Thursday 25 June 2020

About Bihar districts | बिहार के जिले ( मुख्य जिले ) | Bihar GK in Hindi | Bihar Samanya Gyan Part-1


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बिहार के मुख्य जिले


About Bihar Main districts


Part-1

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1

अररिया जिला

2

अरवल जिला

3

औरंगाबाद जिला

4

कैमुर जिला

5

कटिहार जिला

6

किशनगंज जिला

7

खगड़िया जिला

8

गया जिला

9

गोपालगंज जिला

10

जमुई जिला

11

जहानाबाद जिला

12

दरभंगा जिला

13

नवादा जिला

14

नालंदा जिला

15

पटना जिला

16

पश्चिम चंपारण जिला

17

पूर्णियां जिला

18

पूर्वी चंपारण जिला

19

बक्सर जिला

20

बाँका जिला

21

बेगूसराय जिला

22

भागलपुर जिला

23

भोजपुर जिला

24

मधेपुरा जिला

25

मधुबनी जिला

26

मुंगेर जिला

27

मुजफ्फरपुर जिला

28

रोहतास

29

लखीसराय जिला

30

वैशाली जिला

31

सहरसा जिला

32

समस्तीपुर जिला

33

सारन जिला

34

सीतामढी जिला

35

सीवान जिला

36

सुपौल जिला

37

शिवहर जिला

38

शेखपुरा जिला




Bihar GK In Hindi is useful for Bihar police constable, Bihar Police Exam, Exam preparation application for BPSC - selection of civil servants in Bihar Government jobs



अररिया :

 

अररिया भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त में स्थित एक शहर एवं जिला है।

 

इतिहास- नेपाल की तराई से सटा हुआ यह ज़िला पहले पूर्णिया का हिस्सा था जिसे 1990 में पूर्ण रूप से ज़िला बना दिया गया। यह ज़िला प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु की कर्मभूमि रहा है।

 

जिला मुख्यालय = अररिया

जनसंख्या (2011) =  2811569

विकास दर        = 30.25%

लिंग अनुपात     = 921

साक्षरता             = 53.53

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 2829

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 992

 

 

अरवल :

 

अरवल बिहार का एक जिला है। ये उत्तर में पटना दक्षिण और पूर्व में जहानाबाद एवम पश्चिम में सोन तट से मिलता हैं।

 

जिला मुख्यालय = अरवल

जनसंख्या (2011)          = 700843

विकास दर        = 18.89%

लिंग अनुपात     = 928

साक्षरता             = 67.43

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 4839

घनत्व ( वर्ग किमी)         = 1099

 

 

औरंगाबाद :

 

औरंगाबाद जिला, बिहार, भारत में एक शहर है। यह प्रशासन का जिला केंद्र है और इसकी आबादी 2540073 है इस क्षेत्र के लोग मैगही और हिंदी बोलते हैं। औरंगाबाद भी देव सूर्य मंदिर के लिए प्रसिद्ध है

 

जिला मुख्यालय = औरंगाबाद

जनसंख्या (2011)          = 2540073

विकास दर        = 26.18%

लिंग अनुपात     = 926

साक्षरता             = 70.32

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 3303

घनत्व ( वर्ग किमी)         = 760

 

 

कैमूर :

 

कैमूर भारत प्रांत के बिहार राज्य का एक जिला है। यहां का प्राशासनिक मुख्यालय भभुआ है। पर्वत और कैमूर वन्यजीव अभ्यारण यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से है। इसके अलावा, रामगढ़, दुरौली, चैनपुर, भगवानपुर, भभुआ, बिद्यानाथ और मुंडेश्वरी स्टोन मंदिर आदि भी यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल है। चट्टानों पर हुई चित्रकारी कैमूर की एक बड़ी खोज है। इन चित्रों का सम्बन्ध मैसोलिथिक काल से है। माना जाता है कि यह चित्रकारी 5000 .पू. से 2500 .पू. के समय की है। इनमें से कई चित्र जानवरों के बने हुए हैं।

 

भूगोल

इसका जिला मुख्यालय भभुआ है। कर्मनाशा और दुर्गावटी यहां की दो प्रमुख नदियां है। ऐतिहासिक द़ष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। कैमूर जिला बिहार के बक्सर जिला एवं उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिला के उत्तर, झारखंड के गढ़वा जिले के दक्षिण, उत्तर प्रदेश के चन्दौली एवं मिर्जापुर जिले के पश्चिम और बिहार के रोहतास जिले के पूर्व से घिरा हुआ है। पुर्व में यह रोहतास जिला का अंग था।

 

इतिहास

कैमूर का इतिहास काफी प्राचीन और रूचिकर है। यह जिला छठी शताब्दी .पू. से पांचवी शताब्दी . तक शक्तिशाली मगध साम्राज्य का हिस्सा था। सातवीं शताब्दी में कैमूर कन्नौज के शासक हर्षवर्द्धन के अधीन गया। सी. मार्क (इतिहासकार) के अनुसार इस क्षेत्र पर शासन करने वाले प्रथम शासक पाल वंश के थे। उसके बाद चन्दौली का यहां शासन रहा और बारहवीं शताब्दी में ताराचंदी ने कैमूर जिले पर राज किया। अत: यह क्षेत्र कई शासक वंशो के अधीन रहा।

 

जिला का नाम    = कैमूर

जिला मुख्यालय = भबुआ

जनसंख्या (2011)          = 1626384

विकास दर        = 26.17%

लिंग अनुपात     = 920

साक्षरता             = 69.34

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 3363

घनत्व (/ वर्ग किमी)       = 488

 

 

कटिहार :

 

पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित कटिहार भारत के बिहार प्रान्त का एक जिला है। बाल्दीबाड़ी, बेलवा, दुभी-सुभी, गोगाबिल झील, नवाबगंज, मनिहारी और कल्याणी झील आदि यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से है। पूर्व समय में यह जिला पूर्णिया जिले का एक हिस्सा था। इसका इतिहास बहुत ही समृद्ध रहा है। इस जिले का नाम इसके प्रमुख शहर दीघी-कटिहार के नाम पर रखा गया था। मुगल शासन के अधीन इस जिले की स्थापना सरकार तेजपुर ने की थी। 13वीं शताब्दी के आरम्भ में यहाँ पर मोहम्मद्दीन शासकों ने राज किया। 1770 ई॰ में जब मोहम्मद अली खान पूर्णिया के गर्वनर थे, उस समय यह जिला ब्रिटिशों के हाथ में चला गया। अत: काफी लम्बे समय तक इस जगह पर कई शासनों ने राज किया। अत: 2 अक्टूबर 1973 ई॰ को स्वतंत्र जिले के रूप में घोषित कर दिया गया।

 

जिला मुख्यालय = कटिहार

जनसंख्या (2011)          = 3071029

विकास दर        = 28.35%

लिंग अनुपात     = 919

साक्षरता             = 52.24

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 3056

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1004

 

 

किशनगंज :

 

किशनगंज बिहार का एक जिला है। बिहार की राजधानी पटना से 425 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित यह जगह पहले कृष्णाकुंज के नाम से जाना जाता था। बंगाल, नेपाल और बंगलादेश की सीमा से सटा किशनगंज पहले पूर्णिया जिले का अनुमंडल था। बिहार सरकार ने 14 जनवरी 1990 को इसे पूर्ण रूप से जिला घोषित कर दिया। पर्यटन की दृष्टि से यहां पर पर्यटक खगरा मेला, नेहरु शांति पार्क, चुर्ली किला जैसे जगह घूम सकते हैं। यहां से पानीघाट, गंगटोक, कलिंगपोंग, दाजर्लिंग जैसे पर्यटन स्थल भी कुछ ही दूरी पर स्थित है। यहां का मुख्यालय किशनगंज है।

 

जिला मुख्यालय = किशनगंज

जनसंख्या (2011)          = 1690400

विकास दर        = 30.40%

लिंग अनुपात     = 950

साक्षरता             = 55.46

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 1884

घनत्व ( वर्ग किमी)         = 898

 

 

खगड़िया :

 

खगड़िया बिहार का एक जिला है। यहाँ केले, मक्का और मिरची की खेती प्रचुर मात्रा में होती है। गंगा, कोसी तथा गंडक यहाँ की मुख्य नदियाँ हैं। यह बिहार के महत्वपूर्ण जिलों में से एक है। कात्यायनी, श्यामलाल नेशनल हाई स्कूल और अजगैबिनाथ महादेव यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल है। इसका जिला मुख्यालय खगाड़िया शहर है। यह जिला सात नदियों गंगा, कमला बालन, कोशी, बूढ़ी गंडक,करहा, काली कोशी और बागमती से घिरा हुआ है। इसके अलावा, यह जिला सहरसा जिले के उत्तर, मुंगेर और बेगुसराय जिले के दक्षिण, भागलपुर और मधेपुरा जिले के पूर्व तथा बेगुसराय और समस्तीपुर जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है। इस जगह को फरकिया के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि पांच शताब्दी पूर्व मुगल शासक के राजा अकबर ने अपने मंत्री तोडरमल को यह निर्देश दिया कि वह सम्पूर्ण साम्राज्य का एक मानचित्र तैयार करें। लेकिन मंत्री इस क्षेत्र का मानचित्र तैयार करने में सफल नहीं हो सका क्योंकि यह जगह कठिन मैदानों, नदियों और सघन जंगलों से घिरी हुई थी। यहीं वजह है कि इस जगह को फरकिया नाम दिया गया था। वर्तमान समय में यहां फराकियांचल टाइम्स नामक साप्ताहिक अखबार भी निकलता है।

प्रमुख व्यक्ति स्वर्गीय रामसेवक सिंह स्वतंत्रतासेनानी जिन्हीने स्वतंत्रता संग्राम के लड़ाई में कई बार जेल भी गए। खगरिया में कांग्रेस कमिटी के सदस्य भी चुने गए। जेल तोर के भागने में भी सफल रहे। उसके बाद उन्होंने आजादी के बाद जिले की गठन के बाद स्वतंत्रता सेनानी के जिला अध्य्क्ष भी रहे। बेलदौर प्रखड के निर्विरोध प्रमुख 4 कार्य काल चुने गए।उसके उपरांत समय और उम्र को देखकर उन्होंने राजनीति त्याग दिए। बुजुर्गो का कहना है कि महान सत्याग्रही एवम गाँधी वादी विचारधारा के थे। जिनसे मिलने बिहार केसरी व् बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री भी आये थे। स्वतन्त्रता संग्राम की लड़ाई के समय जेल में अनुग्रह बाबु के साथ थे।

 

जिला मुख्यालय  = खगरिया

जनसंख्या (2011)          = 1666886

विकास दर        = 30.19%

लिंग अनुपात     = 886

साक्षरता             = 57.92

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 1486

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1115

 

 

गया :

 

गया, झारखंड और बिहार की सीमा और फल्गु नदी के तट पर बसा भारत प्रान्त के बिहार राज्य का दूसरा बड़ा शहर है। वाराणसी की तरह गया की प्रसिद्धि मुख्य रूप से एक धार्मिक नगरी के रूप में है। पितृपक्ष के अवसर पर यहाँ हजारों श्रद्धालु पिंडदान के लिये जुटते हैं। गया सड़क, रेल और वायु मार्ग द्वारा पूरे भारत से जुड़ा है। नवनिर्मित गया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा द्वारा यह थाइलैंड से भी सीधे जुड़ा हुआ है। गया से 17 किलोमीटर की दूरी पर बोधगया स्थित है जो बौद्ध तीर्थ स्थल है और यहीं बोधि वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

गया बिहार के महत्वपूर्ण तीर्थस्थानों में से एक है। यह शहर खासकर हिन्दू तीर्थयात्रियों के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां का विष्णुपद मंदिर पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। दंतकथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के पांव के निशान पर इस मंदिर का निर्माण कराया गया है। हिन्दू धर्म में इस मंदिर को अहम स्थान प्राप्त है। गया पितृदान के लिए भी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से मृत व्यक्ति को बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है।

गया, मध्य बिहार का एक महत्वपूर्ण शहर है, जो गंगा की सहायक नदी फल्गु के पश्चिमी तट पर स्थित है। यह बोधगया से 13 किलोमीटर उत्तर तथा राजधानी पटना से 100 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यहां का मौसम मिलाजुला है। गर्मी के दिनों में यहां काफी गर्मी पड़ती है और ठंड के दिनों में औसत सर्दी होती है। मानसून का भी यहां के मौसम पर व्यापक असर होता है। लेकिन वर्षा ऋतु में यहां का दृश्य काफी रोचक होता है।

कहा जाता है कि गयासुर नामक दैत्य का बध करते समय भगवान विष्णु के पद चिह्न यहां पड़े थे जो आज भी विष्णुपद मंदिर में देखे जा सकते है।

 

जिला मुख्यालय = गया

जनसंख्या (2011)          = 4391418

विकास दर        = 26.43%

लिंग अनुपात     = 937

साक्षरता             = 63.67

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 4978

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 880

 

 

गोपालगंज :

 

गोपालगंज भारत के बिहार राज्य में सारन प्रमंडल अंतर्गत एक शहर एवं जिला है। गंडक नदी के पश्चिमी तट पर बसा यह भोजपुरी भाषी जिला ईंख उत्पादन के लिए जाना जाता है। मध्यकाल में चेरों राजाओं तथा अंग्रेजों के समय यह हथुवा राज का केंद्र रहा है। राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख, बिहार के पूर्व मुख्य मंत्री एवं भूतपूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद का गृह जिला है। थावे स्थित दुर्गा मंदिर एवं दिघवा दुबौली प्रमुख दर्शनीय स्थल है। गोपालगंज उत्तर बिहार का अंतिम जिला है। जो उत्तर प्रदेस के सिमा के समीप है।

 

जिला मुख्यालय = गोपालगंज

जनसंख्या (2011)          = 2562012

विकास दर        = 19.02%

लिंग अनुपात     = 1021

साक्षरता            = 65.47

क्षेत्र (वर्ग किमी)  2033

घनत्व ( वर्ग किमी)         = 1258

जमुई बिहार का एक जिला है। इसका मुख्यालय जमुई है।

जिला मुख्यालय  = जमुई

जनसंख्या (2011)          = 1760405

विकास दर        = 25.85%

लिंग अनुपात     = 922

साक्षरता “, “= 59.79

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 3099

घनत्व ( वर्ग किमी)         = 567

 

 

जहानाबाद :

 

जहानाबाद बिहार का एक जिला है। इसका मुख्यालय जहानाबाद है।

जिला मुख्यालय  = जहानाबाद

जनसंख्या (2011)          = 1125313

विकास दर        = 21.68%

लिंग अनुपात     = 922

साक्षरता = 66.8

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 1569

घनत्व ( वर्ग किमी)         = 1206

 

 

दरभंगा :

 

उत्तरी बिहार में दरभंगा प्रमंडल के अन्तर्गत दरभंगा एक जिला है। जिले तथा प्रमंडल का मुख्यालय दरभंगा शहर में है। समझा जाता है कि दरभंगा शब्द फारसी भाषा के दर--बंग यानि बंगाल का दरवाजा का मैथिली में कई सालों तक चलनेवाले स्थानीयकरण का परिणाम है। सन 1875 में तिरहुत से अलग कर दरभंगा को जिला बनाया गया था। मिथिला क्षेत्र का यह जिला अपनी प्राचीन संस्कृति, संस्कृत और बौद्धिक परंपरा के लिये विख्यात रहा है। मिथिला संस्कृति का केंद्र रहा यह जिला आम, मखाना तथा मछली के लिए भी प्रसिद्ध है।

 

जिला मुख्यालय  = दरभंगा

जनसंख्या (2011)          = 3937385

विकास दर        = 19.47%

लिंग अनुपात     = 911

साक्षरता            = 56.56

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 2278

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1721

 

 

नवादा :

 

नवादा बिहार राज्य में स्थित एक जिला है, जिसका इतिहास मगध साम्राज्य से जुड़ा है। इसका मुख्यालय नवादा शहर में है। प्राचीन काल में वनाच्छादित होने के कारण इसका प्रसंग पाडंवों के अज्ञातवास में भी हुआ है। आज भी नवादा के कई प्रखंड वन से घिरे हैं, जैसे रजौली, कौआकोल, गोविन्दपुर इत्यादि।

नवादा शब्द "नव" और "आबाद" दो शब्द से बना है, अर्थात खुरी नदी के उत्तर में जो मानव बस्तियाँ बसी वह नव आबाद था, जिसे इंगित करने के लिए यह शब्द प्रयोग हुआ था। वर्तमान में नवादा जिला की सीमा दक्षिण में झारखंड के कोडरमा जिले से सटी है।

पहले यह गया जिला के अधीन एक अनुमंडल था। 26 जनवरी 1973 को यह नए जिले के रूप में अस्तित्व में आया। खुरी नदी और राष्ट्रीय राजमार्ग 31 को इस जिले की जीवन रेखा माना जाता है। यातायात की समस्या से निजात दिलाने के लिए चार किलोमीटर की बाइपास सड़क का निर्माण कुछ दशक पूर्व रा. रा. -31 के लिए किया गया। यह बाइपास दक्षिण में सदभावना चौक से आरम्भ हो कर उतर में केन्दुआ गाँव के समीप मुख्य सड़क से मिल ज्ता है। दो सड़को के मिलन बिन्दु तथा शहर से समीपता के कारण केन्दुआ गाँव तेजी से भविष्य के आर्थिक केन्द्र के रूप में उभर रहा है। नवादा विधि महाविधालय, उच्च विधालय, उत्क्रमित मध्य विधालय के कारण केन्दुआ गाँव की पहचान विद्या स्थली के रूप में भी है, जहाँ नामांकन के लिए जिला तथा प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से युवक- युवतियाँ आते हैं।

 

जिला मुख्यालय  = नवादा

जनसंख्या (2011)          = 2219146

विकास दर        = 22.63%

लिंग अनुपात     = 939

साक्षरता             = 59.76

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 2492

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 889

 

 

नालंदा :

 

नालंदा भारत के बिहार प्रान्त का एक जिला है जिसका मुख्यालय बिहार शरीफ है।। नालंदा अपने प्राचीन इतिहास के लिये विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ विश्व के सबसे पुराने नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष आज भी मौज़ूद है, जहाँ सुदूर देशों से छात्र अध्ययन के लिये भारत आते थे।

बुद्ध और महावीर कइ बार नालन्दा मे ठहरे थे। माना जाता है कि महावीर ने मोक्ष की प्राप्ति पावापुरी मे की थी, जो नालन्दा मे स्थित है। बुद्ध के प्रमुख छात्रों मे से एक, शारिपुत्र, का जन्म नालन्दा मे हुआ था।

नालंदा पूर्व में अस्थामा तक पश्चिम में तेल्हारा तक दछिन में गिरियक तक उतर में हरनौत तक फैला है.

विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालय के अवशेषों को अपने आंचल में समेटे नालन्दा बिहार का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहाँ पर्यटक विश्वविद्यालय के अवशेष, संग्रहालय, नव नालंदा महाविहार तथा ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल देख सकते हैं। इसके अलावा इसके आस-पास में भी घूमने के लिए बहुत से पर्यटक स्थल है। राजगीर, पावापुरी, गया तथा बोध-गया यहां के नजदीकी पर्यटन स्थल हैं। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 7वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्त्वपूर्ण एक वर्ष एक विद्यार्थी और एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था। भगवान बुद्ध ने सम्राट अशोक को यहाँ उपदेश दिया था। भगवान महावीर भी यहीं रहे थे। प्रसिद्ध बौद्ध सारिपुत्र का जन्म यहीं पर हुआ था।

नालंदा में राजगीर में कई गर्म पानी के झरने है, इसका निर्माण कहा जाता है की राजा बिम्बिसार ने अपने सासन काल में किया था, राजगीर नालंदा का मुख सहारे है, ब्रह्मकुण्ड, सरस्वती कुण्ड और लंगटे कुण्ड यहाँ पर है, कई बिदेसी मन्दिर भी है यहाँ चीन का मन्दिर, जापान का मन्दिर आदि. नालंदा जिले में जामा मस्जिद भी है जॊ के बिहार शरीफ मे पुलपर है। यह बहुत ही पुराना और विशाल मस्जिद है।

 

नालन्दा महाविद्यालय

नालन्दा विश्वविद्यालय के अवशेषों की खोज अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी। माना जाता है कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई॰ में गुप्त शासक कुमारगुप्त ने की थी। इस विश्वविद्यालय को इसके बाद आने वाले सभी शासक वंशों का समर्थन मिला। महान शासक हर्षवर्द्धन ने भी इस विश्वविद्यालय को दान दिया था। हर्षवर्द्धन के बाद पाल शासकों का भी इसे संरक्षण मिला। केवल यहाँ के स्थानीय शासक वंशों ने ही नहीं वरन विदेशी शासकों से भी इसे दान मिला था। इस विश्वविद्यालय का अस्तित्व 12वीं शताब्दी तक बना रहा। 12वीं शताब्दी में तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खलजी ने इस विश्वविद्यालय को जला डाला।

 

जिला मुख्यालय  = बिहार शरीफ

जनसंख्या (2011)          = 2877653

विकास दर        = 21.39%

लिंग अनुपात     = 922

साक्षरता             = 64.43

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 2354

घनत्व ( वर्ग किमी)         = 1220

 

 

पटना :

 

पटना (संस्कृत: पटनम्) या पाटलिपुत्र भारत के बिहार राज्य की राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्राचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है।

अपने आप में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। ईसा पूर्व मेगास्थनीज(350 ईपू-290 ईपू) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है। पलिबोथ्रा (पाटलिपुत्र) जो गंगा और अरेन्नोवास (सोनभद्र-हिरण्यवाह) के संगम पर बसा था। उस पुस्तक के आकलनों के हिसाब से प्राचीन पटना (पलिबोथा) 9 मील (14.5 कि॰मी॰) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि॰मी॰) चौड़ा था।

पटना बिहार राज्य की राजधानी है और गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है। जहां पर गंगा घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है।

सोलह लाख (2011 की जनगणना के अनुसार 1,683,200) से भी अधिक आबादी वाला यह शहर, लगभग 15 कि॰मी॰ लम्बा और 7 कि॰मी॰ चौड़ा है।

प्राचीन बौद्ध और जैन तीर्थस्थल वैशाली, राजगीर या राजगृह, नालन्दा, बोधगया और पावापुरी पटना शहर के आस पास ही अवस्थित हैं। पटना सिक्खों के लिये एक अत्यंत ही पवित्र स्थल है। सिक्खों के 10वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था। प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं।

पटना एवं इसके आसपास के प्राचीन भग्नावशेष/खंडहर नगर के ऐतिहासिक गौरव के मौन गवाह हैं तथा नगर की प्राचीन गरिमा को आज भी प्रदर्शित करते हैं।

एतिहासिक और प्रशासनिक महत्व के अतिरिक्त, पटना शिक्षा और चिकित्सा का भी एक प्रमुख केंद्र है। दीवालों से घिरा नगर का पुराना क्षेत्र, जिसे पटना सिटी के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र है।

 

नाम

पटना नाम पटनदेवी (एक हिन्दू देवी) से प्रचलित हुआ है। एक अन्य मत के अनुसार यह नाम संस्कृत के पत्तन से आया है जिसका अर्थ बन्दरगाह होता है। मौर्यकाल के यूनानी इतिहासकार मेगस्थनीज ने इस शहर को पालिबोथरा तथा चीनीयात्री फाहियान ने पालिनफू के नाम से संबोधित किया है। यह ऐतिहासिक नगर पिछली दो सहस्त्राब्दियों में कई नाम पा चुका है - पाटलिग्राम, पाटलिपुत्र, पुष्पपुर, कुसुमपुर, अजीमाबाद और पटना। ऐसा समझा जाता है कि वर्तमान नाम शेरशाह सूरी के समय से प्रचलित हुआ।

 

जिला मुख्यालय  = पटना

जनसंख्या (2011)          = 5838465

विकास दर        = 23.73%

लिंग अनुपात     = 897

साक्षरता             = 70.68

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 3202

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1803

 

 

चंपारण :

 

चंपारण बिहार प्रान्त का एक जिला था। अब पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण नाम के दो जिले हैं। भारत और नेपाल की सीमा से लगा यह क्षेत्र स्वाधीनता संग्राम के दौरान काफी सक्रिय रहा है। महात्मा गाँधी ने अपनी मशाल यहीं से अंग्रेजों के खिलाफ नील आंदोलन से जलायी थी। बेतियापश्चिमी चंपारण का जिला मुख्यालय है और मोतिहारी पूर्वी चम्पारण का। चंपारण से 35 किलोमीटर दूर दक्षिण साहेबगंज-चकिया मार्ग पर लाल छपरा चौक के पास अवस्थित है प्राचीन ऐतिहासिक स्थल केसरिया। यहाँ एक वृहद् बौद्धकालीन स्तूप है जिसे केसरिया स्तूप के नाम से जाना जाता है।

 

जिला मुख्यालय  = बेतिया

जनसंख्या (2011)          = 3935042

विकास दर        = 29.29%

लिंग अनुपात     = 909

साक्षरता             = 55.7

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 5229

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 753

 

 

पुरनिया या पूर्णियाँ :

 

पुरनिया या पूर्णियाँ बिहार राज्य का ज़िला है। इसके उत्तर में नेपाल देश तथा पश्चिमी बंगाल का दार्जिलिंग ज़िला, पूर्व में जलपाईगुड़ी, दिनाजपुर, मालदा जिले, पश्चिम में भागलपुर, दक्षिण में भागलपुर तथा गंगा नदी सीमा बनाती है।

 

जिला मुख्यालय  = पूर्णिया

जनसंख्या (2011)          = 3264619

विकास दर        = 28.33%

लिंग अनुपात     = 921

साक्षरता             = 51.08

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 3228

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1014

 

 

पूर्वी चंपारण :

 

पूर्वी चंपारण बिहार के तिरहुत प्रमंडल का एक जिला है। चंपारण को विभाजित कर 1971 में बनाए गए पूर्वी चंपारण का मुख्यालय मोतिहारी है। चंपारण का नाम चंपा + अरण्य से बना है जिसका अर्थ होता है- चम्पा के पेड़ों से आच्छादित जंगल। पूर्वी चम्पारण के उत्तर में एक ओर जहाँ नेपाल तथा दक्षिण में मुजफ्फरपुर स्थित है, वहीं दूसरी ओर इसके पूर्व में शिवहर और सीतामढ़ी तथा पश्चिम में पश्चिमी चम्पारण जिला है।

 

जिला मुख्यालय  = मोतिहारी

जनसंख्या (2011)          = 5099371

विकास दर        = 29.43%

लिंग अनुपात     = 902

साक्षरता             = 55.79

क्षेत्र (वर्ग किमी) = 3969

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1281

 

 

बक्सर :

 

बक्सर भारत के बिहार प्रान्त का शहर है।

भारत के पूर्वी प्रदेश बिहार के पश्चिम भाग में गंगा नदी के तट पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। यहाँ की अर्थ-व्यवस्था मुख्य रूप से खेतीबारी पर आधारित है। यह शहर मुख्यतः धर्मिक स्थल के नाम से जाना जाता है। प्राचीन काल में इसका नाम 'व्याघ्रसर' था। क्योंकि उस समय यहाँ पर बाघों का निवास हुआ करता था तथा एक बहुत बड़ा सरोवर भी था जिसके परिणामस्वरुप इस जगह का नाम व्याघ्रसर पड़ा।

 

जिला मुख्यालय  = बक्सर

जनसंख्या (2011)          = 1706352

विकास दर        = 21.67%

लिंग अनुपात     = 922

साक्षरता             = 70.14

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 1624

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1003

 

 

बाँका :

 

बाँका बिहार का एक जिला है। बाँका बिहार प्रान्त का एक शहर है। यह एक अत्यंत प्राचीन शहर है। पुराणों में और महाभारत में इस क्षेत्र को अंग प्रदेश का हिस्सा माना गया है। इस अंग प्रदेश के निकट स्थित चम्पानगर महान पराक्रमी शूरवीर कर्ण की राजधानी मानी जाती रही है। यह बिहार के मैदानी क्षेत्र का आखिरी सिरा और झारखंड और बिहार के सीमा का मिलन स्थल है। यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा गया और पटना है। रेल और सड़क मार्ग से भी यह शहर अच्छी तरह जुड़ा है।

पुराणों में वर्णित समुद्र मंथन में प्रयुक्त मथान अर्थात मंदराचल तथा मथानी में लपेटने के लिए जो रस्सा प्रयोग किया गया था वह दोनों ही उपकरण यहाँ विद्यमान हैं और आज इनका नाम तीर्थस्थलों के रूप में है ये हैं वासुकिनाथ और मंदारहिल. इस शहर मे बहुत ही अछे-अछे विधालय भी है। शहर मे एक महाविधालय भी है - पी0 बी0 एस0 महाविधालय।

बाँका जिले में 11 तहसिलें हैं- बाँका, रजौन, अमरपुर, धोरैया, कटोरिया, बौसी, शंभुगंज, बाराहाट, बेलहर, चांदन, फूल्लीडूमर। भागलपुर का कुख्यात अखफोड़वा कांड रजौन थाने से ही शुरू हुआ था, और सबसे ज्यादा कांड यहीं हुआ था। इस पर गंगाजल पिक्चर भी बनी है. रजौन प्रखन्ड मे कुछ गांव है:- खिड्डी, बनगांव, नरीपा, नीमा, नवादा, धर्मचक, सोहानि, खैरा आदि, खैरा मे एक प्रसिद्ध मन्दिर भी है।

 

जिला मुख्यालय  = बांका

जनसंख्या (2011)          = 2034763

विकास दर        = 26.48%

लिंग अनुपात     = 907

साक्षरता             = 58.17

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 3018

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 672

 

 

बेगूसराय :

 

बेगूसराय बिहार प्रान्त का एक जिला है। बेगूसराय मध्य बिहार में स्थित है। 1870 ईस्वी में यह मुंगेर जिले के सब-डिवीजन के रूप में स्थापित हुआ। 1972 में बेगूसराय स्वतंत्र जिला बना।

 

जिला मुख्यालय  = बेगूसराय

जनसंख्या (2011)          = 2970541

विकास दर        = 26.44%

लिंग अनुपात     = 895

साक्षरता “, “= 63.87

क्षेत्र (वर्ग किमी) “, “= 1917

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1540

 

 

भागलपुर :

 

भागलपुर बिहार प्रान्त का एक शहर है। गंगा के तट पर बसा यह एक अत्यंत प्राचीन शहर है। पुराणों में और महाभारत में इस क्षेत्र को अंग प्रदेश का हिस्सा माना गया है। भागलपुर के निकट स्थित चम्पानगर महान पराक्रमी शूरवीर कर्ण की राजधानी मानी जाती रही है। यह बिहार के मैदानी क्षेत्र का आखिरी सिरा और झारखंड और बिहार के कैमूर की पहाड़ी का मिलन स्थल है। भागलपुर सिल्क के व्यापार के लिये विश्वविख्यात रहा है, तसर सिल्क का उत्पादन अभी भी यहां के कई परिवारों के रोजी रोटी का श्रोत है। वर्तमान समय में भागलपुर हिन्दू मुसलमान दंगों और अपराध की वजह से सुर्खियों में रहा है। यहाँ एक हवाई अड्डा भी है जो अभी चालू नहीं है। यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा गया और पटना है। रेल और सड़क मार्ग से भी यह शहर अच्छी तरह जुड़ा है।

प्राचीन काल के तीन प्रमुख विश्वविद्यालयों यथा तक्षशिला, नालन्दा और विक्रमशिला में से एक विश्वविद्यालय भागलपुर में ही था जिसे हम विक्रमशिला के नाम से जानते हैं। पुराणों में वर्णित समुद्र मंथन में प्रयुक्त मथान अर्थात मंदराचल तथा मथानी में लपेटने के लिए जो रस्सा प्रयोग किया गया था वह दोनों ही उपकरण यहाँ विद्यमान हैं और आज इनका नाम तीर्थस्थलों के रूप में है ये हैं बासुकीनाथ और मंदार पर्वत।

पवित्र् गंगा नदी को जाह्नवी के नाम से भी जाना जाता है। जिस स्थान पर गंगा को यह नाम दिया गया उसे अजगैवी नाथ कहा जाता है यह तीर्थ भी भागलपुर में ही है।

प्रसिद्ध अभिनेत्री नेहा शर्मा, क्रिकेटर सौरभ तिवारी, भाजपा नेता अश्विनी कुमार चौबे, प्रसिद्ध युटयुबर भारत कुमार सिंह् का घर , अभिनेत्री स्मृति सिन्हा इत्यादि भागलपुर के ही है।।

 

जिला मुख्यालय = भागलपुर

जनसंख्या (2011)          = 3037766

विकास दर        = 25.36%

लिंग अनुपात     = 880

साक्षरता             = 63.14

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 2569

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1180

 

 

भोजपुर :

 

भोजपुर भारत प्रांत के बिहार राज्य का एक जिला है। इसका मुख्यालय आरा है। पहले ये जिला शाहाबाद का हिस्सा था। सन् 1972 में इसको बांटकर रोहतास नामक अलग जिला बना दिया गया।

 

जिला मुख्यालय = आरा

जनसंख्या (2011)          = 2728407

विकास दर        = 21.63%

लिंग अनुपात     = 907

साक्षरता             = 70.47

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 2473

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1136

 

 

मधेपुरा :

 

मधेपुरा भारत के बिहार राज्य का जिला है। इसका मुख्यालय मधेपुरा शहर है। सहरसा जिले के एक अनुमंडल के रूप में रहने के उपरांत 9 मई 1981 को उदाकिशुनगंज अनुमंडल को मिलाकर इसे जिला का दर्जा दे दिया गया। यह जिला उत्तर में अररिया और सुपौल, दक्षिण में खगड़िया और भागलपुर जिला, पूर्व में पूर्णिया तथा पश्चिम में सहरसा जिले से घिरा हुआ है। वर्तमान में इसके दो अनुमंडल तथा 11 प्रखंड हैं। मधेपुरा धार्मिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध जिला है। चंडी स्थान, सिंघेश्वर स्थान, श्रीनगर, रामनगर, बसन्तपुर, बिराटपुर और बाबा करु खिरहर आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से हैं।

 

जिला मुख्यालय  = मधेपुरा

जनसंख्या (2011)          = 2001762

विकास दर        = 31.12%

लिंग अनुपात     = 911

साक्षरता             = 52.25

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 1787

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1116

 

 

मधुबनी :

 

मधुबनी भारत के बिहार प्रान्त में दरभंगा प्रमंडल अंतर्गत एक प्रमुख शहर एवं जिला है। दरभंगा एवं मधुबनी को मिथिला संस्कृति का द्विध्रुव माना जाता है। मैथिली तथा हिंदी यहाँ की प्रमुख भाषा है। विश्वप्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग एवं मखाना के पैदावार की वजह से मधुबनी को विश्वभर में जाना जाता है। इस जिला का गठन 1972 में दरभंगा जिले के विभाजन के उपरांत हुआ था।मधुबनी चित्रकला मिथिलांचल क्षेत्र जैसे बिहार के दरभंगा, मधुबनी एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है। प्रारम्भ में रंगोली के रूप में रहने के बाद यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ो, दीवारों एवं कागज पर उतर आई है। मिथिला की औरतों द्वारा शुरू की गई इस घरेलू चित्रकला को पुरुषों ने भी अपना लिया है। वर्तमान में मिथिला पेंटिंग के कलाकारों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मधुबनी मिथिला पेंटिंग के सम्मान को और बढ़ाये जाने को लेकर तकरीबन 10,000 sq/ft में मधुबनी रेलवे स्टेशन के दीवारों को मिथिला पेंटिंग की कलाकृतियों से सरोबार किया। उनकी ये पहल निःशुल्क अर्थात श्रमदान के रूप में किया गया। श्रमदान स्वरूप किये गए इस अदभुत कलाकृतियों को विदेशी पर्यटकों सैनानियों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है।

 

जिला मुख्यालय = मधुबनी

जनसंख्या (2011) = 4487379

विकास दर        = 25.51%

लिंग अनुपात     = 926

साक्षरता             = 58.62

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 3501

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1279

 

 

मुंगेर :

 

मुंगेर भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त में स्थित एक शहर एवं जिला है।

 

इतिहास

महाभारत काल का मोदगिरी आज मुंगेर के नाम से जाना जाता है। मुंगेर बंगाल के अंतिम नवाब मीरकासिम की राजधानी भी था। यहीं पर मीरकासिम ने गंगा नदी के किनारे एक भव्य किले का निर्माण कराया था। यह किला 1934 में आए भीषण भूकंप से क्षतिग्रस्त हो गया था, लेकिन इसका अवशेष अभी भी शेष है। (इस किले के संबंध में कहा जाता है कि यह महाभारत काल का ही है) यहीं पर स्थित कष्टहरिणी घाट हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए पवित्र माना जाता है। प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार गंगा नदी के घाट पर स्नान करने से एक व्यक्ति का सभी कष्ट दूर हो गया था, उसी वक्त से इस घाट को कष्टहरिणी घाट' के नाम से जाना जाता है। इस पवित्र घाट के समीप ही नदी के बीच में माता सीताचरण का मंदिर स्थित है। यहां जाने के लिए नावों का सहारा लिया जाता है।

 

जिला मुख्यालय  = मुंगेर

जनसंख्या (2011)          = 1367765

विकास दर        = 20.21%

लिंग अनुपात     = 876

साक्षरता             = 70.46

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 1419

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 958

 

 

मुजफ्फरपुर :

 

मुजफ्फरपुर जिला, बिहार के 38 जिलों में से एक है। इसका प्रशासकीय मुख्यालय मुजफ्फरपुर है। यह जिला उत्तर में पूर्वी चंपारण और सीतामढ़ी, दक्षिण में वैशाली और सारण, पूर्व में समस्तीपुर और दरभंगा तथा पश्चिम में गोपालगंज से घिरा है। हिंदी और मैथिली यहाँ की प्रमुख भाषाएँ हैं, जबकि बज्जिका यहाँ की स्थानीय बोली

 

जिला मुख्यालय  = मुजफ्फरपुर

जनसंख्या (2011)          = 4801062

विकास दर        = 28.14%

लिंग अनुपात     = 900

साक्षरता             = 63.43

क्षेत्र (वर्ग किमी) = 3173

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1506

 

 

रोहतास :

 

रोहतास जिला बिहार के अड़तीस जिलो में से एक है। इसका मुख्यालय सासाराम है। इस जिले में तीन अनुमंडल हैं, जिनमें डेहरी आन सोन, बिक्रमगंज और सासाराम है।

 

जिला मुख्यालय  = सासाराम

जनसंख्या (2011)          = 2959918

विकास दर        = 20.78%

लिंग अनुपात     = 918

साक्षरता             = 73.37

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 3850

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 763

 

 

लखीसराय :

 

लखीसराय बिहार का एक जिला है। इसका मुख्यालय लखीसराय है। लखीसराय बिहार के महत्वपूर्ण शहरों में एक है। इस जिले का गठन 3 जुलाई 1994 को किया गया था। इससे पहले यह मुंगेर जिला के अंतर्गत आता था। इतिहासकार इस शहर के अस्तित्व के संबंध में कहते हैं कि यह पाल वंश के समय अस्तित्व में आया था। यह दलील मुख्य रूप से यहां के धार्मिक स्थलों को साक्ष्य मानकर दिया जाता है। चूंकि उस समय के हिंदू राजा मंदिर बनवाने के शौकीन हुआ करते थे, अत: उन्होंने इस क्षेत्र में अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया था। इन मंदिरों में कुछ महत्वपूर्ण तीर्थस्थान इस प्रकार हैं - अशोकधाम, भगवती स्थान, बड़ैहया, श्रृंगऋषि, जलप्पा स्थान, अभयनाथ स्थान, अभयपुर, माँ दुर्गा मंदिर शरमा,बाबा शोभनाथ मंदिर,माँ सति स्थान,गोबिंद बाबा स्थान, मानो-रामपुर, दुर्गा स्थान, लखीसराय आदि। इसके अलावा महारानी स्थान, दुर्गा मंदिर देखने लायक हैं। महसौरा का दुर्गा मंदिर हैं। हनुमान मंदिर महसौरा माहादेव स्थान महसौरा

 

इतिहास

लखीसराय की स्थापना पाल वंश के दौरान एक धार्मिक-प्रशासनिक केंद्र के रूप में की गई थी। यह क्षेत्र हिंदू और बौद्ध देवी देवताओं के लिए प्रसिद्ध है। बौद्ध साहित्य में इस स्थान को अंगुत्री के नाम से जाना जाता है। इसका अर्थ है- जिला। प्राचीन काल में यह अंग प्रदेश का सीमांत क्षेत्र था। पाल वंश के समय में यह स्थान कुछ समय के लिए राजधानी भी रह चुका है। इस स्थान पर धर्मपाल से संबंधित साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। जिले के बालगुदर क्षेत्र में मदन पाल का स्मारक (1161-1162) भी पाया गया है। ह्वेनसांग ने इस जगह पर 10 बौद्ध मठ होने के संबंध में विस्तार से बताया है। उनके अनुसार यहां मुख्य रूप से हीनयान संप्रदाय के बौद्ध मतावलंबी आते थे। इतिहास के अनुसार 11वीं सदी में मोहम्मद बिन बख्तियार ने यहां आक्रमण किया था। शेरशाह ने 15वीं सदी में यहां शासन किया था जबकि यहां स्थित सूर्यगढ़ा शेरशाह और मुगल सम्राट हुमायूं (1534) के युद्ध का साक्षी है।

 

जिला मुख्यालय = लखीसराय

जनसंख्या (2011) = 1000912

विकास दर        = 24.77%

लिंग अनुपात     = 902

साक्षरता             = 62.42

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 1229

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 815

 

 

वैशाली :

 

वैशाली (अंग्रेज़ी: Vaishali) बिहार प्रान्त के तिरहुत प्रमंडल का एक जिला है। मुजफ्फरपुर से अलग होकर 12 अक्टुबर 1972 को वैशाली एक अलग जिला बना। वैशाली जिले का मुख्यालय हाजीपुर में है। बज्जिका तथा हिन्दी यहाँ की मुख्य भाषा है। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि \"रिपब्लिक\" कायम किया गया था। वैशाली जिला भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलम्बियों के लिए एक पवित्र नगरी है। भगवान बुद्ध का इस धरती पर तीन बार आगमन हुआ। भगवान बुद्ध के समय सोलह महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के समान महत्त्वपूर्ण था। ऐतिहासिक महत्त्व के होने के अलावे आज यह जिला राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों तथा केले, आम और लीची के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है।

 

जिला मुख्यालय  = हाजीपुर

जनसंख्या (2011)          = 3495021

विकास दर        = 28.57%

लिंग अनुपात     = 895

साक्षरता            = 66.6

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 2036

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1717

 

 

सहरसा :

 

सहरसा भारत के बिहार प्रान्त का एक जिला एवं शहर है। जिले के रूप में सहरसा की स्थापना 1 अप्रैल 1954 को हुई थी जबकि 2 अक्टुबर 1972 से यह कोशी प्रमण्डल का मुख्यालय है। नेपाल से आने वाली कोशी नदी के मैदानों में फ़ैला हुआ कोशी प्रमण्डल इतिहास के पन्नों में तो एक समृद्ध प्रदेश माना जाता रहा है किन्तु वर्तमान में यह अति पिछड़े क्षेत्रों में आता है। यहाँ कन्दाहा में सूर्य मंदिर एवं प्रसिद्ध माँ तारा स्थान महिषी ग्राम में स्थित है। प्राचीन काल से यह स्थान आदि शंकराचार्य तथा यहाँ के प्रसिद्ध विद्वान मंडन मिश्र के बीच हुए शास्त्रार्थ के लिए भी विख्यात रहा है।

 

इतिहास

आरंभ में सहरसा क्षेत्र अंगुत्तरप कहलाता था और उत्तर बिहार के प्रसिद्ध वैशाली महाजनपद की सीमा पर स्थित था। अंग देश के शक्तिशाली होने पर यह इसके पास रहा लेकिन जल्द ही मगध साम्राज्य के विस्तारवाद का शिकार हो गया। बनमनखी-फारबिसगंज रोड पर सिकलीगढ में एवं किशनगंज पुलिस स्टेशन के पास मौर्य स्तंभ मिलने से यह बात प्रमाणित है। 1956 में प्रसिद्ध इतिहासकार आर के चौधुरी के निर्देशन में हो रहे खुदाई के दौरान गोढोघाट एवं पटौहा में आहत सिक्के मिले हैं। मगध साम्राज्य में बिम्बिसार के समय बौद्ध धर्म के राजधर्म बनने पर यहाँ भी बौद्ध प्रभाव बढने लगा। जिले का बिराटपुर, बुधियागढी, बुधनाघाट, पितहाही और मठाई जैसी जगहों पर बौद्ध चिह्न मिले हैं। 7वीं सदी में जब आदि शंकराचार्य भारत भ्रमण पर निकलकर शास्त्रार्थ द्वारा हिंदू धर्म की पुनर्स्थापना करने लगे तब उनका आगमन सहरसा जिले के महिषी ग्राम में हुआ। कहा जाता है जब आदि शंकराचार्य ने यहाँ के प्रसिद्ध विद्वान मंडन मिश्र को हरा दिया तब उनकी पत्नी, जो कि एक विदुषी थीं, ने उन्हे चुनौती दी तथा शंकराचार्य को पराजित कर दिया।

 

जिला मुख्यालय -           सहरसा

जनसंख्या (2011)          1900661

विकास दर        26.02%

लिंग अनुपात     906

साक्षरता            53.2

क्षेत्र (वर्ग किमी)  1702

घनत्व (/ वर्ग किमी)        1125

 

 

समस्तीपुर :

 

समस्तीपुर भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त में दरभंगा प्रमंडल स्थित एक शहर एवं जिला है। समस्तीपुर के उत्तर में दरभंगा, दक्षिण में गंगा नदी और पटना जिला, पश्चिम में मुजफ्फरपुर एवं वैशाली, तथा पूर्व में बेगूसराय एवं खगड़िया जिले है। यहाँ शिक्षा का माध्यम हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी है लेकिन बोल-चाल में बज्जिका और मैथिली बोली जाती है। मिथिला क्षेत्र के परिधि पर स्थित यह जिला उपजाऊ कृषि प्रदेश है। समस्तीपुर पूर्व मध्य रेलवे का मंडल भी है। समस्तीपुर को मिथिला का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है।

 

इतिहास

समस्तीपुर राजा जनक के मिथिला प्रदेश का अंग रहा है। विदेह राज्य का अंत होने पर यह वैशाली गणराज्य का अंग बना। इसके पश्चात यह मगध के मौर्य, शुंग, कण्व और गुप्त शासकों के महान साम्राज्य का हिस्सा रहा। ह्वेनसांग के विवरणों से यह पता चलता है कि यह प्रदेश हर्षवर्धन के साम्राज्य के अंतर्गत था। 13 वीं सदी में पश्चिम बंगाल के मुसलमान शासक हाजी शम्सुद्दीन इलियास के समय मिथिला एवं तिरहुत क्षेत्रों का बँटवारा हो गया। उत्तरी भाग सुगौना के ओईनवार राजा (1325-1525 ईस्वी) के कब्जे में था जबकि दक्षिणी एवं पश्चिमी भाग शम्सुद्दीन इलियास के अधीन रहा। समस्तीपुर का नाम भी हाजी शम्सुद्दीन के नाम पर पड़ा है। शायद हिंदू और मुसलमान शासकों के बीच बँटा होने के कारण ही आज समस्तीपुर का सांप्रदायिक चरित्र समरसतापूर्ण है। ओईनवार राजाओं को कला, संस्कृति और साहित्य का बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। शिवसिंह के पिता देवसिंह ने लहेरियासराय के पास देवकुली की स्थापना की थी। शिवसिंह के बाद यहाँ पद्मसिंह, हरिसिंह, नरसिंहदेव, धीरसिंह, भैरवसिंह, रामभद्र, लक्ष्मीनाथ, कामसनारायण राजा हुए। शिवसिंह तथा भैरवसिंह द्वारा जारी किए गए सोने एवं चाँदी के सिक्के यहाँ के इतिहास ज्ञान का अच्छा स्रोत है। अंग्रेजी राज कायम होने पर सन 1865 में तिरहुत मंडल के अधीन समस्तीपुर अनुमंडल बनाया गया। बिहार राज्य जिला पुनर्गठन आयोग के रिपोर्ट के आधार पर इसे दरभंगा प्रमंडल के अंतर्गत 14 नवम्बर 1972 को जिला बना दिया गया। अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध हुए स्वतंत्रता आंदोलन में समस्तीपुर के क्रांतिकारियों ने महती भूमिका निभायी थी। यहाँ से कर्पूरी ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं।

जिला मुख्यालय  = समस्तीपुर

जनसंख्या (2011)          = 4261566

विकास दर        = 25.53%

लिंग अनुपात     = 911

साक्षरता             = 61.86

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 2905

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1465

 

 

सारण :

 

सारण भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त में स्थित एक प्रमंडल एवं जिला है। यहाँ का प्रशासनिक मुख्यालय छपरा है। गंगा, गंडक एवं घाघरा नदी से घिरा यह जिला भारत में मानव बसाव के सार्वाधिक प्राचीन केंद्रों में एक है। संपूर्ण जिला एक समतल एवं उपजाऊ प्रदेश है। भोजपुरी भाषी क्षेत्र की पूर्वी सीमा पर स्थित यह जिला सोनपुर मेला, चिरांद पुरातत्व स्थल एवं राजनीतिक चेतना के लिए प्रसिद्ध है।

चिरांद, छपरा से 11 किलोमीटर स्थित, सारण जिला का सबसे महत्वपूर्ण पुरातत्व स्थल (2000 ईस्वी पूर्व) है। महाजनपद काल में सारण की भूमि कोसल का अंग रहा है। कोसल राज्य के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में सर्पिका (साईं) नदी, पुरब में गंडक नदी तथा पश्चिम में पांचाल प्रदेश था। इसके अंतर्गत आज के उत्तर प्रदेश का फैजाबाद, गोंडा, बस्ती, गोरखपुर तथा देवरिया जिला के अतिरिक्त बिहार का सारण क्षेत्र आता है। आठवीं सदी में यहाँ पाल शासकों का आधिपत्य था। जिले के दिघवारा के निकट दुबौली से महेन्द्रपाल देव के समय 898 ईस्वी में जारी किया गया ताम्रफलक प्राप्त हुआ है। बाबर के समय ही सारण मुगल शासन का हिस्सा हो गया था। अकबर के शासनकाल पर लिखे गए आईना--अकबरी के विवरण अनुसार कर संग्रह के लिए बनाए गए 6 सरकारों में सारण वित्तीय क्षेत्र एक था और इसके अंतर्गत वर्तमान बिहार के हिस्से आते थे। बक्सर युद्ध में विजय के बाद सन 1765 में अंग्रेजों को यहाँ का दिवानी अधिकार मिल गया। 1829 में जब पटना को प्रमंडल बनाया गया तब सारन और चंपारण को एक जिला बनाकर साथ रखा गया लेकिन 1866 में चंपारण को जिला बनाकर सारण से अलग कर दिया गया। 1908 में तिरहुत प्रमंडल बनने पर सारण को इसके साथ कर इसके अंतर्गत गोपालगंज, सिवान तथा सारण अनुमंडल बनाए गए। स्वतंत्रता पश्चात 1981 में सारण को प्रमंडल का दर्जा देकर तीनों अनुमंडलों को जिला (मंडल) बना दिया गया। स्वतंत्रता की लड़ाई में यहाँ के मजहरुल हक़, राजेन्द्र प्रसाद जैसे महान सेनानियों नें बिहार का नाम ऊँचा किया है। इन्दिरा गाँधी द्वारा देश में लगाए गए आपातकाल के विरुद्ध यहाँ के जय प्रकाश नारायण ने समूचे देश में जनक्रांति की लहर पैदा कर सत्ता परिवर्तन किया।

 

जिला मुख्यालय  = छपरा

जनसंख्या (2011)          = 3951862

विकास दर        = 21.64%

लिंग अनुपात     = 954

साक्षरता             = 65.96

क्षेत्र (वर्ग किमी)   2641

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1493

 

 

सीतामढ़ी : 

 

सीतामढ़ी भारत के मिथिला का प्रमुख शहर है जो पौराणिक आख्यानों में सीता की जन्मस्थली के रूप में उल्लिखित है। त्रेतायुगीन आख्यानों में दर्ज यह हिंदू तीर्थ-स्थल बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। सीता के जन्म के कारण इस नगर का नाम पहले सीतामड़ई, फिर सीतामही और कालांतर में सीतामढ़ी पड़ा। यह शहर लक्षमना (वर्तमान में लखनदेई) नदी के तट पर अवस्थित है। रामायण काल में यह मिथिला राज्य का एक महत्वपूर्ण अंग था। 1908 ईस्वी में यह मुजफ्फरपुर जिला का हिस्सा बना। स्वतंत्रता के पश्चात 11 दिसम्बर 1972 को इसे स्वतंत्र जिला का दर्जा प्राप्त हुआ। त्रेतायुगीन आख्यानों में दर्ज यह हिंदू तीर्थ-स्थल बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। वर्तमान समय में यह तिरहुत कमिश्नरी के अंतर्गत बिहार राज्य का एक जिला मुख्यालय और प्रमुख पर्यटन स्थल है।

 

इतिहास

सीतामढ़ी पौराणिक आख्यानों में त्रेतायुगीन शहर के रूप में वर्णित है। त्रेता युग में राजा जनक की पुत्री तथा भगवान राम की पत्नी देवी सीता का जन्म पुनौरा में हुआ था। पौराणिक मान्यता के अनुसार मिथिला एक बार दुर्भिक्ष की स्थिति उत्पन्न हो गाय थी। पुरोहितों और पंडितों ने मिथिला के राजा जनक को अपने क्षेत्र की सीमा में हल चलाने की सलाह दी। कहते हैं कि सीतामढ़ी के पुनौरा नामक स्थान पर जब राजा जनक ने खेत में हल जोता था, तो उस समय धरती से सीता का जन्म हुआ था। सीता जी के जन्म के कारण इस नगर का नाम पहले सीतामड़ई, फिर सीतामही और कालांतर में सीतामढ़ी पड़ा। ऐसी जनश्रुति है कि सीताजी के प्रकाट्य स्थल पर उनके विवाह पश्चात राजा जनक ने भगवान राम और जानकी की प्रतिमा लगवायी थी। लगभग 500 वर्ष पूर्व अयोध्या के एक संत बीरबल दास ने ईश्वरीय प्रेरणा पाकर उन प्रतिमाओं को खोजा और उनका नियमित पूजन आरंभ हुआ। यह स्थान आज जानकी कुंड के नाम से जाना जाता है। प्राचीन कल में सीतामढी तिरहुत का अंग रहा है। इस क्षेत्र में मुस्लिम शासन आरंभ होने तक मिथिला के शासकों के कर्नाट वंश ने यहाँ शासन किया। बाद में भी स्थानीय क्षत्रपों ने यहाँ अपनी प्रभुता कायम रखी लेकिन अंग्रेजों के आने पर यह पहले बंगाल फिर बिहार प्रांत का अंग बन गया। 1908 ईस्वी में तिरहुत मुजफ्फरपुर जिला का हिस्सा रहा। स्वतंत्रता पश्चात 11 दिसम्बर 1972 को सीतामढी को स्वतंत्र जिला का दर्जा मिला, जिसका मुख्यालय सीतामढ़ी को बनाया गया।

जिला मुख्यालय  = सीतामढ़ी

जनसंख्या (2011)          = 3423574

विकास दर        = 27.62%

लिंग अनुपात     = 899

साक्षरता             = 52.05

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 2199

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1491

 

 

सीवान या सिवान :

 

सीवान या सिवान भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त में सारन प्रमंडल के अंतर्गत एक जिला तथा शहर है। यह बिहार के उत्तर पश्चिमी छोर पर उत्तर प्रदेश का सीमावर्ती जिला है। जिला मुख्यालय सिवान शहर दाहा नदी के किनारे बसा है। इसके उत्तर तथा पूर्व में क्रमश: बिहार का गोपालगंज तथा सारण जिला तथा दक्षिण एवं पश्चिम में क्रमश: उत्तर प्रदेश का देवरिया और बलिया जिला है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा॰ राजेन्द्र प्रसाद तथा कई अग्रणी स्वतंत्रता सेनानियों की जन्मभूमि एवं कर्मस्थली के लिए सिवान को जाना जाता है।

 

इतिहास

पाँचवी सदी ईसापूर्व में सिवान की भूमि कोसल महाजनपद का अंग था। कोसल राज्य के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में सर्पिका (साईं) नदी, पुरब में गंडक नदी तथा पश्चिम में पांचाल प्रदेश था। इसके अंतर्गत आज के उत्तर प्रदेश का फैजाबाद, गोंडा, बस्ती, गोरखपुर तथा देवरिया जिला के अतिरिक्त बिहार का सारन क्षेत्र (सारन, सिवान एवं गोपालगंज) आता है। आठवीं सदी में यहाँ बनारस के शासकों का आधिपत्य था। 15 वीं सदी में सिकन्दर लोदी ने यहाँ अपना आधिपत्य स्थापित किया। बाबर ने अपने बिहार अभियान के समय सिसवन के नजदीक घाघरा नदी पार की थी। बाद में यह मुगल शासन का हिस्सा हो गया। अकबर के शासनकाल पर लिखे गए आईना--अकबरी के विवरण अनुसार कर संग्रह के लिए बनाए गए 6 सरकारों में सारन वित्तीय क्षेत्र एक था और इसके अंतर्गत वर्तमान बिहार के हिस्से आते थे। 17वीं सदी में व्यापार के उद्देश्य से यहाँ डच आए लेकिन बक्सर युद्ध में विजय के बाद सन 1765 में अंग्रेजों को यहाँ का दिवानी अधिकार मिल गया। 1829 में जब पटना को प्रमंडल बनाया गया तब सारन और चंपारण को एक जिला बनाकर साथ रखा गया। 1908 में तिरहुत प्रमंडल बनने पर सारन को इसके साथ कर इसके अंतर्गत गोपालगंज, सिवान तथा सारन अनुमंडल बनाए गए। 1857 की क्रांति से लेकर आजादी मिलने तक सिवान के निर्भीक और जुझारु लोगों ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ी। 1920 में असहयोग आन्दोलन के समय सिवान के ब्रज किशोर प्रसाद ने पर्दा प्रथा के विरोध में आन्दोलन चलाया था। 1937 से 1938 के बीच हिन्दी के मूर्धन्य विद्वान राहुल सांकृत्यायन ने किसान आन्दोलन की नींव सिवान में रखी थी। स्वतंत्रता की लड़ाई में यहाँ के मजहरुल हक़, राजेन्द्र प्रसाद, महेन्द्र प्रसाद, फूलेना प्रसाद जैसे महान सेनानियों नें समूचे देश में बिहार का नाम ऊँचा किया है। स्वतंत्रता पश्चात 1981 में सारन को प्रमंडल का दर्जा मिला। जून 1970 में बिहार में त्रिवेदी एवार्ड लागू होने पर सिवान के क्षेत्रों में परिवर्तन किए गए। सन 1885 में घाघरा नदी के बहाव स्थिति के अनुसार लगभग 13000 एकड़ भूमि उत्तर प्रदेश को स्थानान्तरित कर दिया गया जबकि 6600 एकड़ जमीन सिवान को मिला। 1972 में सिवान को जिला (मंडल) बना दिया गया। याहाँ एक गावँ है, हसनपूरा।

 

जिला मुख्यालय  = सिवान

जनसंख्या (2011)          = 3330464

विकास दर        = 22.70%

लिंग अनुपात     = 988

साक्षरता             = 69.45

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 2219

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1495

 

 

सुपौल :

 

सुपौल बिहार का एक जिला है। सुपौल जिला वर्तमान सहरसा जिले से 14 मार्च 1991 में विभाजित होकर अस्तित्व में आया।सहरसा फारबिसगंज रेलखंड पर सुपौल स्थित है। सांस्कृतिक रूप से यह काफी समृद्ध जिला है नेपाल से करीब होने के कारण यह सामरिक रूप से काफी महत्त्वपूर्ण है। सुपौल की स्थापना पाल वंश के शासकों द्वारा की गई थी।क्षेत्रफल के अनुसार यह कोसी प्रमंडल का सबसे बड़ा जिला है, वीरपुर,त्रिवेणीगंज,निर्मली,सुपौल आदि इसके अनुमंडल है। पर्यटन स्थलों में गणपतगंज का विष्णु मंदिर,धरहारा का महादेव मंदिर,वीरपुर में कोसी बैराज,हुलास का दुर्गा महादेव मंदिर आदि प्रमुख हैं।धान,गेहूं,मूंग,पटसन आदि की पैदावार ज्यादा की जाती है। लोकगायिका शारदा सिन्हा एवं स्व. पंडित ललित नारायण मिश्र विशिष्ट व्यक्तित्व के रूप में मशहूर हैं।प्राचीन काल में पालवंश के साम्राज्य का हिस्सा रहे सुपौल का इतिहास महाभारत काल से शुरू होता है। सुपौल नंद, मौर्य, शुंग और मिथिला राजाओं के अधीन रहा। इनके बाद मुस्लिम तथा मुगल सम्राटों ने राज किया। बाद में सुपौल भी अंग्रेजी साम्राज्य का अंग बन गया। ब्रिटिश काल में सुपौल के प्रशासनिक और सामरिक महत्व देखते हुए 1870 में इसे अनुमंडल का दर्जा दिया गया। अनुमंडल बनने के करीब 121 वर्षों के बाद सुपौल को 1991 में जिला बनाया गया। तब भरोसा यह था कि जिला बनने के बाद सुपौल का तेजी से विकास होगा, लेकिन आज भी यहां के लोगों को विकास के सूरज का इंतजार है।

 

जिला मुख्यालय  = सुपौल

जनसंख्या (2011)          = 2229076

विकास दर        = 28.66%

लिंग अनुपात     = 929

साक्षरता             = 57.67

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 2410

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 919

 

 

शिवहर :

 

शिवहर बिहार के तिरहुत प्रमंडल का एक नवगठित जिला है। इस जिले के पूरब एवं उत्तर में सीतामढी, पश्चिम में पूर्वी चंपारण तथा दक्षिण में मुजफ्फरपुर जिला है। शिवहर बिहार का सबसे छोटा एवं आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत ही पिछडा हुआ जिला है। वर्षा एवं बाढ़ के दिनों में इसका संपर्क अपने पडोसी जिलों से भी पूरी तरह कट जाता है। बज्जिका एवं हिन्दी यहाँ की मुख्य भाषाएँ है।

 

इतिहास

शिवहर पहले मुजफ्फरपुर फिर हाल तक सीतामढी जिले का अंग रहा है। इस क्षेत्र का स्थान हिंदू धर्मशास्त्रों में अति महत्वपूर्ण है। त्रेता युग में भगवान राम की पत्नी देवी सीता का जन्म सीतामढी के निकट पुनौरा में हुआ था। महाजनपद काल में यह वैशाली के बज्जिसंघ फिर मगध साम्राज्य का हिस्सा बना। भौगोलिक दृष्टिकोण से शिवहर तिरहुत का अंग रहा है। 13वीं सदी में मुस्लिम शासन आरंभ होने तक इस क्षेत्र में मिथिला के शासकों ने शासन किया। बाद में भी स्थानीय क्षत्रपों ने यहाँ अपनी प्रभुता कायम रखी लेकिन अंग्रेजों के आने पर यह पहले बंगाल फिर बिहार प्रांत का अंग बन गया। 1908 ईस्वी में तिरहुत के प्रमंडल बनने पर यह मुजफ्फरपुर जिला का हिस्सा बना। कुछ वर्ष पूर्व 6 अक्टूबर 1994 को शिवहर को स्वतंत्र जिले का दर्जा मिला।

 

जिला मुख्यालय  = शिवहर

जनसंख्या (2011)          = 656246

विकास दर        = 27.19%

लिंग अनुपात     = 893

साक्षरता             = 53.78

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 443

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 1882

 

 

शेखपुरा :

 

शेखपुरा भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त में स्थित एक शहर एवं जिला है।

 

जिला मुख्यालय = शेखपुरा

जनसंख्या (2011)          = 636342

विकास दर        = 21.09%

लिंग अनुपात     = 930

साक्षरता             = 63.86

क्षेत्र (वर्ग किमी)   = 689

घनत्व (/ वर्ग किमी)        = 922

 


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