कक्षा 10 विज्ञान
अध्याय 8
(जीव जनन कैसे करते)
Part-1
1. अलैंगिक जनन की मुख्य विशेषता क्या है ?
उत्तर ⇒ अलैंगिक जनन की मुख्य विशेषता है –
अलैंगिक जनन से पैदा होनेवाली संतानें आनुवंशिक गुणों में ठीक जनकों की तरह होती हैं, क्योंकि इसमें युग्मकों का संगलन नहीं होता है । इसमें निषेचन की जरूरत नहीं पड़ती है, क्योंकि युग्मकों का संगलन (fusion) नहीं होता ।
2. नर जनन तंत्र के सभी संरचनाओं के नाम लिखें।
उत्तर ⇒ नर जनन तंत्र में निम्नांकित संरचनाएँ पायी जाती हैं—दो वृषण, दो अधिवृषण, दो शुक्रवाहिनी, दो शुक्राशय एवं एक मूत्रमार्ग तथा शिश्न।
3. लैंगिक जनन का क्या महत्त्व है ?
उत्तर ⇒ सभी जीवों में गुणसूत्रों की एक संख्या निश्चित होती है। अलैंगिक जनन करने वाले में असमसूत्री या समसूत्री प्रकार का कोशिका विभाजन होता है, जिसके कारण उनमें कोई विभिन्नता नहीं आती। प्रत्येक पीढ़ी में क्रोमोसोम की संख्या भी निश्चित रहती है। लैंगिक जनन करने वालों में अर्द्धसूत्री कोशिका विभाजन होता है, जिससे उसमें भिन्नता आ जाती है। यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी बढ़ती जाती है।
4. पौधों में लैंगिक जनन कैसे होता है ?
उत्तर ⇒ पौधों में लैंगिक जनन – एन्जिओस्पर्मस (पुष्पी पौधे) में अधिकांश पुष्प द्विलिंगी होते हैं। इनमें दोनों प्रकार के जननांग होते हैं। पुमंग को नर जननांग या जायांग तथा कारपल को मादा जननांग कहते हैं। पुमंग में परागकण बनते हैं जिसे माइक्रोस्पोर भी कहते हैं। जायांग में बीजाण्ड या मेगास्पोर बनते हैं। ये अर्धसूत्री विभाजन द्वारा बनते हैं। इनके निषेचन के बाद फल तथा बीज बनते हैं। बीज के अंकुरण के बाद नन्हा पौधा बनता है।
5. शुक्रजनन नलिका के बारे में बताएँ।
उत्तर ⇒ प्रत्येक वृषण में 900 शुक्रजनन नलिका होती है, जिसके अंदर शुक्राणु का निर्माण होता है। नर्स कोशिका, शुक्राण को पोषण प्रदान करती है।
6. जनन किसी जीव की समष्टि के स्थायित्व में किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर ⇒ किसी भी स्पीशीज़ की समष्टि के स्थायित्व में जनन और मृत्यु दर में लगभग बराबरी की दर हो तो स्थायित्व बना रहता है । एक समष्टि में जन्म दर और मृत्यु दर ही उसके आधार पर निर्धारण करते हैं।
7. परागण से क्या समझते हैं ? परागण कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर ⇒ नर जनन अंग से परागकण का गमन मादा जनन अंग पर होना परागण कहलाता है । इसमें कीडे, जानवर, हवा तथा पानी सहायक होते हैं। परागण दो प्रकार के होते हैं
(i) स्वपरागण
(ii) परपरागण।
8. ऋतुस्त्राव क्यों होता है ?
उत्तर ⇒ यदि अंडकोशिका का निषेचन नहीं हो तो यह लगभग एक दिन तक जीवित रहती है। गर्भाशय भी प्रतिमाह निषेचित अंड की प्राप्ति हेत तैयारी करता है। अत: इसकी अंत:भित्ति मांसल एवं स्पॉनजी हो जाती है जो कि अंड के निषेचन होने की अवस्था में उसके पोषण के लिए आवश्यक है। परंतु निषेचन न होने की अवस्था में इस पर्त की भी आवश्यकता नहीं रहती। अतः यह पर्त धीरे-धीरे टटकर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। इस चक्र में लगभग एक मास का समय लगता है तथा इसे ऋतुस्राव या रजोधर्म कहते हैं।
9. युग्मनज से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ परिपक्व शुक्राणु, अंडाणु में पूरी तरह मिलकर युग्मनज का निर्माण करती है।
10. वर्षा होने के समय मक्का के परागण क्रिया में क्या-क्या प्रभाव पड़ सकता है ?
उत्तर ⇒ इन पौधों में आनुवंशिक विभिन्नता नहीं होती है. जिसके कारण ये पौधे पर्यावरण के उतार-चढ़ाव को झेल नहीं पाते हैं। ऐसे पौधे में पर्यावरण के साथ अनुकूलित होने की झमता कम होती है जिसके कारण उत्पादन कम होने, बीमारियाँ होने तथा मर जाने की संभावना बढ़ जाती है।
11. मानव में वृषण के क्या कार्य हैं ?
उत्तर ⇒ मानव में वृषण के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं –
(i) वृषण में शुक्राणु उत्पन्न होते हैं जो लैंगिक जनन क्रिया में सक्रिय भाग लेकर भावी पीढ़ी को जन्म देने में सहायक होते हैं।
(ii) वषण में उत्पन्न हॉर्मोन जिसे टैस्टोस्टीरोन कहते हैं, मानव शरीर में द्वितीयक जनन लक्षणों को स्थापित करने के लिए उत्तरदायी होता है ।
12. कार्पसल्यूटियम का कार्य समझाएँ।
उत्तर ⇒ कार्पसल्यूटियम प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन का स्राव करता है, जो गर्भाशय की दीवारों को काफी मोटा करता है तथा गर्भधारण में मदद करता है।
13. जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए ही लाभदायक है, परंतु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्यों ?
उत्तर ⇒ जीवों में पायी जानेवाली विभिन्नता, नई जाति के प्रादुर्भाव में मदद करता है। नये वातावरण एवं प्रतिकूल परिस्थिति में स्थायित्व कायम रखता है। यह विभिन्नता व्यष्टि के लिए लाभदायक नहीं होती है। क्योंकि किसी निश्चित स्थान पर प्राकृतिक आपदाएँ इसे नष्ट कर देती हैं।
14. गर्भ निरोधक गोलियों के बारे में बताएँ।
उत्तर ⇒ परिवार नियोजन के कई उपायों में गर्भ निरोधक गोलियाँ भी एक उपाय है। इनमें कृत्रिम प्रोजेस्टेरॉन तथा एस्ट्रोजन डाला जाता है। यह ESH एवं LH के स्राव पर प्रतिबंध लगा देता है। जिसके कारण अंडोत्सर्ग की क्रिया नहीं होती है।
15. परागण क्या है ? परागण में कीटों की क्या भूमिका होती है ?
उत्तर ⇒ परागकोष से परागकणों का प्रकीर्णन वर्तिकाग्र तक होने की प्रक्रिया को परागण कहते हैं । कीटों के द्वार पर-परागण की क्रिया होती है ।
16. द्विलिंगी जीव कौन-से होते हैं? उदाहरण लिखें।
उत्तर ⇒ वे जीव जिनमें नर तथा मादा दोनों अंग होते हैं तथा वे नर तथा मादा दोनों प्रकार के युग्मों को उत्पन्न करते हैं, उभयलिंगी अथवा द्विलिंगी जीव कहलाते हैं।
जैसे-केंचुआ।
17. डी०एन०ए० की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर ⇒ एक पीढी से दूसरी पीढी में आनवंशिक गणों का वाहक क्रोमोसोम होता है, जो D.N.A. से बना होता है। अतः इसकी प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक है।
18. परागण क्रिया निषेचन क्रिया से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर ⇒ परागकणों के परागकोश से निकलकर उसी पुष्प या उस जाति के दूसरे पुष्पों के वर्तिकान तक पहुँचने की क्रिया को परागण कहते हैं। निषेचन के अंतर्गत परागकणों के वर्तिकान तक पहुँचने के बाद निषेचन की क्रिया होती है। नर युग्मक और मादा युग्मक के संगलन को निषेचन कहा जाता है।
19. लैंगिक जनन संचारित रोगों के बारे में लिखें।
उत्तर ⇒ लैंगिक जनन संचारित रोग (sexually transmitted disease, STD) यौन संबंध से होनेवाले संक्रामक रोग को कहा जाता है । यह रोग कई तरह के रोगाणुओं, जैसे—बैक्टीरिया, वाइरस, परजीवी प्रोटोजोआ, यीस्ट जैसे सूक्ष्मजीवों द्वारा होते हैं । मनुष्य में होनेवाले ऐसे प्रमुख रोग निम्नलिखित हैं –
बैक्टीरिया जनित रोग – गोनोरिया (Gonorrhoea), सिफलिस (Syphlis), यूरेथ्राइटिस (Urethrites) तथा सर्विसाइटिस (Cervicitis) बैक्टीरिया के संक्रमण से होनेवाले कुछ प्रमुख रोग हैं।
वायरस जनित रोग – सर्विक्स कैंसर (Cervix Carcinoma), हर्पिस (Herpes) तथा एड्स (Acquired Immune Deficiency Syndrome, AIDS), इत्यादि ।
प्रोटोजोआ जनित रोग — स्त्रियों के मूत्रजनन नलिकाओं, एक प्रकार के प्रोटोजोआ के संक्रमण से होनेवाला रोग ट्राइकोमोनिएसिस (Trichomoniasis) है ।
20. एकलिंगी (Asexual) तथा द्विलिंगी (Bisexual) की परिभाषा एक-एक उदाहरण देकर कीजिए।
उत्तर ⇒ एकलिंगी –वे जीव जिनमें नर और मादा स्पष्ट रूप से अलग-अलग हों उन्हें एकलिंगी जीव कहते हैं। उदाहरण—मनुष्य।
द्विलिंगी-वे जीव जिनमें नर और मादा लिंग एक साथ उपस्थित होते हैं उन्हें द्विलिंगी कहते हैं। उदाहरण केंचुआ।
21. कायिक प्रवर्धन को परिभाषित करें। यह किन पौधों में करते हैं ?
उत्तर ⇒ कायिक पादप शरीर का कोई भी कायिक या वर्षी भाग (जैसे—जड़, तना, पत्ती) विलग और परिवर्द्धित होकर नए पौधों का निर्माण करते हैं, कायिक प्रवर्धन कहलाता है। कायिक प्रवर्धन मुख्यतः गुलाब, आलू, ब्रायोफाइलम आदि में किया जाता है।
22. मुकुलन क्या है ?
उत्तर ⇒ मुकुलन एक प्रकार का अलैंगिक जनन है। जिसमें जीवों की उत्पति जनक के शरीर के धरातल से कलिका फूटने या प्रवर्ध निकलने के फलस्वरूप होता है।
इस प्रक्रिया में जीव शरीर के किसी भाग से एक या एक से अधिक कंदरूपी उभार निकलता है। जिसे मुकुल या बड (Bud) कहते हैं। उसके बाद जनक कोशिका केन्द्रक मुकुल में पहुँच जाता है। केन्द्रकयुक्त मुकुल जनक के शरीर से विलग होकर नए जीव का निर्माण करता है।
चित्र – यीस्ट में मुकुलन
23. पौधों में लैंगिक जनन के लिए कौन-सा भाग उत्तरदायी है ? समझाएँ।
उत्तर ⇒ पौधों में लैंगिक जनन के लिए पुष्प उत्तरदायी होता है । पुष्प के चार भाग होते हैं, जिसमें नर जनन अंग तथा मादा जनन अंग दोनों पाए जाते हैं। नर जनन अंग को पुशंग तथा मादा जनन अंग को जायांग कहते हैं।
24. बहुखंडन किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ एक कोशिकीय जीवों में कोशिका विभाजन द्वारा नए जीव की उत्पत्ति होती है इसमें कोशिका अनेक संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाते हैं । जैसे मलेरिया परजीवी, प्लैज्मोडियम ।
25. मासिक चक्र कब और क्यों होता है ?
उत्तर ⇒ जब परिपक्व अंडाणु, शुक्राणु से संयोजन नहीं कर पाता है, तो टूट जाता है, जिसके साथ आंतरिक दीवार एवं अन्य उत्सर्जी पदार्थ बाहर निकलते हैं, इसे मासिक चक्र कहते हैं। यह 28 दिनों के अंतराल पर होता है।
26. शुक्राणु का निर्माण कहाँ तथा कैसे होता है ?
उत्तर ⇒ शुक्राणु का निर्माण वृषण (testes) में होता है। यह लगातार कोशिका विभाजन के कारण होता है। संतति कोशिका धीरे-धीरे शुक्राणु में बदल जाती है।
27. एक प्ररूपी पुष्प के सहायक अंग एवं आवश्यक अंग में क्या भिन्नता है ?
उत्तर ⇒ एक प्ररूपी पुष्प (typical flower) में चार प्रकार के. पुष्पपत्र होते है
(i) बाह्यदलपुंज (Calyx),
(ii) दलपुंज (Corolla),
(iii) पुमंग (Androecium),
(iv) जायांग (Gynoecium) इनमें से दो बाहरी चक्रों यानी बाह्यदलपुंज एवं दलपुंज को सहायक अंग(accessory organs) एवं भीतरी दो चक्रों यानी पुमंग और जायांग को आवश्यक अंग (essential organs) कहा जाता है। सहायक अंग फूल को आकर्षक बनाने के साथ आवश्यक अंगों की रक्षा भी करते हैं तथा आवश्यक अंग जनन का कार्य करत हैं। इनमें यही भिन्नता है।
चित्र पुष्प का अनुदैर्घ्य काट
28. एक-कोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अंतर है ?
उत्तर ⇒ एक कोशिकीय जीव अधिकतर विखंडन, मुकुलन, पुनरुद्भवन, बहुखंडन आदि विधियों से जनन करते हैं। इनमें सिर्फ एक कोशिका ही होता है। वे सरलता से काशिका विभाजन के द्वारा तेजी से जनन कर सकते हैं। बहकोशिकीय जीवों में जनन क्रिया जटिल होती है और वे मख्य रूप से लैंगिक जनन क्रिया ही होती है।
Part-2
प्रश्न 1. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ हैं ?
अथवा
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं, व्याख्या कीजिए।
उत्तर⇒ अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन अधिक श्रेष्ठ है।
इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
(i) लैंगिक जनन में शुक्राणु तथा अंडाणु के सायुजन के कारण DNA द्वारा पैतृक गुण वर्तमान पीढ़ी के सदस्य में हस्तान्तरित हो जाते हैं जो जीवित रहने के लिए अधिक शक्तिशाली होते हैं जबकि अलैंगिक जनन में एकल DNA होने के कारण जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है ।
(ii) लैंगिक जनन में DNA की दोनों प्रतिकृतियों में कुछ न कुछ अंतर अवश्य होते हैं जिनके परिणामस्वरूप नई पीढ़ी के सदस्य जीव में भिन्नता अवश्य दिखाई देती है जबकि अलैंगिक जनन में भिन्नता नहीं दिखाई देती । यदि उसमें किसी कारण से भिन्नता आ जाती है तो जीव की मृत्यु हो जाती है।
(iii) लैंगिक जनन उद्विकास में बहुत सहायक है जबकि अलैंगिक जनन उद्विकास में सहायक नहीं है।
प्रश्न 2. कायिक प्रवर्धन को परिभाषित करें।
उत्तर⇒ जब पौधों के किसी भी अंग से नया पौधा तैयार हो तो उसे कायिक प्रवर्धन कहते हैं।
प्रश्न 3. परागण किसे कहते हैं? स्वपरागण तथा परपरागण में क्या अंतर है? कोई चार अंतर लिखें।
उत्तर⇒ परागकोष से परागकण के स्त्रीकेसर में स्थानांतरण को परांगण कहते हैं।
स्वपरागण |
परपरागण |
परागकण उसी फूल के या उसी पौधे के दूसरे फूल के वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं। |
परागकण किसी दूसरे पौधे के फूल के वर्तिकान पर पहुँचते हैं। |
परागकणों के नष्ट होने की सम्भावना कम होती है। |
परागकणों के नष्ट होने की सम्भावना अधिक होती है। |
इस क्रिया से उत्पन्न बीज अधिक स्वस्थ नहीं होते। |
इस क्रिया से उत्पन्न बीज अधिक स्वस्थ होते हैं। |
इस क्रिया से नई जातियाँ उत्पन्न नहीं होती। |
इस क्रिया से नई जातियाँ उत्पन्न होती हैं। |
प्रश्न 4. गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर⇒ गर्भनिरोधक युक्तियाँ मुख्य रूप से गर्भ रोकने के लिए ही अपनाई जाती हैं। इनसे बच्चों की आयु में अंतर बढ़ाने में भी सहयोग लिया जा सकता है। कंडोम के प्रयोग में यौन संबंधी कुछ रोगों के संक्रमण से भी बचा जा सकता है।
प्रश्न 5. मानव नर-जनन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइये।
उत्तर⇒
चित्र : मानव का जनन तंत्र
प्रश्न 6. DNA प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है? अथवा, DNA की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक क्यों है?
उत्तर⇒ DNA गुणसूत्रों पर स्थित होते हैं जो कोशिका के केन्द्रक में उपस्थित होते हैं । ये जनन की विशेष सूचना को धारण करनेवाली प्रोटीन के निर्माण के लिए उत्तरदायी होते हैं। प्रत्येक प्रकार की सूचना के लिए विशिष्ट प्रकार की प्रोटीन उत्तरदायी होती है। DNA के अणुओं में आनुवंशिक गुणों का संदेश होता है जो जनक से संतति पीढ़ी में जाता है।
प्रश्न 7. पुष्प की अनुदैर्ध्य काट का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर⇒
चित्र : पुष्प की अनुदैर्ध्य काट
प्रश्न 8. एककोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन-पद्धति में क्या अंतर है?
उत्तर⇒ एक कोशिक प्रायः विखंडन मुकुलन, पुनरुद्भवन, बहुखंडन आदि विधियों से जनन करते हैं। उनमें केवल एक ही कोशिका होती है। वे सरलता से कोशिका विभाजन के द्वारा तेजी से जनन कर सकते हैं। बहुकोशिक जीवों में जनन क्रिया जटिल होती है और वह मुख्य रूप से लैंगिक जनन क्रिया ही होती है।
प्रश्न 9. ऋतुस्राव क्यों होता है ?
उत्तर⇒ यदि नारी शरीर में निषेचन नहीं हो, तो अंड कोशिका लगभग एक दिन तक जीवित रहती है। अंडाशय हर महीने एक अंड का मोचन करता है और निषेचित अंड की प्राप्ति हेतु गर्भाशय भी हर महीने तैयारी करता है। इसलिए, इसकी “अंत:भित्ति मांसल एवं स्पोंजी हो जाती है। यह अंड के निषेचन होने की अवस्था में उसके पोषण के लिए आवश्यक है। लेकिन निषेचन न होने की अवस्था में इस पर्त की भी आवश्यकता नहीं रहती। इसलिए यह पर्त धीरे-धीरे टूटकर योनि मार्ग में रुधिर एवं म्यूकस के रूप में बाहर निकल जाती है। इस वक्र में लगभग एक मास का समय लगता है। इसे ऋतुस्राव अथवा रजोधर्म कहते हैं। इसकी अवधि लगभग 2 से 8 दिनों की होती है।
प्रश्न 10. पौधों में द्विनिषेचन का वर्णन कीजिए।
उत्तर⇒ परागकण वर्तिकान पर गिरकर फूल जाते हैं। इनसे परागनलिका निकलती है जिसमें 3 नर युग्मक होते हैं। नर तथा मादा युग्मक का संयोग ही निषेचन है। इसके बाद युग्मनज बनता है । यह द्विगुणित होता है । दूसरा नर युग्मक
चित्र : वर्तिकाग्र पर परागकणों पर अंकुरण
द्वितीय केन्द्रक के साथ मिलकर त्रिगुणित केन्द्रक बनाता है। यह क्रिया त्रिसमेकन कहलाती है । चूँकि निषेचन दो बार होता है, अतः इसे द्विनिषेचन कहते हैं । द्विनिषेचन का वर्णन सर्वप्रथम नावासचिन (1898) ने किया था।
प्रश्न 11. मुकुलन क्या है ?
उत्तर⇒ शरीर पर एक ऊर्ध्व संरचना बनती है जिसे मुकुलन कहते हैं । शरीर का केन्द्रक दो भागों में विभक्त हो जाता है और उनमें से एक केन्द्रक मुकुलन पैतृक जीव से अलग होकर वृद्धि करता है और पूर्ण विकसित जीव बन जाता है। जैसे यीस्ट, हाइड्रा तथा ल्यूकोसोलिनिया (स्पंज) आदि ।
प्रश्न 12. जनन कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर⇒ सजीव में जनन दो प्रकार से होता है–
(i)अलैंगिक जनन-अलैंगिक जनन के लिए नर एवं मादा के जनन अंगों का कोई उपयोग नहीं होता है। अतः, एकल जीव प्रायः अलैंगिक जनन ही करते हैं।
अलैंगिक जनन निम्न प्रकार के होते हैं-(i) विखंडन, (ii) मुकुलन, (iii) जीवाणु जनन, (iv) पुनर्जनन तथा (v) कायिक प्रवर्धन।
(ii)लैंगिक जनन-लैंगिक जनन के लिए नर एवं मादा जनन अंगों का पारस्परिक सम्मिलन आवश्यक होता है। अतः, इसके लिए किसी जाति के दो व्यक्तियों (एक नर, एक मादा) की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 13. हम अपने माता-पिता के समान क्यों होते हैं ?
उत्तर⇒ 1902 ई. में सटन और बॉवेरी नामक वैज्ञानिकों ने स्वतंत्र रूप से आनुवंशिकी के गुणसूत्र सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
इस सिद्धांत के अनुसार–
मेण्डल ने आनुवंशिकता के लिए जिन कारकों को उत्तरदायी बताया था वे जीन हैं जो गुणसूत्रों पर स्थित होते हैं। गुणसूत्रों का ही पृथक्करण होता है और उन्हीं का स्वतंत्र अपव्यूहन होता है। स्वतंत्र अपव्यूहन की घटना अर्द्धसूत्री कोशिका विभाजन के समय घटित होती है।
अर्द्धसूत्री कोशिका विभाजन के समय गुणसूत्रों का क्रॉसिंग ओवर होता है। उसी समय जब काइएज्मा बनता है तब जीनों की अदला-बदली और पुनर्योजन होता है। जीन जोड़ों में गुणसूत्रों से संयुक्त होते हैं। परन्तु, अर्द्धसूत्रण के समय अलग हो सकते हैं। इस प्रकार गुणसूत्र ही आनुवंशिकता के लिए उतरदायी होते हैं। इसीलिए हम अपने माता-पिता के समान होते हैं।
प्रश्न 14. नर-जनन तथा मादा-जनन हॉर्मोनों के नाम तथा कार्य लिखें।
उत्तर⇒ नर-जनन हॉमोन के नाम–टेस्टोस्टेरॉन
टेस्टोस्टेरॉन के कार्य–शुक्राणुओं का निर्माण
मादा-जनन हॉर्मोन के नाम–एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्टरॉन
एस्ट्रोजन के कार्य–द्वितीय लैंगिक लक्षणों का विकास एवं जनन शक्ति का विकास
प्रोजेस्टरौन के कार्य–भ्रूण के विकास में सहायक, भ्रूण के पोषण में सहायक ।
प्रश्न 15. गुणसूत्र का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर⇒
चित्र: वर्तिकाग्र पर परागकणों पर अंकुरण
प्रश्न 16. परागण क्या है ? परपरागण का वर्णन करें।
उत्तर⇒ पुंकेसर के परागकोश से स्त्रीकेसर के वर्तिकान पर पराग कणों के स्थानांतरण को परागण कहते हैं । पराग कणों का यह स्थानांतरण जब एक ही फूल में अथवा एक ही पौधे के दो फूल के बीच होता है तब इसे स्वपरागण कहते हैं। स्वपरागण करनेवाले फूल अधिकतर आभाहीन तथा सफेद होते हैं। जब यह परागण क्रिया एक ही जाति के दो अलग-अलग पौधों के फूलों के बीच होती है तब उसे परपरागण कहते हैं । परपरागण करने वाले फूल अधिकतर रंगीन तथा आकर्षक होते
चित्र : परागण
हैं। परपरागण के समय, परागकणों का स्थानांतरण हवा द्वारा, पानी द्वारा अथवा कीटों द्वारा होता है। परागण के फूल में निषेचन क्रिया होती है जिसके उपरान्त बीज तथा फल बनते हैं। स्वपरागण को आटोगैमी कहते हैं तथा परपरागण को एलोगैमी कहा जाता है।
प्रश्न 17. एक-लिंगी और द्विलिंगी जीव की परिभाषा एक-एक उदाहरण के साथ दीजिए।
उत्तर⇒ एकलिंगी जीव–जिस जीव में नर और मादा अलग-अलग होते हैं उसे एकलिंगी जीव कहते हैं। उदाहरण-मनुष्य।
द्विलिंगी जीव–जिस जीव में नर और मादा दोनों उपस्थित होते हैं उसे द्विलिंगी जीव कहते हैं। उदाहरण- केंचुआ।
प्रश्न 18. लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में कोई पाँच अन्तर लिखें।
उत्तर⇒
लैंगिक
जनन |
अलैंगिक
जनन |
लैंगिक
जनन में नर और मादा
दोनों की आवश्यकता पड़ती
है। |
अलैंगिक
जनन में नर तथा मादा
दोनों की आवश्यकता नहीं
पड़ती है। |
उच्च
स्तर के प्राणियों में
ही इस प्रकार का
जनन होता है। |
यह
निम्न श्रेणी के जीवों में
होता है। |
लैंगिक
जनन में निषेचन क्रिया के बाद जीवों
का निर्माण होता है। |
अलैंगिक
जनन में निषेचन क्रिया होता नहीं होती है। |
इस
जनन द्वारा उत्पन्न संतान में नये-नये गुण विकसित हो सकते हैं। |
इस
विधि द्वारा उत्पन्न संतान में नये गुण नहीं आ सकते हैं। |
लैंगिक
जनन में बीजाणु उत्पन्न बीजाणु उत्पन्न हो सकते हैं। |
इस
क्रिया में एक कोशिकीय नहीं
होते हैं। |
प्रश्न 19. द्विखंडन बहुखंडन से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर⇒
द्विखंडन |
बहुखंडन |
कोशिका
के चारों ओर सिस्ट अथवा
रक्षी भित्ति नहीं बनती है। |
कोशिका
के चारों ओर सिस्ट अथवा
रक्षी भित्ति बन जाती है। |
द्विखंडन
में बहुखंडन की तरह की
कोई प्रक्रिया नहीं होती है |
सिस्ट
के भीतर कोशिका का केन्द्रक कई
बार खंडित होकर अनेक छोटे छोटे केन्द्रक बनाता है जो संतति
केन्द्रक कहलाते हैं। प्रत्येक संतति केन्द्रक के चारों ओर
कुछ कोशिका द्रव्य एकत्रित हो जाता है
और उसके चारों ओर पतली झिल्लियाँ
बन जाती हैं। |
जनक
जीव खंडित होकर दो नये को
जीवों का जन्म देता
है। |
जब
सिस्ट फटती है तब उसमें
उपस्थित अनेक संतति कोशिकाएँ निकल आती हैं जो नए जीवों
को उत्पन्न करती हैं। |
प्रश्न 20. परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर⇒
परागण |
निषेचन |
वह
क्रिया जिसमें परागकण स्त्री-केसर के वर्तिकाग्र तक
पहुँचते हैं, परागण कहलाती है। |
वह
क्रिया जिसमें नर युग्मक और
मादा युग्मक मिलकर युग्मनज बनातेहैं, निषेचन कहलाती है। |
यह
जनन क्रिया का प्रथम चरण
है। |
यह
जनन क्रिया का दूसरा चरण
है। |
परागण
क्रिया दो प्रकार की
होती है-स्व-परागण
और पर-परागण। |
निषेचन
क्रिया भी दो प्रकार
की होती है-बाह्य निषेचन
एवं आंतरिक निषेचन। |
परागकणों के वर्तिकान पर स्थानान्तरणों
(शुक्राणु) के मादा युग्मक (अंडाणु) के साथ संयोजन को निषेचन कहते हैं।
प्रश्न 21. वर्षा होने के समय मक्का के परागण क्रिया में क्या-क्या प्रभाव पड़ सकता है ?
उत्तर⇒ मक्का के पौधों में वायु परागण होता है। मक्का के पौधों में नर पुष्प एक मंजरी के रूप में शिखर पर लगते हैं जबकि मादा पुष्प पत्ती की कक्षा में नीचे की तरफ लगते हैं । वर्षा के समय परागकण भींग जाएँगे, जिससे वे वर्तिकान तक नहीं पहुंच पाएँगे।
प्रश्न 22. हाइड्रा में मुकुलन को चित्र द्वारा दिखाएँ।
उत्तर⇒
चित्र : हाइड्रा में मुकुलन द्वारा प्रजनन
प्रश्न 23. पुनरुद्भवन (पुनर्जनन) किसे कहते हैं ? प्लेनेरिया में पुनरुद्भवन की क्रिया चित्र द्वारा प्रस्तुत करें। अथवा, चित्र में दर्शायी गई घटना का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर⇒ शरीर के किसी कटे हुए भाग से नए जीव का निर्माण पुनरुद्भवन या पुनर्जनन कहलाता है । चित्र प्लैनेरिया में पुनरुद्भवन को दर्शाता है। इसके अन्तर्गत प्लैनेरिया के चाहे जितने टुकड़े हो जायें, प्रत्येक टुकड़ा स्वतंत्र प्लैनेरिया के रूप में विकसित होता है।
प्रश्न 24. बीजाणु द्वारा जनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है?
उत्तर⇒ बीजाणु द्वारा जनन से जीव लाभान्वित होता है, क्योंकि बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है, और नम सतह के संपर्क में आने पर वह वृद्धि करने लगती है।
प्रश्न 25. शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है ?
उत्तर⇒ शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि अपना स्राव शुक्र वाहिका में डालते हैं जिससे शुक्राणु एक तरल माध्यम में आ जाते हैं। इसके कारण इनका स्थानांतरण सरलता से होता है। साथ ही, यह स्राव उन्हें पोषण भी प्रदान करता है।
प्रश्न 26. जनन किसी स्पीशीज की समष्टि के स्थायित्व में किस प्रकार सहायक है?
उत्तर⇒ किसी भी स्पीशीज की समष्टि के स्थायित्व में जनन और मृत्यु का बराबर का महत्त्व है। यदि जनन और मृत्य-दर में लगभग बराबरी की दर हो तो स्थायित्व बना रहता है। एक समष्टि में जन्म-दर और मृत्यु-दर ही उसके आधार का निर्धारण करते हैं।
प्रश्न 27. माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता
उत्तर⇒ गर्भस्थ भ्रूण को माँ के रुधिर से पोषण प्राप्त होता है। इसके लिए प्लेसेंटा की संरचना प्रकृति के द्वारा की गई है। यह एक तश्तरीनुमा संरचना है जो गर्भाशय की भित्ति में धंसी होती है। इसमें भ्रूण की ओर से ऊतक के प्रवर्ध होते हैं। माँ के ऊतकों में रक्त स्थान होते हैं जो प्रवर्ध को ढांपते हैं। ये माँ से भ्रूण को ग्लूकोज, ऑक्सीजन और अन्य पदार्थ प्रदान करते हैं।
प्रश्न 28. परागण क्रिया, निषेचन से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर⇒
परागण |
निषेचन |
वह
क्रिया जिसमें परागकण स्त्री-केसर वर्तिकान तक पहुँचते हैं,
परागण कहलाती के है। |
वह
क्रिया जिसमें नर युग्मक और
मादा युग्मक मिलकर युग्मनज बनाते हैं, निषेचन कहलाती है। |
यह
जनन क्रिया का प्रथम चरण
है। |
यह
जनन क्रिया का दूसरा चरण
है। |
परागण
क्रिया दो प्रकार की
होती है-स्व-परागण
और पर-परागण । |
निषेचन
क्रिया भी दो प्रकार
की होती है-बाह्य निषेचन
एवं आंतरिक निषेचन । |
प्रश्न 29. क्या आप कुछ कारण सोच सकते हैं जिससे पता चलता हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नई संतति उत्पन्न नहीं कर सकते ?
उत्तर⇒ जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नई संतति उत्पन्न नहीं कर सकते, क्योंकि अधिकतर बहुकोशिक जीव विभिन्न कोशिकाओं समूह मात्र ही नहीं हैं। विशेष कार्य हेतु विशिष्ट कोशिकाएँ संगठित होकर ऊतक का निर्माण करती हैं तथा ऊतक संगठित होकर अंग बनाते हैं, शरीर में इनकी स्थिति भी निश्चित होती हैं। ऐसी सजग व्यवस्थित परिस्थिति में कोशिका-दर-कोशिका विभाजन अव्यवहारिक है।
प्रश्न 30. मानव में वृषण के क्या कार्य हैं ?
उत्तर⇒ मानव के शरीर में वषण संख्या में दो होते हैं जो शरीर के बाहर त्वचा की एक थैली, वृषण कोष में स्थित होते हैं।
वृषण के निम्नलिखित कार्य हैं—
(i) वृषण में शुक्राणु उत्पन्न होते हैं जो लैंगिक जनन क्रिया में सक्रिय भाग लेकर भावी पीढ़ी को जन्म देने में सहायक होते हैं।
(ii) वृषण में टेस्टोस्टीरोन नामक हार्मोन उत्पन्न होता है जो मानव शरीर में द्वितीयक जनन लक्षणों को स्थापित करने के लिए उत्तरदायी होता है।
प्रश्न 31. यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौन-से परिवर्तन दिखाई देते
उत्तर⇒ यौवनारंभ के समय लड़कियों में निम्न परिवर्तन दिखाई देते हैं—
(i) शरीर के कुछ नए भागों; जैसे-काँख और जाँघों के मध्य जननांगी क्षेत्र में बाल गुच्छ निकल आते हैं।
(ii) हाथ, पैर पर महीन रोम आ जाते हैं।
(iii) त्वचा तैलीय हो जाती है। कभी-कभी मुहाँसे निकल आते हैं।
(iv) वक्ष के आकार में वृद्धि होने लगती है।
(v) स्तनाग्र की त्वचा का रंग गहरा होने लगता है।
(vi) रजोधर्म होने लगता है।
प्रश्न 32. कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर⇒ कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग किया जाता है क्योंकि—
(i) कुछ पौधे बीजरहित होते हैं अथवा लम्बी सुषुप्तावस्था में बीज उत्पन्न करते हैं।
(ii) आनुवांशिक गुण जनन संतति में कायम रहते हैं।
(iii) कुछ पौधों का विकास तीव्र गति से किया जाता है।
प्रश्न 33. जंतु परागण क्या है ?
उत्तर⇒ जंतु परागण में कीट, गिलहरी, चिड़िया, बन्दर व हाथी सहायक होते हैं । परागकण जन्तुओं के पैरों में चिपक जाते हैं तथा दूसरे पुष्पों तथा पहुँच जाते हैं।
प्रश्न 34. कंडोम क्या है?
उत्तर⇒ यह परिवार नियोजन का एक साधन है। पुरुष द्वारा इसका उपयोग करने से शुक्राणु मादा के गर्भाशय में नहीं पहुँच पाते जिससे गर्भधारण की कोई संभावना नहीं होती।
प्रश्न 35. पैरामीशियम में अलैंगिक जनन का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर⇒ यह एमाइटोसिस द्वारा होता है तथा कोई युग्मक भाग नहीं लेते हैं। पैरामीशियम में अलैंगिक जनन अनुप्रस्थ द्विखण्डन द्वारा होता है। यह अनुकूल दशाओं में होता है। एक पैरामीशियम से दो पुत्री पैरामीशियम बन जाते हैं।
प्रश्न 36. मीनार्की तथा रजोनिवृत्ति में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर⇒
मीनाकी | रजोनिवृत्ति |
स्त्री में रजोधर्म का प्रारम्भ मीनार्की है। | स्त्री में रजोधर्म का बंद होना रजोनिवृत्ति है। |
यह 11-13 वर्ष की आयु में होता है । | यह 40-50 वर्ष की आयु में होता है। |
प्रश्न 37. लैंगिक जनन का क्या अर्थ है ? इसकी क्या शर्त है ?
उत्तर⇒ लैंगिक जनन एक कोशिकीय तथा बहुकोशिकीय दोनों जीवों में होता है, लेकिन कुछ पौधे तथा जंतुओं में, जैसे-केंचुआ, हाइड्रा में एक ही जीव नर तथा मादा दोनों युग्मकों को उत्पन्न करता है । ऐसे जीवों को उभयलिंगी या द्विलिंगी जीव कहते हैं । लैंगिक जनन में जीव की लिंग कोशिकायें या युग्मक अर्धसूत्री कोशिका विभाजन द्वारा बनते हैं। ये अगुणित होते हैं।
प्रश्न 38. संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है।
उत्तर⇒ निषेचन प्रक्रम के दौरान शुक्राणु एवं अंडाणु का संलयन होता है । दोनों में समान गुणसूत्र होते हैं। समसूत्रण के समय गुणसूत्रों की संख्या नर और मादा के गुणसूत्रों के साम्मिलन के कारण दुगुनी हो सकती है । परन्तु, अर्धसूत्रण के कारण उनकी यह संख्या आधी हो जाती है। इस प्रकार संततियों में जनको के समान ही गुणसूत्र रहते हैं । इस प्रकार आनुवंशिक योगदान में नर एवं मादा की साझेदारी समान होती है।
प्रश्न 39. पौधों में लैंगिक जनन कैसे होता है ?
उत्तर⇒ एंजिओस्पर्मस (पुष्पी पौधे) में अधिकांश पुष्प द्विलिंगी होते हैं। इनमें दोनों प्रकार के जननांग होते हैं। पुमंग को नर जननांग या जायांग तथा कारपल को मादा जननांग कहते हैं। पुमंग में पराग कण बनते हैं जिसे माइक्रोस्पोर भी कहते हैं । जायांग में बीजाण्ड या मेगास्पोर बनते हैं। ये अर्धसूत्री विभाजन द्वारा बनते हैं। इनके निषेचन के बाद फल तथा बीज बनते हैं। बीज के अंकुरण के बाद नन्हा पौधा बनता है।
प्रश्न 40. जंतुओं में निषेचन के महत्त्व को समझाइए।
उत्तर⇒ निषेचन का महत्त्व निम्नलिखित हैं—
(i) शुक्राणु का प्रवेश अण्डाणु को सक्रिय करता है।
(ii) इनके संयोग से युग्मनज बनता है।
(iii) इनके संयोग से जीव में गुणसूत्रों की संख्या द्विगुणित, अर्थात् पैतृकों के समान हो जाती है।
(iv) संतानों में विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं।
प्रश्न 41. परागण से लेकर पौधे में बीज बनने तक सभी अवस्थाएँ लिखिए।
उत्तर⇒ परागकोश में परागकण परिपक्व होने के बाद हवा, पानी या कीटों द्वारा स्त्रीकेसर के वर्तिकान पर पहुँच जाते हैं। इस प्रक्रिया को परागण कहते हैं। परागण के बाद परागकण से एक परागनली निकलती है। परागनली में दो नर युग्मक होते हैं। इनमें से एक नर युग्मक पराग नली में होता हुआ बीजांड तक पहुँच जाता है । यह बीजाण्ड के साथ संलयन हो जाता है जिससे युग्मनज बनता है। ऐसे संलयन को निषेचन कहते हैं।
युग्मनज माइटोटिक विधि द्वारा कई बार विभाजित होता है। निषेचन के बाद फूल के पंखुड़ी, पुंकेसर, वर्तिका तथा वर्तिकान गिर जाते हैं। बाह्य दल सूख जाता है और अंडाशय पर लगा रहता है। अंडाशय शीघ्रता से वृद्धि करता है और इसमें स्थित कोशिकायें कई बार विभाजित होकर वृद्धि करती हैं और बीज का बनना आरम्भ हो जाता है। बीज में एक नन्हा पौधा अथवा भ्रूण होता है।
प्रश्न 42. बाह्य निषेचन तथा आंतरिक निषेचन का क्या अर्थ है ? संभोग अंग क्या होते हैं ?
उत्तर⇒ बाह्य निषेचन—जब नर तथा मादा युग्मकों का संलयन मादा के शरीर के बाहर होता है तो इस संलयन को बाह्य निषेचन कहते हैं । जैसे-मेंढक में नर तथा मादा दोनों जीव संभोग करते हैं और अपने-अपने युग्मकों को पानी में छोड़ देते हैं, शुक्राणु अंडों को पानी में ही निषेचित करता है।
बाह्य निषेचन में अंडाणुओं की आन्तरिक सुरक्षा की अनुपस्थिति के कारण नष्ट होने के अवसर अधिक होते हैं, इसलिये इस बात की निश्चितता के लिए कुछ अण्डाणु निषेचित हो सकें, मादा अधिक अण्डाणु उत्पन्न करती है।
आंतरिक निषेचन—बहुत-से जीवों, जैसे-कुत्ता, बिल्ली, गाय, कीट, मनुष्य, सरीसृप, पक्षी तथा स्तनधारियों आदि में नर अपने शुक्राणुओं को मादा के शरीर के अन्दर छोडते हैं। शक्राण अंडों को मादा के शरीर के अन्दर ही निषेचित करते हैं। ऐसे निषेचन को आंतरिक निषेचन कहते हैं। शुक्राणु (वृषण से) मादा के अण्डाशय से निकले अण्डाणु से संयोग करते हैं । मादा के शरीर में निषेचन होता है। शुक्राणु के स्थानान्तरण का कार्य संभोग कहलाता है। इससे सम्बन्धित अंग संभोग अंग होते हैं।
प्रश्न 43. पौधे में लैंगिक जनन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर⇒ फूल, पौधे का जनन अंग होता है । फूल के नर भागों को पुंकेसर तथा मादा भाग को स्त्रीकेसर कहते हैं। पुंकेसर के परागकोषों में परागकण होते हैं। परागकण नर युग्मक बनाते हैं।
स्त्रीकेसर के तीन भाग होते हैं—
(i) वर्तिकाग्र,
(ii) वर्तिका तथा
(iii) अण्डाशय ।
स्त्रीकेसर के आधार वाले चौड़े भाग में अण्डाणु होते हैं । अण्डाणु में बीजाण्ड होते हैं जो मादा यग्मक बनाते हैं। पंकेसर के परागकोश में परागकणों का स्त्रीकेसर के अग्रभाग जिसे वर्तिकाग्र कहते हैं, पर पहुँचना परागण कहलाता है। परागण के बाद परागकण से एक परागनली निकलती है । परागनली में दो नर युग्मक होते हैं। इनमें से एक नर युग्मक पराग नली में से होता हुआ बीजांड तक पहुँच जाता है । यह बीजांड के साथ संलयित हो जाता है जिससे एक युग्मनज बनता है । ऐसे संलयन को निषेचन कहते हैं। युग्मनज माइटोटिक विधि द्वारा कई बार विभाजित होता है जिससे अन्ततः एक नया पौधा बन जाता है।
प्रश्न 44. चित्र का निरीक्षण करें और इस पर आधारित प्रश्नों के
(a) चित्र क्या दर्शाता है ?
(b) चित्र में प्रदर्शित घटना का विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर⇒ (a) अमीबा में अलैंगिक जनन – द्विखण्डन
(b) द्विखण्डन का विवरण- सर्वप्रथम केन्द्रक का विभाजन प्रारंभ हो जाता है। समसूत्रण विधि द्वारा समान गुणसूत्र विपरीत ध्रुवों पर जमा होते हैं। प्लाज्मा झिल्ली बीच में अंदर की ओर धंसती है तथा एक कोशिका दो भागों में विभक्त हो जाती है।
प्रश्न 45. ऊतक संवर्धन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर⇒ इस विधि में पौधे के ऊतक के एक छोटे-से भाग को काट लेते हैं। इस ऊतक को उचित परिस्थितियों में पोषक माध्यम में रखते हैं। ऊतक से एक अनियिमित ऊर्ध्व-सा बन जाता है जिसे कैलस कहते हैं। कैलस का उपयोग पुनः
चित्र : ऊतक संवर्धन
गुणन में किया जाता है । इस ऊतक का छोटा-सा भाग किसी अन्य माध्यम में रखते हैं जो पौधे में विभेदन की प्रक्रिया को उत्तेजित करता है। इस पौधे को गमलों या भूमि में लगा दिया जाता है और उनको परिपक्व होने तक वृद्धि करने दिया जाता है। ऊतक संवर्धन से आजकल ऑर्किड, गुलदाउदी, शतावरी तथा बहुत-से अन्य पौधे तैयार किये जाते हैं।
प्रश्न 46. फूल (पुष्प) के जननांगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर⇒ पुष्प के जननांग-फूल के जननांग हैं-पुंकेसर तथा स्त्रीकेसर ।
1. नर जनन अंग पुंकेसर होते हैं। पुंकेसर के अग्र भाग पर एक चपटी रचना होती है जिसे परागकोष कहते हैं। इनमें परागकोष बनते हैं तथा परिपक्व होते हैं । यह नर युग्मक कहलाते हैं। प्रत्येक पुंकेसर के दो भाग होते हैं-परागकोष तथा फिलामेन्ट । परागकोष में दो कोष होते हैं। इन्हें संयोजी जोड़ता है।
2. स्त्रीकेसर पुष्प का मादा जननांग है । इसके तीन भाग हैं : वर्तिकान, वर्तिका तथा अंडाशय वर्तिकान स्त्रीकेसर का ऊपरी, चौड़ा भाग होता है। इसी पर परागकण चिपकते हैं। इसके नीचे लम्बी वर्तिका होती है। यह अंडाशय तक होती है। अण्डाशय स्त्रीकेसर का निचला फला हआ भाग होता है। इसमें बीजाण्ड भरे रहते हैं। निषेचन के बाद यही भाग फल तथा बीज बनता है।
चित्र : पुष्प के विभिन्न भाग
नर तथा मादा युग्मकों के मिलने से युग्मनज बनता है।
(अ) स्त्री केसर, (ब) पौधों में अंडाशय का अनुप्रस्थ काट (स) पुंकेसर के भाग
47.शिशु जन्म के नियमन की विधियों का वर्णन कीजियए ।
उत्तर⇒ जन्म-नियंत्रण के उपाय ये हैं-1. अंत:गर्भाशय युक्ति 2. योनि डायाफ्राम्स, क्रीम-जैली आदि, 3. ऑपरेशन विधि । गर्भ निरोधक गोलियाँ हारमोन्स से तैयार की जाती हैं। गर्भाशय में कॉपर-T के रोपण से भ्रूण का पोषण नहीं हो पाता है।
चित्र : सेक्टोमी (नसबन्दी)
पुरुष में कण्डोम का प्रयोग किया जाता है। स्त्रियों में अवरोधक उपाय भी अपनाये जाते हैं। जैसे कॉपर-T का प्रयोग । ऑपरेशन द्वारा भी जन्म नियमन किया जाता है। पुरुषों में नसबन्दी (शुक्राणुनलिका काटकर बाँधना) तथा स्त्रियों में नलबन्दी (फैलोपियन नलिकाएँ काटकर बाँधना) द्वारा जनसंख्या नियंत्रण करते हैं।
चित्र: टयबेक्टोमी (नलबन्दी)
प्रश्न 48. यीस्ट में मुकुलन के विभिन्न पदों का वर्णन करें।
उत्तर⇒ यीस्ट में कलिकोत्पादन या मकलन_एक कोशिकीय फफूदी में कलिका द्वारा जनन होता है। पहले एक उभार बनता है तथा फिर केन्द्रक का दो भागों में विभाजन होता है। परिमाप में वृद्धि होती है तथा उसके ऊपर पुनः विभाजनों द्वारा एक श्रृंखला बन जाती है ।
चित्र: यीस्ट में कलिकोत्पादन
प्रश्न 49. मनुष्य में निषेचन क्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर⇒ मनुष्य में आन्तरिक निषेचन होता है। नर युग्मक (शुक्राणु) मादा की देह में मैथुन क्रिया द्वारा पहुँचता है। इस हेतु मैथुन अंग होते हैं। शुक्राणु अत्यन्त सक्रिय तथा सचल होता है। मादा की योनि में लाखों शुक्राणु प्रवेश करते हैं तथा वे सर्विक्स एवं गर्भाशय की ओर भ्रमण करते हैं। अंत में फैलीपियन नलिका में केवल एक शुक्राणु द्वारा अंडाणु का समगाम होता है । इसके पश्चात् मासिक धर्म बन्द हो जाता है।
चित्र: मानव में निषेचन
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