A DOG NAMED DUKE
COMMUNICATIVE ENGLISH
CLASS-IX (TERM-I)
Summary in English
- By William.D.Ellis
Duke was a huge Doberman, weighing 23 kilos, with red coat and a fawn vest. Chuck Hooper prevailed upon his wife, Marcy, and bought him because he was very impressed with the energy and agility of the dog. Hooper himself had an athletic built and professionally also he was fortunate to be the Zonal Sales Manager of a chemical company. But good luck did not last long and one unlucky day, Hooper met with an accident. Hooper had to be admitted to the hospital, due to a haemorrhage in the motor section of his brain, completely paralysing his left side.
Hooper remained critical for a month. Exercises, baths, wheeled walker, nothing worked. He was discharged from the hospital and became very depressed since he was lonely at home, with Marcy being away at work. In his first meeting with Duke, after his accident, Duke shouted, charged at Hooper and hit him above the belt, making him struggle to keep his balance. Perhaps the dog sensed his master’s need and from that moment, he never left Hooper’s side. But Hooper remained grim and didn’t
reciprocate at all. One fine day, Duke appeared to be in no mood to tolerate his master’s indifference. He nudged, needled, poked and snorted. By chance, Chuck’s right hand hooked onto Duke’s collar to hold him still Duke pranced, Chuck asked Marcy to make him stand, and in a few seconds as he straightened his left foot to drag forward, he had taken a step. Chuck was exhausted but a beginning was made. Next day, Duke walked to the end of the leash and tugged. Chuck managed to take four steps. In two weeks, both of them managed to reach the front porch and by next month, they were along the sidewalk. Seeing this progress, the doctor prescribed a course of physiotherapy with weights, pulleys and whirlpool baths. Soon Duke began walking with Hooper, without pausing and relaxing at each step.
On January 4, Hooper managed to walk to his district office without Duke. But Hooper was not mentally fit to undertake a full day’s work. There was no time for physiotherapy sessions so Chuck again took Duke’s help who pulled him along the street faster and faster. Chuck regained his stability, endurance and next year, he was promoted as the Regional Manager. Chuck, Marcy and Duke moved to a new locality. But it was not to be. One day on October 12, 1957, after being run over by a car, Duke succumbed to his injuries in a nearby hospital. People who had seen Chuck and Duke walk together, sympathised with Chuck, who walked alone now. A few weeks later, the chemical company promoted Charles Hooper to the post of Assistant National Sales Manager. As a special tribute to Duke, they called this promotion as advancing ‘towards our objective, step by step.’
Summary in Hindi
चक हूपर ने अपनी पत्नी मार्सी को मनाकर, डोबरमैन नस्ल के ड्यूक को खरीदा था। ड्यूक का वजन 23 किलो था। वह एक लाल कोट और बादामी बनियान पहने था। हूपर उसकी शक्ति और तेजी से बहुत प्रभावित हुए थे। हूपर स्वयं एक सुडौल व्यक्ति थे और एक रसायन कम्पनी में जोनल सेल्स प्रबंधक थे। परन्तु अच्छा समय हमेशा नहीं रहता और एक दिन दुर्भाग्यवश हूपर दुर्घटनाग्रस्त हो गये। हूपर को एक अस्पताल में भर्ती किया गया। उनकी बायीं ओर की दिमागी चोट ने उनके पूरे शरीर को लकवा मार दिया।
हूपर एक महीने तक गंभीर स्थिति में रहे। व्यायाम, अनेक प्रकार के स्नान, व्हील वॉकर किसी से भी उन्हें फायदा नहीं हुआ। उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी और वह घर में उदास और निराशाजनक स्थिति में रहने लगे क्योंकि वह अकेले थे और उनकी पत्नी मार्सी काम करने जाती थी। जब ड्यूक ने दुर्घटना के बाद पहली बार उन्हें देखा तो वह चिल्लाया और खुशी से दौड़कर उनकी बेल्ट के ऊपर चढ़कर धक्का दिया। हूपर को अपना संतुलन बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। शायद ड्यूक को यह आभास हो गया कि उसके मालिक को उसकी सहायता की आवश्यकता है और उसने उस दिन से हूपर का साथ नहीं छोड़ा। परन्तु हूपर ने कोई उत्साह नहीं दिखाया और वह पहले की तरह कठोर और उदास बना रहा। एक दिन ड्यूक से हूपर का यह व्यवहार सहन नहीं हुआ और वह हूपर पर लपका, उसे धक्का दिया। चक ने अपना संतुलन बनाये रखने के लिए अपने बायें हाथ से ड्यूक के कॉलर को पकड़ा और अपनी पत्नी मार्सी से सहायता माँगी। खड़े होने के लिए ड्यूक ने नाचना शुरू किया और हूपर ने अपना बायाँ पैर सीधा करके आगे बढ़ाया। वह उसकी बीमारी के बाद का पहला कदम था। हूपर बिलकुल थक गया था। परन्तु एक शुरुआत हो गई थी। दूसरे दिन ड्यूक ने अपनी रस्सी खींची और हूपर को घसीटा। हूपर चार कदम चला। दो सप्ताह में दोनों बाहर आँगन में पहुँच गए। एक महीने बाद वह सड़क पर चलने लगे। हूपर की प्रगति को देखकर डॉक्टर ने नये शारीरिक व्यायाम कराने शुरू कर दिए। शीघ्र ही हूपर, ड्यूक के साथ बिना रुके, बिना थके चलने लगा।
4 जनवरी को हूपर बिना ड्यूक के अपने जिला दफ्रतर में पहुँच गया। पर अभी भी हूपर पूरे समय, पूरे दिन काम करने योग्य नहीं हुआ था। उसने फिर से ड्यूक की सहायता ली, जो उसे सड़क पर रोज तेजी से ले जाने लगा। हूपर की सहन शक्ति और दृढ़ता बढ़ती गयी और अगले साल उसकी तरक्की हुई और उसे स्थानीय प्रबंधक बना दिया गया। चक, मार्सी और ड्यूक अब एक नए स्थान पर रहने लगे। पर ऐसा हमेशा नहीं रहना था। 12 अक्टूबर, 1957 को ड्यूक एक कार से कुचला गया और पास ही एक अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया। अब चक अकेला चलने लगा। जिन लोगों ने उसे ड्यूक के साथ चलते देखा था उन्होंने उससे पूरी सहानूभूति जताई। कुछ सप्ताह बाद, हूपर की कम्पनी ने उसे पदोन्नति देकर सहायक नेशनल विक्रेता प्रबंधक बना दिया। इस पदोन्नति को हूपर ने ड्यूक के लिए श्रद्धांजलि के स्वरूप ‘‘अपने लक्ष्य की ओर, कदम से कदम मिलाकर’’ चलने का नाम दिया।
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