व विषेशज्ञ डॉ0 लालजी सिंह हैं।
191.
क्लोनिंग द्वारा डॉली नाम भेड़ को डॉ0 विल्मट ने तैयार किया, वे इंग्लैण्ड के वैज्ञानिक हैं।
192.
भारत में एन0डी0आर0आई0 करनाल के वैज्ञानिकों ने
क्लोनिंग द्वारा भैंस विकसित किया ।
193.
दो भिन्न-भिन्न प्रकार के डी0एन0ए0 अणुओं का निर्माण संयुक्त करके पुनर्योगज (रीकॉम्बीनैण्ट) डी0एन0ए0 का सर्वप्रथम निर्माण पॉल बर्ग ने सन् 1972 में किया ।
194.
जैव तकनीक द्वारा निर्मित इंन्सुलिन सबसे पहले बाजार में 1982 में पहुँची ।
195.
भारत के जैव प्रोधोगिकी विभाग द्वारा स्थापित संस्थान आई0सी0ए0आर0 है।
196.
पशुओं मे सबसे अधिक प्रजनन क्षमता सूअरों की होती है।
197.
राष्ट्रीय जैव उर्वरक विकास केन्द्र गाजियाबाद में स्थित है।
198.
भारत में जीन इन्जीनियरी द्वारा तम्बाकू की कीटरोधी किस्में तैयार की गयी
है।
199.
कोलॉइडल घोल जीवद्रव्य हेता है।
200.
लाइसोसोम्सू पाचन केन्द्र है।
201.
ए0टी0पी0 का निर्माण माइटोकोण्ड्रिया में होता है।
202.
अर्धसूत्री विभाजन तरूण पुष्प कलिकाओं में पाया जाता है।
203.
भेड़ की चोकला नस्ल से राजस्थान में सर्वोत्तम ऊन मिलती है।
204.
गाय /बैलों की वे नस्लें जिनकी गाय
अच्छी मात्रा में दूध देती है परन्तु बैल कम शक्तिषाली होते है, 'मिल्क ब्रीड' कहलाती हैं।
205.
यदि पौधे को अंधेरे में उगाया जाय तो वह लम्बा हो जाता है क्योकि उसमें
ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है।
206.
बी0एम0आर0 का अभिप्राय 'बेसिक मेटाबोलिक रेट' है।
207.
बोटुलिज्म एक प्रकार का भोजन दूषण है जो क्लोस्ट्रिडियम जीवाणु द्वारा होता
है।
208.
व्यापारिक कार्क फ्लोएम से प्राप्त होती है।
209.
नरियल अधिकांशतया समुद्र के किनारें के प्रदेशों में व्यापक रूप से पाया
जाता है क्योंकि इसके फल जल पर तैरते हैं।
210.
नारियल का फल ड्रूप होता है।
211.
अर्धसूत्री विभाजन में दो विभाजन होते हैं, एक न्यूनकारी विभाजन तथा
एक सूत्री विभाजन ।
212.
माता-पिता के गुण सन्तान में गुणसूत्र द्वारा स्थानान्तरित होते हैं।
213.
जीन डी0एन0ए0 के बने होते हैं।
214.
जब गुणसूत्रों के बिना विभाजन के कोशिका में विभाजन होता है तो उसे असूत्री
विभाजन कहते हैं।
215.
बैक्टीरिया में माइटोकोण्ड्रिया एवं केन्द्रक नहीं होते ।
216.
समतापी प्राणियों में ताप का नियमन करने वाला मस्तिष्क केन्द्र हाइपोथैलमस
है।
217.
आज्ञा का पालन करना प्रतिवर्ती क्रिया का उदाहरण नही है।
218.
मनुष्य में मेरू तन्त्रिकाओं की संख्या 31 युग्म है।
219.
हमारी जीभ पर स्वाद कलिकाएं , जो खट्टे का ज्ञान कराती है
जीभ के पार्श्व भाग पर पायी जाती हैं।
220.
मस्तिष्क के सबसे बाहर का स्तर ड्यूरामेटर होता है।
221.
मस्तिष्क का जो भाग बुद्वि का भाग कहलाता है, उसे वैज्ञानिक भाषा में
सेरीब्रल हेमीस्फियर कहते हैं।
222.
औद्योगिक प्रक्रमों में जीवधारियों अथवा उसने प्राप्त पदार्थो का उपयोग जैव
प्रौद्योगिकी की श्रेणी में आता है।
223.
हमारे देश में क्लोरेमफेनिकोल प्रतिजैविक का उत्पादन नही होता है , पेनिसिलिन , एम्पिसिलिन एवं
टेट्रासाइक्लीन का प्रयोग होता है।
224.
आनुवांशिकी के अनुसार आर0एच(-) पुरुष और आर0एच0(+) स्त्री विवाह सम्भव है।
225.
उत्परिवर्तन का सिद्धान्त डी व्रीज ने दिया था ।
226.
विकास सिद्धान्त के अनुसार मनुष्य व कपि एक ही पूर्वज से विकसित हुआ।
227.
जीवन का रासायनिक सिद्धान्त ओपेरिन का सिद्धान्त है।
228.
वनस्पतिशास्त्रियों के अनुसार स्थल पर सर्वप्रथम आने वाले पौधे मास तथा उनके
सम्बन्धी पौधे के समान थे ।
229.
मनुष्य में अवशेषी अंग कर्णपल्लव पेशियां हैं।
230.
जीवाश्म जैव विकास की विभिन्न अवस्थाओं का रहस्योद्घाटन करते है।
231.
वनस्पति विज्ञान के जनक थ्रियोफ्रेस्टस थे।
232.
जीव विज्ञान का जनक अरस्तु थे ।
233.
मानव शरीर की संरचना का पता लगाने वाला पहला वैज्ञानिक एंड्रियास विसैलियम
था।
234.
वृक्क प्रत्यारोपण में भाई या अत्यधिक निकट सम्बन्धी का वृक्क ही लिया जाता
है, क्योकि दोनों के वृक्को का अनुवांशिक संगठन एक जैसा होता है।
235.
मानव एक मिनट में 16 से 18 बार सांस लेता हैं
236.
स्तनी प्राणियों में डायाफ्राम का सबसे महत्वपूर्ण कार्य श्वसन विधि में
सहायता करना है।
237.
जब कोई व्यक्ति सांस लेता है तो ऑक्सीजन रूधिर में हीमोग्लोबिन से संयोग
करती है।
238.
श्वसन गुणांक आर0क्यू0 का तात्पर्य उत्पादित
कार्बन डाइ-ऑक्साइड तथा प्रयोग में आई ऑक्सीजन का अनुपात है।
239.
डी0एन0ए0 कुण्डल रचना वाटसन एवं क्रिक ने बतायी थी।
240.
आर0एन0ए0 में डी0एन0ए0 यूरेसिल तत्व के कारण
भिन्नता होती है
241.
जैव प्रौद्योगिकी विभाग विज्ञान एवं प्रौधोगिकी मन्त्रालय के अधीन है।
242.
कृत्रिम निशेचन के लिए सांड के वीर्य को द्रव नाइट्रोजन में संचित करते है।
243.
भ्रूण की जानकारी के लिए सोनोग्राफी विधि सर्वश्रेष्ठ है।
244.
एन0एम0आर0 चुम्बकीय अनुनाद पर आधारित हैं।
245.
जीवन की उत्पत्ति जल में हुई।
246.
मेथेन, हाइड्रोजन, जल तथा अमोनिया ने अमीनो अम्ल का निर्माण किया था, यह स्टैन्ले मिलर ने सिद्ध किया ।
247.
रचना व कार्य दोनों में समान समरूप अंग होते है।
248.
लिंगी गुणसूत्र के छोड़कर अन्य गुणसूत्र ऑटोसोम के नाम से जाने जाते है।
249.
फॉस्फोरस डालने से पौधो के विकास मे सहायता मिलती है।
250.
पर्णहरित का पौधे में सूर्य के प्रकाश को अवशोशित करके शर्करा का भण्डार
करने में प्रयोग किया जाता है।
251.
लाइगेज नामक एन्जाइम का उपयोग डी0एन0ए0 के टुकडों को जोडने के लिए
किया जाता है।
252.
डी0एन0ए0 में शर्करा डीऑक्सीराइबोज में होती है।
253.
ऊतक संवर्धन के दो पाइलट संयन्त्रों की स्थापना नई दिल्ली व पुणे में की गई।
254.
वष्पोत्सर्जन में पत्तियों से पानी वाष्प के रूप में निकलता है।
255.
पेशी में संकुचन कारण मायोसिन व एक्टिन हैं।
256.
काश्ठ का सामान्य नाम द्वितीयक जाइलम है
257.
हदय की धड़कन को नियन्त्रित करने के लिए पेसमेकर इस्तेमाल किया जाता है।
258.
सिनैप्सिस, तन्त्रिका एवं दूसरी तन्त्रिका
के बीच होता है।
259.
अदरक एक तना है जड़ नही, क्योंकि इसमें पर्व व
पर्वसन्धियाँ होती हैं।
260.
प्लाज्मा झिल्ली कोशिका के भीतर तथा बाहर, जल एवं कुछ विलयों के
मार्ग का नियन्त्रण करती है।
261.
फलीदार पादप कृषि में महत्वपूर्ण है क्योकि नाइट्रोजन स्थिर करने वाले
जीवाणु का उनमें साहचर्य होता है।
262.
प्रत्येक गुण सूत्र में कई जीन्स होते है।
263.
फाइब्रिनोजन , रूधिर में विद्यमान व यकृत
में बनता है।
264.
स्पर्श करने पर छुईमुई पौधे की पत्तियाँ मुरझा जाती हैं क्योकि पर्णाधार का
स्फीति दाब बदल जाता है
265.
पौधे नाइट्रोजन को नाइट्राइट के रूप में ग्रहण करते हैं।
266.
गर्भ में बच्चे का लिंग निर्धारण पिता के गुणसूत्रों के द्वारा किया जाता
है।
267.
प्रकाश संष्लेशण प्रक्रिया का प्रथम चरण सूर्य के प्रकाश द्वारा पर्णहरिम का
उत्तेजन हेता है।
268.
जल के अणुओं के लिए कोशिका भित्तियों का आकर्षण बल अधिशोषण कहलाता है।
269.
हमारी जीभ का वह भाग जो मीठा स्वाद बताता है वह अग्रभाग होता है।
270.
भूमि में मैग्नीशियम तथा लोहे की कमी पौधे में हरिमहीनता का कारण है।
271.
केले बीजरहित होते हैं क्योकि ये त्रिगुणित होते है।
272.
वाष्पोर्त्सजन पोटोमीटर से मापा जाता है।
273.
अन्तःशोषण के कारण जल में रखने पर बीज फूल जाते है।
274.
प्रकाश तथा अन्धकार दोनों में केवल हरिमहीन कोशिकाओं में श्वसन होता है।
275.
कार्क के बाहर विलग परत का बनना शरद ऋतु में शाखाओं से पत्तियाँ गिरने का
कारण है।
276.
यदि किसी पुष्प में चमकदार रंग, सुगन्ध तथा मरकन्द होते है, तो कीट परागित होता है।
277.
वाहिनिकाएँ, वाहिकाएँ काष्ठ तन्तु तथा मृदूतक
जाइलम में पाये जाते है।
278.
व्हेल केवल बच्चे देते है।
279.
गर्भाशय में विकसित हो रहे भ्रूण को प्लेसेण्टा द्वारा पोषण मिलता है।
280.
एक निशेचित अण्डे का दो खण्डों में विभाजन हो, तथा दोनों भाग अलग हो जाएँ
तो समान जुडवाँ बच्चे पैदा होते हैं।
281.
वृक्क जब काम करना बन्द कर देता है, तो मनुष्य के रूधिर में से
डायलिसिस द्वारा विषाक्त तत्वों को पृथक किया जाता है।
282.
वृक्कों में मूत्र के निर्माण में केशिका-गुच्छीय फिल्टरन, पुनः अवशोषण तथा नलिका स्रावण क्रिया का क्रम उचित है।
283.
हाइड्रोपेनिक्स बिना मिटटी की खेती से सम्बन्धित है।
284.
एपोमिक्सिस का अर्थ बिना लिंगी जनन हुए भ्रूण का निर्माण है।
285.
अदरक राइजोम है।
286.
हम सेलुलोज को नही पचा सकते है लेकिन गाय पचा सकती है क्योंकि गायों की आहारनली
में ऐसे जीवाणु होते है जो सेलुलोज को पचा सकते है।
287.
किसी जन्तु द्वारा भोजन ग्रहण करने की क्रिया को अन्तर्ग्रहण कहते हैं।
288.
कीटपक्षी पौधे कीडों को खाते है क्योकि वे जिस मिट्टी में उगते है, उसमें नाइट्रोजन की कमी होती है।
289.
अधिपादप (एपीफाइट) ऐसे पौधे है जो केवल आश्रय के लिए अन्य पौधे पर निर्भर करते है।
290.
माइकोप्लाज्मा सबसे सूक्ष्म स्वतन्त्र रूप से रहने वाला जीव है।
291.
हरित लवक, माइटोकोण्ड्रिया, केन्द्रक पादप कोशिका में डी0एन0ए0 होता है।
292.
सीखना व याद रखना सेरीब्रम से सम्बन्धित है।
293.
फीताकृमि अनॉक्सी-श्वसन करता है।
294.
यदि संसार के सभी जीवाणु तथा कवक नष्ट हो जाएँ , तो संसार लाशों तथा सभी
प्रकार के सजीवों के उत्सर्जी पदार्थों से भर जाएगा।
295.
हरित लवक में ग्रेना और स्ट्रोमा पाये जाते हैं।
296.
प्रोकैरियोट वे जीव हैं जिनमें केन्द्रक सुविकसित नहीं होता।
297.
वनस्पति विज्ञान की वह शाखा जिसमें शैवालों का अध्ययन किया जाता है, फाइकोलॉजी कहलाती है।
298.
पालन-पोषण द्वारा मानव जाति की उन्नति का अध्ययन यूथेनिक्स कहलाता है।
299.
मानव खोपड़ी में 22 हड्डियाँ होती हैं।
300.
3-4 वर्ष के बच्चे में चवर्णक दाँत
नहीं होते।
No comments:
Post a Comment