Class-10
Important Questions and Answers
तत्त्वों का आवर्त वर्गीकरण
Periodic Classification Of Elements Important Questions and Answers
Part-1 लघु उत्तरीय
प्रश्न 1. एक परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 7 है, तो इस तत्त्व का नाम एवं परमाणु संख्या क्या है?
उत्तर⇒ तत्त्व का नाम-क्लोरीन, परमाणु संख्या-17.
प्रश्न 2. किसी तत्व का परमाणु क्रमांक 12 है। बताएँ कि यह तत्त्व किस आवर्त और किस वर्ग का है? यह तत्व कौन-सा है?
उत्तर⇒ आवर्त्त-3, वर्ग-12 और तत्त्व-Mg (मैग्नीशियम)।
प्रश्न 3. तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का आधुनिक आवर्त सारणी में तत्त्व की स्थिति से क्या संबंध है?
उत्तर⇒ यदि तत्त्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ज्ञात हो तो आवर्त सारणी में उसकी स्थिति को ज्ञात किया जा सकता है, इसके विपरीत यदि आवर्त सारणी में तत्त्व की स्थिति का ज्ञान हो तो उसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ज्ञात किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि एक तत्त्व स्तंभ 3 एवं वर्ग 15 से संबंधित है तथा उसके . बाह्यतम संयोजकता कक्ष में इलेक्ट्रॉन की संख्या 5 है क्योंकि यह तत्त्व स्तंभ 3 से संबंधित है, इसलिए इसका बाह्यतम संयोजकता कक्ष M होगा तथा इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होगा –
K L M
2 8 5
जैसे- K
L M N
2 8 18 7
क्योंकि तत्त्व के संयोजकता इलेक्ट्रॉन 7 है। इसलिए यह वर्ग 17 से संबंधित है। (10 +7) क्योंकि संयोजकता कक्ष चौथा कक्ष है, इसलिए तत्त्व स्तंभ 4 से संबंधित है अर्थात् यह तत्त्व ब्रोमीन (Br) है।
4. नाइटोजन (परमाणु संख्या 7) तथा फॉस्फोरस (परमाणु संख्या 15) आवर्त सारणी के समूह 15 के तत्त्व है। इन दोनों तत्त्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए । इनमें से कौन-सा तत्त्व अधिक ऋण विधुत होगा और क्यों ?
उत्तर⇒ N(Z = 7)2,5
P(Z = 15) 2, 8, 5
N अधिक वैद्युत ऋणात्मक होगा, क्योंकि इसका परमाण्वीय आकार अपेक्षाकृत कम होता है। किसी वर्ग में जब शीर्ष से तल (आधार) की ओर बढ़ते हैं, प्रत्येक स्तर पर परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों का एक कोश बढ़ता जाता है। इस प्रकार परमाणुओं में इलेक्ट्रॉन कोशों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती जाती है जिसके कारण परमाणुओं का आकार भी बढ़ता है। परमाणु के आकार में इस वद्धि के कारण, उसका नाभिक परमाणु में और अन्दर चला जाता है। आने वाले इलेक्ट्रॉन के लिए नाभिक K का आकर्षण कम हो जाता है, जिसके कारण परमाणु आसानी से ऋणायान नहीं बना सकता है और ऋण विधुत लक्षण कम होता जाता है।
प्रश्न 5. मेंडलीफ ने अपनी आवर्त सारणी तैयार करने के लिए कौन-सा मापदंड अपनाया ?
उत्तर⇒ मेंडलीफ ने अपनी आवर्त सारणी तैयार करने के लिए निम्न मापदंड अपनाए-
(i) बढ़ता हुए परमाणु द्रव्यमान
(ii) समान रासायनिक गुण ।
प्रश्न 6. मेंडलीफ के आवर्त सारणी के विसंगतियों को लिखें। अथवा, आधनिक आवर्त सारणी द्वारा किस प्रकार से मेंडलीफ के आवर्त सारणी की विविध विसंगतियों को दूर किया गया ?
उत्तर⇒ मेंडलीफ के आवर्त सारणी के विसंगतियाँ हैं –
(i) आधुनिक आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का प्रथम समूह में तर्क संगत स्थान है, क्योंकि हाइड्रोजन विधुत धनात्मक, होता है ।
(ii) आधुनिक आवर्त सारणी में तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु संख्या के क्रम में रखा गया है इसलिए किसी तत्त्व के समस्थानिकों को तत्त्व के साथ उसी स्थान पर आवर्त सारणी में रखा गया है।
(iii) भारी एवं हल्के तत्त्वों का क्रम भी आधुनिक आवर्त सारणी में सही है जो मेन्डेलीफ के आवर्त सारणी में नहीं था। (iv) अक्रिय गैसों का स्थान भी तर्कसंगत 18वें समूह में है।
प्रश्न 7. आधुनिक आवर्त्त नियम क्या है?
उत्तर⇒ तत्त्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु संख्या के आवर्त फलन होते हैं। इस नियम का प्रतिपादन हेनरी मोस्ले ने किया था।
प्रश्न 8. उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में क्यों रखा गया है ?
उत्तर⇒ उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में रखा गया है, क्योंकि ये अक्रिय होती हैं और अन्य किसी भी तत्त्व या यौगिक से अभिक्रिया नहीं करती हैं।
प्रश्न 9. निष्क्रिय गैसीय तत्त्वों की आवर्त सारणी के शून्य वर्ग में क्यों रखा गया है? अथवा, उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में क्यों रखा गया है?
उत्तर⇒ इस परिवार के सदस्यों को शून्य वर्ग में रखा गया है। वास्तव में ये सभी सदस्य 0 संयोजकता प्रदर्शित करते हैं। इसका अर्थ यह है कि ये अन्य तत्त्वों के साथ संयोजित होने की प्रवृत्ति नहीं रखते । हीलियम के संयोजकता शैल (केवल एक ही शैल) में 2 इलेक्ट्रॉन हैं। अन्य परिवार से सदस्यों के संयोजकता शैल में आठ-आठ इलेक्ट्रॉन होते हैं। संयोजकता (8-संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या) के बराबर होती है। इसलिए ये शन्य संयोजकता प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 10. (a) वर्ग 13 के दो तत्त्वों के नाम लिखें।
(b) आवर्त सारणी के सबसे विधुत ऋणात्मक तत्त्व का नाम लिखें। उसका परमाण संख्या है?
उत्तर⇒ (a) बोरॉन (B), ऐल्युमीनियम (AI)
(b) आवर्त सारणी में उपस्थित सर्वाधिक विधुत-ऋणात्मक तत्त्व फ्लोरीन (F) है। इसकी परमाणु संख्या 9 है।
प्रश्न 11. दूसरे आवर्त में सोडियम (Na) से क्लोरिन (Cl) की ओर बढ़ने पर परमाणु की त्रिज्या क्यों घटती जाती है।
उत्तर⇒ दूसरे आवर्त में सोडियम से क्लोरिन की ओर बढ़ने पर परमाणु त्रिज्या घटती है। ऐसा इसलिए होता है कि नाभिक पर आवेश बढ़ने के कारण नाभिक, इलेक्ट्रॉनों को अपनी तरफ अधिक बल से आकर्षित करते हैं।
प्रश्न 12. तत्त्वों का वर्गीकरण किस प्रकार किया गया है ? आवर्त सारणी में वर्ग तथा आवर्त्त क्या हैं ?
उत्तर⇒ तत्त्वों के गुण उनके परमाणु क्रमाकों के आवर्त फलन होते हैं। जब तत्वों को उनके बढ़ते परमाणु संख्या के आधार पर रखा जाए तो समान गुणों वाले तत्व नियमित अंतर के बाद प्रकट होते हैं । इलेक्ट्रॉन विन्यास इसका मूल आधार है ।
वर्ग : आवर्त सारणी में उर्ध्वाधर (खड़े) कालम समूह वर्ग कहलाते हैं।
आवर्त : आवर्त सारणी में क्षैतिज कॉलम आवर्त कहलाते हैं।
प्रश्न 13. आधुनिक आवर्त्त-सारणी में तत्वों के व्यवस्थापन का क्या आधार है ? आवर्त्त-सारणी में बायें से दायें जाने पर तत्वों का गुण किस तरह बदलता है ?
उत्तर⇒ आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों का व्यवस्थापन परमाणु क्रमांक पर आधारित है। आवर्त सारणी में बायें से दायें तरफ चलने पर तत्वों का धात्विक एवं वैद्युत धनात्मक गुण घटता जाता है।
प्रश्न 14.आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों के व्यवस्थापन का क्या आधार है ? यह मेंडलीफ की आवर्त सारणी से किस प्रकार भिन्न है।
उत्तर⇒ आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों के व्यवस्थापन का आधार उसकी परमाणु संख्या को रखा गया।
भिन्नता
:
(1) मेंडलीफ की आवर्त सारणी में तत्त्वों के परमाणु भार को आधार माना गया जबकि आधुनिक आवर्त सारणी में तत्त्वों के परमाणु-संख्या को आधार माना गया ।
(2) आधुनिक आवर्त सारणी में विभिन्न तत्त्वों के समस्थानिकों का स्थान सुनिश्चित किया गया ।
प्रश्न 15.(a) आवर्त सारणी में बोरॉन के स्तंभ के सभी तत्त्वों के कौन-से गुणधर्म समान हैं?
(b) आवर्त सारणी में फ्लुओरीन के स्तंभ के सभी तत्त्वों के कौन-से गुणधर्म समान हैं ?
उत्तर⇒ (a) आवर्त सारणी में बोरॉन स्तंभ के सभी तत्त्व 13 से संबंध रखते हैं। इसलिए इन सबके बाह्यतम संयोजकता कोश में इलेक्ट्रॉन की संख्या तीन (3) होगी। केवल बोरॉन (B) को छोड़कर क्योंकि यह एक अधातु है और शेष तत्त्व धातुएँ हैं, जैसे – AI, Ga, In एवं Th |
(b) फ्लुओरीन के स्तंभ में आने वाले सभी तत्त्व उत्कृष्ट तत्त्व हैं तथा वर्ग 17 से संबंध रखते हैं। इसलिए उनके ब्राह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉन की संख्या 7 होगी। यह सभी तत्त्व (F, C1, Br, I) अधातुएँ हैं।
प्रश्न 16. न्यूलैंड के अष्टक सिद्धांत की क्या सीमाएँ हैं ?
उत्तर⇒ न्यूलैंड के अष्टक सिद्धांत की सीमाएँ हैं-
(i) अष्टक का सिद्धांत केवल कैल्सियम तक ही लागू होता था, क्योंकि कैल्सियम के बाद प्रत्येक आठवें तत्त्व का गुणधर्म पहले तत्त्व से नहीं मिलता।
(ii) बाद में कई नये तत्त्व पाए गये जिनके गुणधर्म अष्टक सिद्धांत से मेल नहीं खाते थे।
(iii) अपनी सारणी में इन तत्त्वों को समंजित करने के लिए न्यूलैंड ने दो तत्त्वों को एक साथ रख दिया और कुछ असमान तत्त्वों को एक स्थान में रख दिया ।
उदाहरण- कोबाल्ट तथा निकेल एक साथ हैं तथा इन्हें एक साथ उसी स्तम्भ में रखा गया है जिसमें फ्लुओरीन, क्लोरीन एवं ब्रोमीन हैं यद्यपि इनके गुणधर्म उन दोनों तत्त्वों से भिन्न हैं। आयरन को कोबाल्ट एवं निकेल से दूर रखा गया है जबकि उनके गुणधर्मों में समानता होती है।
प्रश्न 17. इनके नाम बताइए- (a) तीन तत्त्वों जिनके बाहरी कोश में एक इलेक्ट्रॉन हो ।
(b) दो तत्त्वों जिनके सबसे बाहरी कोश में दो इलेक्ट्रॉन उपस्थित हों ।
(c) तीन तत्त्वों जिनका बाहरी कोश पूर्ण हो।
उत्तर⇒ (a) Li, Na, K (लीथियम, सोडियम, पोटैशियम) (b) Mg, Ca (मैग्नीशियम, कैल्सियम) (c) हीलियम (He), नियॉन (Ne), आर्गन (Ar)।
प्रश्न 18. मैग्नीशियम की तरह रासायनिक अभिक्रियाशीलता दिखाने वाले दो तत्त्वों के नाम लिखिए । आपके चयन का क्या आधार है ?
उत्तर⇒ कैल्सियम
(Ca) एवं बेरियम (Ba) क्योंकि-
(i) ये दोनों तत्त्व मैग्नीशियम समूह के हैं। (ii) इन दोनों तत्त्वों में मैग्नीशियम की तरह 2 संयोजी इलेक्ट्रॉन हैं।
प्रश्न 19. (a) लीथियम, सोडियम, पोटैशियम, ये सभी धातुएँ जल से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं। क्या इन तत्त्वों के परमाणओं में कोई समानता है ?
(b) हीलियम एक अक्रियाशील गैस है जबकि निऑन की अभिक्रियाशीलता अत्यंत कम है । इनके परमाणुओं में कोई समानता है ?
उत्तर⇒ (a) लीथियम, सोडियम, पोटैशियम धातुओं के बाह्यतम कक्षा में केवल एक इलेक्ट्रॉन है।
(b) इन दोनों तत्त्वों की बाह्यतम कक्षा पूर्णतः इलेक्ट्रॉनों से भरी है।
प्रश्न 20. क्या नाम दिया गया है? (a) आवर्त सारणी में तत्त्वों की क्षैतिक पंक्तियों को (b) आवर्त सारणी में तत्त्वों के ऊर्ध्वाधर स्तंभों को
उत्तर⇒ (a) आवर्त (b) वर्ग।
प्रश्न 21. एक धातु के क्लोराइड का सूत्र MCI है। उसके सल्फेट तथा नाइट्रेट का सूत्र लिखें।
उत्तर⇒ धातु सल्फेट-M2SO4
धातु नाइट्रेट-MNO3
प्रश्न 22. निम्न तत्त्वों को वैद्युत धनात्मक एवं वैद्युत ऋणात्मक में वर्गीकृत करें: Ba, Cl, AI, Na, F, I, O
उत्तर⇒ वैद्युत धनात्मक – Ba, Al, Na
वैद्युत ऋणात्मक- Cl, F, I,O
प्रश्न 23. निम्नलिखित तत्त्वों पर विचार करें
Na, Ca, Al, K, Mg, Li.
(a) इन तत्त्वों में से कौन आवर्त सारणी के एक ही आवर्त से सम्बद्ध है?
(b) इन तत्त्वों में से कौन आवर्त सारणी के एक ही वर्ग से सम्बद्ध है ?
उत्तर⇒ (a) एक ही आवर्त-Na, Mg, Al’
(b) एक ही वर्ग-Li, Na, K
प्रश्न 24. निम्न तत्त्वों को अभिक्रियाशीलता के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए
(i) आयोडीन, क्लोरीन, ब्रोमीन
(ii) सोडियम, मैग्नीशियम, तांबा
उत्तर⇒ (i) आयोडीन, ब्रोमीन, क्लोरीन ।
(ii) ताँबा, मैग्नीशियम, सोडियम।
प्रश्न 25. धनायन का आकार परमाणु से कम क्यों होता है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर⇒ धनायन को धन आयन भी कहते हैं। यह परमाणु द्वारा एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन खो देने पर बनता है । इलेक्ट्रॉन खोने पर प्रायः शैलों की संख्या कम हो जाती है। इसलिए धनायन का आकार परमाणु के आकार से कम होता है ।
उदाहरणस्वरूप-
जाति |
इलेक्ट्रॉनिक वितरण |
शैलों की संख्या |
आकार |
Na परमाणु |
2, 8, 1 |
3 |
1.54 Å |
Na+ परमाणु |
2, 8 |
2 |
0.95 Å |
प्रश्न 26. Li’ और Na’ में से किस आयन का आकार अधिक है और क्यों ?
उत्तर⇒ Li+ आयन का अर्द्धव्यास छोटा होगा। परमाणु अर्द्धव्यास वर्ग के नीचे की ओर बढ़ता है। क्योंकि धनायन का अर्द्धव्यास परमाणु पर निर्भर करता है, इसलिए अनायन के अर्द्धव्यास की वर्ग में वृद्धि होती है। इसलिए Li+ आयन का अर्द्धव्यास कम होगा।
प्रश्न 27. क्षार धातुओं एवं हैलोजन कुल की समानता को ध्यान में रखते हुए हाइड्रोजन को मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में उचित स्थान पर रखिए।
उत्तर⇒ हाइड्रोजन को मेन्डेलीफ आवर्त सारणी के क्षारीय धातुओं के साथ रखा गया है किन्तु इसके कुछ गुण हैलोजन से भी मिलते हैं। आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान उचित है क्योंकि इसके गुण क्षारीय धातुओं के समान ज्यादातर हैं । जैसे यह इलेक्ट्रॉन का त्याग कर विधुत धनात्मकता के गुण को प्रदर्शित करता है ।
प्रश्न 28. किसी तत्त्व के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से आप उसकी संयोजकता का परिकलन कैसे करेंगे?
उत्तर⇒ अगर बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 1, 2, 3 या 4 है, तो उन तत्त्वों की संयोजकता क्रमशः 1, 2, 3 या 4 होती है। अगर बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 5, 6 या 7 है तो उन तत्त्वों की संयोजकता क्रमशः 3, 2 या 1 होती है। अगर बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 8 है, तो उस तत्त्व की संयोजकता शून्य (0) होती है।
प्रश्न 29. मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी तथा आधुनिक आवर्त सारणी की परिभाषा लिखिए।
उत्तर⇒ मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी – मेन्डेलीफ ने तत्त्वों की जो सारणी बनाई, उसे मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी कहते हैं, जिसका आधार परमाणु द्रव्यमान है।
आधुनिक आवर्त सारणी – मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी के संशोधन के बाद जो सारणी बनाई गई उसे आधुनिक आवर्त सारणी या आवर्त सारणी का दीर्घ रूप कहते हैं। इसका आधार परमाणु क्रमांक है।
प्रश्न 30. तत्त्वों के आवर्त वर्गीकरण के लिए परमाणु द्रव्यमान संख्या की अपेक्षा परमाणु संख्या को उत्तम आधार क्यों माना गया है?
उत्तर⇒ तत्त्व का परमाणु द्रव्यमान नाभिक के कारण है । नाभिक तत्त्व के केन्द्र में स्थित है। इसमें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन हैं, जिनका पुंज होता है। तत्त्व का नाभिक गुणों की व्याख्या नहीं करता। वास्तव में तत्त्वों के गुण इलेक्ट्रॉनिक वितरण से संबंधित हैं । ज्यों-ज्यों परमाणु संख्या बदलती है वैसे-वैसे इलेक्ट्रॉनिक वितरण भी बदलता जाता है। इसलिए परमाणु तत्त्वों के वर्गीकरण का उत्तम आधार है।
प्रश्न 31: तत्त्व X,XCI, सूत्र वाला एक क्लोराइंड बनाता है, जो एक ठोस है और जिसका गलनांक अधिक है। आवर्त सारणी में यह तत्त्व संभवतः किस समूह के अंतर्गत होगा?
(a) Na (b) Mg (c)Al (d) Si.
उत्तर⇒ यदि तत्त्व X, XCl2 सूत्र का क्लोराइड बनाता है तो X तत्त्व के संयोजक इलेक्ट्रॉन की संख्या 2 होगी अर्थात् उसके बाह्यतम कक्ष में संयोजकता इलेक्ट्रॉन की संख्या 2 होगी । आवर्त सारणी के अनुसार केवल वर्ग 2 के तत्त्व Be, Mg, Ca, Sr, Ba एवं Ra की संयोजकता इलेक्ट्रॉन संख्या दो है। इसलिए तत्त्व X Mg (मैग्नीशियम) है, क्योंकि मैग्नीशियम एक धातु होते हुए भी एक आयनिक 3 क्लोराइड बनाने की क्षमता रखता है जिसका उच्च गलनांक हो । अतः, कथन (b)
सही है।
Part-2 लघु उत्तरीय
1. न्यूलैंड के अष्टक सिद्धांत की क्या सीमाएँ हैं ?
उत्तर⇒ न्यूलैंड के अष्टक सिद्धांत की सीमाएँ हैं.
(i) अष्टक का सिद्धांत केवल कैल्सियम तक ही लागू होता था, क्योंकि कैल्सियम के बाद प्रत्येक आठवें तत्त्व का गुणधर्म पहले तत्त्व से नहीं मिलता।
(ii) बाद में कई नये तत्त्व पाए गये जिनके गुणधर्म अष्टक सिद्धांत से मेल नहीं खाते थे।
(ii) अपनी सारणी में इन तत्त्वों को समंजित करने के लिए न्यूलैंड ने दो तत्त्वों को एक साथ रख दिया और कुछ असमान तत्त्वों को एक स्थान में रख दिया।
उदाहरण- कोबाल्ट तथा निकेल एक साथ हैं तथा इन्हें एक साथ उसी स्तम्भ में रखा गया है जिसमें फ्लुओरीन, क्लोरीन एवं ब्रोमीन हैं यद्यपि इनके गुणधर्म उन दोनों तत्त्वों से भिन्न हैं। आयरन को कोबाल्ट एवं निकेल से दूर रखा गया है जबकि उनके गुणधर्मों में समानता होती है।
2. तत्त्वों के आवर्त वर्गीकरण के लिए परमाणु द्रव्यमान संख्या की अपेक्षा परमाणु संख्या को उत्तम आधार क्यों माना गया है ?
उत्तर⇒ तत्त्व का परमाणु द्रव्यमान नाभिक के कारण है। नाभिक तत्त्व के केन्द्र में स्थित है। इसमें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन हैं, जिनका पुंज होता है। तत्त्व का नाभिक गुणों की व्याख्या नहीं करता। वास्तव में तत्त्वों के गुण इलेक्ट्रॉनिक वितरण से संबंधित हैं। ज्यों-ज्यों परमाणु संख्या बदलती है वैसे-वैसे इलेक्ट्रॉनिक वितरण भी बदलता जाता है। इसलिए परमाणु तत्त्वों के वर्गीकरण का उत्तम आधार है।
3. नाइट्रोजन (परमाणु संख्या 7) तथा फॉस्फोरस (परमाणु संख्या 15) आवर्त सारणी के समूह 15 के तत्त्व है। इन दोनों तत्त्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। इनमें से कौन-सा तत्त्व अधिक ऋण विद्युत होगा और क्यों ?
उत्तर⇒ N (Z = 7) 2,5
P (Z = 15) 2,8,5
N अधिक वैद्युत ऋणात्मक होगा, क्योंकि इसका परमाण्वीय आकार अपेक्षाकृत कम होता है। किसी वर्ग में जब शीर्ष से तल (आधार) की ओर बढ़ते हैं, प्रत्येक स्तर पर परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों का एक कोश बढ़ता जाता है। इस प्रकार परमाणुओं में इलेक्ट्रॉन कोशों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती जाती है जिसके कारण परमाणुओं का आकार भी बढ़ता है। परमाणु के आकार में इस वृद्धि के कारण, उसका नाभिक परमाणु में और अन्दर चला जाता है। आने वाले इलेक्ट्रॉन के लिए नाभिक K का आकर्षण कम हो जाता है, जिसके कारण परमाणु आसानी से ऋणायान नहीं बना सकता है और ऋण विद्युत लक्षण कम होता जाता है।
4. तत्वों का वर्गीकरण किस प्रकार किया गया है ? आवर्त सारणी में वर्ग तथा आवर्त क्या हैं ?
उत्तर⇒ तत्वों के गुण उनके परमाणु क्रमाकों के आवर्त फलन होते हैं। जब तत्वों को उनके बढ़ते परमाणु संख्या के आधार पर रखा जाए तो समान गुणों वाले तत्व नियमित अंतर के बाद प्रकट होते हैं । इलेक्ट्रॉन विन्यास इसका मूल आधार है।
वर्ग : आवर्त सारणी में उर्ध्वाधर (खड़े) कालम समूह वर्ग कहलाते हैं।
आवर्त : आवर्त सारणी में क्षैतिज कॉलम आवर्त कहलाते हैं।
5. धनायन का आकार परमाणु से कम क्यों होता है ?
व्याख्या कीजिए।
उत्तर⇒ धनायन को धन आयन भी कहते हैं। यह परमाणु द्वारा एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन खो देने पर बनता है । इलेक्ट्रॉन खोने पर प्रायः शैलों की संख्या कम हो जाती है। इसलिए धनायन का आकार परमाणु के आकार से कम होता है।
6. न्यूलैंड्स के अष्टक नियम को लिखें।
उत्तर⇒ 1866 ई० में अंग्रेज वैज्ञानिक जॉन न्यलैंडस ने सात तत्त्वों को परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में व्यवस्थित किया। उन्होंने सबसे कम परमाणु द्रव्यमान वाले तत्त्व वाल तत्त्व हाइड्रोजन से आरंभ किया तथा 56वें तत्त्व थोरियम पर इसे समाप्त किया। उन्होंने पाया कि प्रत्येक आठवें तत्त्व का गणधर्म पहले तत्त्व के गुणधर्म के समान है। उन्होंने इसकी तुलना संगीत के अष्टक से की और इसलिए इन्होंने अष्टक का सिद्धांत कहा। इसे “न्यूलैंड्स का अष्टक सिद्धांत” कहा जाता है।
7. तत्त्वों के वर्गीकरण में डॉबेराइनर के क्या आधार थे ?
उत्तर⇒ डॉबेराइनर ने समान गुणधर्मों वाले तत्त्वों को समूहों में व्यवस्थित करने का प्रयास किया। उन्होंने तीन-तीन तत्त्व वाले कुछ समूहों को चुना एवं उन समूहों को त्रिक कहा। डॉबेराइनर ने बताया कि त्रिक के तीनों तत्त्वों का उनके परमाणु द्रव्यमान, के आरोही क्रम में रखने पर बीच वाले तत्त्व का परमाणु द्रवयमान अन्य दो तत्त्वों के परमाणु द्रव्यमान का लगभग औसत होता है।
8. आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति कैसे परिवर्तित होगी ?
उत्तर⇒ आवर्त में बायीं से दायीं ओर बढ़ने पर बाहरी कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्रमानुसार बढ़ती जाती है। अतः अष्टक की प्राप्ति में एकांतर रूप से कम इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होगी। अतः इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति बढ़ती है।
9. तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का आधुनिक आवर्त सारणी में तत्त्व की स्थिति से क्या संबंध है ?
उत्तर⇒ आधुनिक आवर्त सारणी तत्त्वों के परमाणु संख्या के आरोही क्रम में सजाया गया है। अगर एक तत्त्व Mg (परमाणु संख्या 12) है तो आवर्त सारणी में ऐलुमिनियम परमाणु संख्या 13 को एक ही आवर्त में रखा गया है। जबकि Mg समूह 2 में और ऐलुमिनियम समूह 13 में। Mg का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (2,8,2) है और Al का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (2,8,3) है। आवर्त में लगातार बायीं से दायीं ओर जाने पर संयोजकता इलेक्ट्रॉन में क्रमानुसार 1 इलेक्ट्रॉन की वृद्धि होती है। इसी प्रकार एक समूह (2) में Mg (12) और कैल्सियम परमाणु संख्या (20) लिया जाए तो इनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (2,8,2) और (2,8,8,2) प्राप्त होता है। इन्हें एक समूह में रखा गया है, लेकिन Mg में तीन कोश और Cu में चार कोश प्राप्त है। दोनों तत्त्वों की संयोजकता समान (2) है। लेकिन Mg का परमाणु साइज Ca के परमाणु साइज से छोटा है। अतः इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर उनके परमाणु संख्या को ध्यान में रखकर तत्त्वों को आवर्त सारणी में स्थान दिया गया है। अतः तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का आधुनिक आवर्त सारणी तत्त्वों की स्थिति से संबद्ध है। किसी भी तत्त्व को आवर्त सारणी में देखकर उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
10. मेंडलीव के आवर्त सारणी की विसंगतियों को लिखें।
उत्तर⇒ मेंडलीव के आवर्त सारणी की विसंगतियाँ निम्न हैं –
(i) निश्चित रूप से आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का नियत स्थान नहीं दिया जा सका है। यह मेंडलीव के आवर्त सारणी की पहली कमी थी। उन्होंने अपनी सारणी में हाइड्रोजन को उचित स्थान नहीं दे सके।
(ii) मेंडलीव आवर्त सारणी में समस्थानिकों और नोबल गैसों के लिए कोई स्थान नहीं दिया गया।
(iii) मेंडलीव आवर्त सारणी में एक तत्त्व से दूसरी तत्त्व की ओर बढ़ने पर परमाणु द्रव्यमान नियमित रूप से नहीं बढ़ते। इसलिए यह अनुमान लगाना होगा कि दो तत्त्वों के बीच कितने तत्त्व खोजे जा सकते हैं। जब भारी तत्त्वों पर विचार करते हैं तो कठिनाई उत्पन्न हो जाती है।
11. मेंडलीफ ने तत्त्वों का वर्गीकरण किस आधार पर किया ?
उत्तर⇒ मेंडलीफ ने अपनी सारणी में तत्त्वों को उनके मूल गुणधर्म, परमाणु द्रव्यमान तथा रासायनिक गुणधर्मों में समानता के आधार पर व्यवस्थित किया।
12. डॉबेराइनर के तत्त्वों के वर्गीकरण की क्या सीमाएँ थीं ?
उत्तर⇒
(i) उस समय तक ज्ञात सभी तत्त्वों का वर्गीकरण त्रिक के आधार पर नहीं हो सका।
(ii) यह त्रिक नियम कुछ ही तत्त्वों तक सीमित रहा।
(iii) उस समय तक ज्ञात तत्त्वों में केवल तीन त्रिक ही ज्ञात हो सके।
13. आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या क्यों घटती है ?
उत्तर⇒ नाभिक में आवेश के बढ़ने से यह इलेक्ट्रॉनों को नाभिक की ओर खींचता है जिससे परमाणु का आकार घटता है और इसकी परमाणु त्रिज्या घट जाती है।
14. उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में क्यों रखा गया है ?
उत्तर⇒ उत्कृष्ट गैसें He, Ar, Ne आदि के परमाणु क्रमांक क्रमश: 2, 18, 10 हैं। इनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (2), (2, 8, 8), (2,8) है। इनकी संयोजकताएँ शून्य हैं अतः इन्हें अलग समूहों में रखा गया क्योंकि इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास भिन्न-भिन्न हैं।
15. आपके अनुसार उत्कृष्ट गैसों को अलग समूहों में क्यों रखा गया ?
उत्तर⇒ चूँकि ये गैसें मेंडलीफ आवर्त सारणी के बनने के काफी बाद पाया गया, जिसे सारणी में खाली जगहों में रखा गया। सभी गैसें अभिक्रियाशील थे, अतः उन्हें एक अलग समूह में रखना उचित था।
16. समूह में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति किस तरह बदलती है ?
उत्तर⇒ समूह में नीचे की ओर संयोजकता इलेक्ट्रॉन पर क्रिया करने वाला प्रभावी नाभिकीय आवेश घटता है, क्योंकि सबसे बाहरी इलेक्ट्रॉन नाभिक से दूर होते हैं। इसलिए यह इलेक्ट्रॉन सुगमतापूर्वक निकल जाते हैं।
17. समह में ऊपर से नीचे जाने पर संयोजकता किस प्रकार परिवर्तित होती है ?
उत्तर⇒ समूह में ऊपर से नीचे जाने पर तत्त्वों की संयोजकताएँ स्थिर रहती हैं। समूह 1 के तत्त्वों की संयोजकताएँ 1 और समूह 2 के तत्त्वों की संयोजकताएँ 2 होती हैं। इसी प्रकार समूह 3 और 4 के परमाणुओं की संयोजकताएँ 3 और 4 होंगी।
18. समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति कैसे परिवर्तित होगी ?
उत्तर⇒ समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर अधातुओं में कोशों की संख्या बढ़ती है लेकिन संयोजकता इलेक्ट्रॉन समान रहती है। अत: इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति घटती है जबकि कोशों की संख्या बढ़ती है। अधातुओं में ऋणात्मकता की प्रवृत्ति रहती है जिससे यह इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवत्ति रखता है। लेकिन समह में ऊपर से नीचे आने पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति घटती है क्योंकि आयनाकरण उर्जा की कमी होती है।
दीर्घ
उत्तरीय
प्रश्न 1. तत्व 35x का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखें एवं निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दें ।
(a) तत्व X के एक परमाणु में कितने संयोजी इलेक्ट्रॉन हैं ?
(b) तत्व X की संयोजकता क्या है ?
(c) यह एक धातु है या अधातु है ?
(d) तत्व X के एक परमाणु में प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों की संख्या बताएँ।
उत्तर ⇒ इलेक्ट्रॉनिक विन्यास : 1S22S22p63S23p5
(a) तत्त्व X के परमाणु में 7 संयोजी इलेक्ट्रॉन है।
(b) तत्त्व X की संयोजकता 1 है।
(c) तत्त्व X एक अधातु है।
(d) तत्त्व X के एक परमाणु में प्रोटॉन – 17 और न्यूटॉन – 18 है।
प्रश्न 2. मेंडेलीफ के आवर्त सारणी और आधुनिक आवर्त सारणी में क्या अन्तर है? अथवा, आधुनिक आवर्त सारणी एवं मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में तत्त्वों की व्यवस्था की तुलना कीजिए।
उत्तर⇒
S.N. |
मेण्डलीफ का आवर्त सारणी |
आधुनिक आवर्त सारणी |
1. |
तत्त्वों को बढ़ते परमाणु द्रव्यमानों में व्यवस्थित किया गया है। |
तत्त्वों को बढ़ते परमाणु क्रमांक में व्यवस्थित किया गया है। |
2. |
इस आवर्त सारणी में ऊर्ध्वाधर स्तंभ केवल 8 हैं जो कि वर्ग कहलाते हैं |
इस आवर्त सारणी 18 ऊर्ध्वाधर स्तंभ है जो कि वर्ग कहलाते हैं। |
3. |
सभी संक्रमण तत्त्वों को एक ही स्थान पर वर्ग VIII में रखा गया है। |
वर्ग 3 से वर्ग 12 में संक्रमण तत्त्व रखे गए हैं। |
4. |
मेण्डेलीफ के साथ उत्कृष्ट गैसों की खोज ही नहीं हुई थी। |
आधुनिक आवर्त सारणी में उत्कृष्ट गैसों को वर्ग 18 में व्यवस्थित किया गया है। |
5. |
तत्त्वों के समस्थानिकों को उचित स्थान नहीं मिला है। |
तत्त्वों के समस्थानिकों को उनके संगत तत्त्वों के स्थान पर ही रखा गया हैं क्योंकि उनके परमाणु क्रमांक समान होते हैं। |
6. |
रासायनिक रूप से असमान तत्त्वों को एक साथ रखे गए हैं। |
रासायनिक रूप से असमान तत्त्वों को पृथक् – पृथक् वर्गों में रखा गया है। |
7. |
कुछ स्थानों पर उन तत्त्वों को जिनका परमाणु द्रव्यमान उच्च है, उन तत्त्वों से पहले रखा गया है जिन तत्त्वों का परमाणु द्रव्यमान निम्न है। |
इसमें वर्गीकरण का आधार परमाणु क्रमांक है। इस प्रकार मैण्डेलीफ में वर्णित प्रतिलोम क्रम सम्बन्धी दोष को दूर कर न दिया है। |
प्रश्न 3. आधुनिक आवर्त सारणी की प्रवृत्ति का निम्नलिखित पदों में उल्लेख करें
(a) संयोजकता (b) परमाणु साइज (c) धात्विक एवं अधात्विक गुणधर्म ।
उत्तर⇒ (a) संयोजकता – किसी तत्व की संयोजकता उसके परमाणु के सबसे बाहरी कोश में उपस्थित संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या से निर्धारित होती है।
(b) परमाणु साइज – परमाणु साइज से परमाणु की त्रिज्या का पता चलता है। एक स्वतंत्र परमाणु के केन्द्र से उसके सबसे बाहरी कोश की दूरी ही परमाणु के साइज को दर्शाती है ।
आवर्त में बाई से दाईं ओर जाने पर परमाण त्रिज्या घटती है। नाभिक म आवश बढ़ने से यह इलेक्ट्रॉनों को नाभिक की ओर खींचता है, जिससे परमाणु का सामना घट जाता है।
समूह में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु का साइज बढ़ता है, क्योंकि नीचे जाने पर एक नया कोश जुड़ जाता है। इससे नाभिक तथा सबसे. बाहरी काश का दूरी बढ़ जाती है और इस कारण नाभिक का आवेश बढ जाने के बाद भा परमाणु का साइज बढ़ जाता है।
(c) धात्विक एवं अधात्विक गुणधर्म – Na एवं Mg जैसी धातुएँ सारणी की बाईं ओर तथा सल्फर एवं क्लोरीन जैसी अधातुएँ दाईं ओर स्थित हैं। मध्य में सिलिकन है जिसे अर्धधातु या उपधातु कहते हैं। यह धातु एवं अधातु दोनों के गुणधर्म प्रदर्शित करता है।
एक टेढ़ी- मेढी रेखा धातुओं एवं अधातुओं को अलग करती है। इस रेखा पर आनेवाले तत्त्व बोरोन, सिलिकन, जर्मेनियम, आर्सेनिक, एंटीमनी, टेल्युरिन एवं पोलोनियम हैं, जो धातुओं एवं अधातुओं के गुणधर्म प्रदर्शित करते हैं।
आवर्त सारणी में संयोजकता कोश के इलेक्ट्रानों पर किया जानेवाला प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है, इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति घट जाती है। समूह में नीचे की ओर संयोजकता इलेक्ट्रॉन पर क्रिया करनेवाला प्रभावी नाभिकीय आवेश घटता है, क्योंकि सबसे बाहरी इलेक्ट्रॉन नाभिक से दूर होते हैं। इसलिए, यह इलेक्ट्रॉन सुगमतापूर्वक निकल जाता है। इसलिए, धात्विक अभिलक्षण आवर्त में घटता है तथा समूह में नीचे जाने पर बढ़ता है। दूसरी ओर, अधातुएँ विद्युत – ऋणात्मक होती हैं, उनमें इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर आबंध बनाने की प्रवृत्ति होती है।
प्रश्न 4. किस तत्त्व में –
(a) दो कोश हैं तथा दोनों इलेक्ट्रॉनों से पूरित हैं।
(b) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है।
(c) कल तीन कोश हैं तथा संयोजकता कोश में चार इलेक्ट्रॉन हैं।
(d) कुल दो कोश हैं तथा संयोजकता कोश में तीन इलेक्ट्रॉन हैं।
(e) दूसरे कोश में पहले कोश से दुगुने इलेक्ट्रॉन हैं।
उत्तर⇒ (a) उत्कृष्ट गैसों के सभी शेल इलेक्ट्रॉन से भरे होते हैं। इसलिए दिया गया तत्त्व एक उत्कृष्ट तत्त्व गैस है, क्योंकि इसके दो पूर्णतः भरे शैल हैं इसलिए यह वर्ग दो में हैं। इस प्रकार तत्त्व Ne (निऑन) वह तत्त्व है।
(b) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 का जोड़ 12 है जो इस तत्त्व का परमाण अंक है और 12 परमाणु अंक वाला तत्त्व Mg (मैग्नीशियम) है। अतः दिया गया तत्त्व Mg (मैग्नीशियम) है।
(c) कुल तीन कोश में से बाह्य कोश में इलेक्ट्रॉन की संख्या 4 है। अतः तय का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है – 2, 8,4; विन्यास का जोड़ होगा 14, इस प्रकार 1 परमाणु अंक वाला तत्त्व है – Si (सिलिकॉन)।
(d) कुल दो कोश हैं बाह्य कोश में 3 इलेक्ट्रॉन हैं। इस प्रकार तय इलेक्टॉनिक विन्यास है – 2, 3 तथा विन्यास जोड़ है 5; अतः इलेक्टॉनिक – 5 वाला तत्त्व है – B (बोरॉन)।
(a) दूसरे कोश में पहले की अपेक्षा दुगुने इलेक्ट्रॉन हैं अतः तत्त्व का दो – विन्यास है – 2, 4 तथा विन्यास जोड़ 6 हैं, इस प्रकार परमाणु संख्या 6 वाला है – C (कार्बन)।
प्रश्न 5. आवर्त सारणी के एक ही आवर्त में परमाणु के आकार किस प्रकार परिवर्तित होते हैं?
[2013]
उत्तर : आवर्त सारणी के एक ही आवर्त में तत्वों के परमाणु आकार बायीं 'ओर से दायीं ओर चलने पर वर्ग 1 से वर्ग 17 तक क्रमशः घटते हैं, परन्तु शून्य वर्ग के तत्वों के परमाणु आकार वर्ग 17 के तत्वों से उच्च होते हैं क्योंकि किसी आवर्त में बायीं ओर से दायीं ओर चलने पर तत्वों के नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या तथा बाह्यतम कक्ष में इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्रमशः बढ़ती है, परन्तु कक्ष संख्या स्थिर रहती है, फलस्वरूप बाह्यतम कक्ष के इलेक्ट्रॉनों का आकर्षण नाभिक की ओर बढ़ता है, इस कारण नाभिक के केन्द्र व बाह्यतम कक्ष के बीच की दूरी घटती है, अर्थात् परमाणु आकार घटता है। शून्य वर्ग के तत्वों के बाह्यतम कक्ष स्थायी होते हैं जिसमें इलेक्ट्रॉनों का आकर्षण नाभिक की ओर कम होता है, फलस्वरूप उसके तत्वों का परमाणु आकार अधिक होता है।
प्रश्न 6. आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएं से दाएँ जाने पर निम्नलिखित गुणों में क्या परिवर्तन होता है
(i) परमाणु त्रिज्या (ii) विद्युत ऋणात्मकता (iii) आयनन एन्थैल्पी।
उत्तर - आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएं से दाएँ जाने पर
(i) तत्वों की परमाणु त्रिज्या I-A से VII-A तक क्रमशः घटती है क्योंकि तत्वों के परमाणु क्रमांकों में क्रमश: वृद्धि होती है, फलस्वरूप नाभिकीय आवेश तथा बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्रमश: बढ़ती है। (जबकि कक्ष संख्या समान रहती है। जिससे बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉनों का नाभिक के प्रति आकर्षण बढ़ता है और परमाणु त्रिज्या घटती है। शून्य समूह की बाह्यतम कोश स्थायी होती है अत: उसके इलेक्ट्रॉनों का नाभिक के प्रति आकर्षण कम होता है जिससे परमाणु त्रिज्या उच्च होती है।
(ii) तत्वों की विद्युत ऋणात्मकता I-A से VII-A तक क्रमश: बढ़ती है क्योंकि इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की क्षमता बढ़ती है। (शून्य वर्ग के तत्वों की विद्युत ऋणात्मकता लगभग शून्य होती है क्योंकि इन तत्वों की बाहातम कोश पूर्ण होती है।)
(iii) तत्वों की आयनन एन्थैल्पी का मान बाएँ से दाएँ जाने पर सामान्यतया बढ़ता है क्योकि बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉन को पृथक् करने हेतु अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
प्रश्न
7. आधुनिक आवर्त
नियम क्या
है? दीर्घाकार
आवर्त सारणी
की प्रमुख
विशेषताएँ लिखिए।
[2016]
अथवा
दीर्घाकार
आवर्त सारणी
के मुख्य
लक्षण क्या
हैं? अन्तिम
चार आवों
के तत्वों
की संख्या
लिखिए।
[2014]
अथवा
दीर्घाकार
आवर्त सारणी
की उदाहरण
सहित दो
विशेषताएं लिखिए।
[2011]
अथवा
दीर्घाकार
आवर्त सारणी
की चार
मुख्य विशेषताओं
का उल्लेख
कीजिए।
[2011, 12,
14, 16, 18]
उत्तर
: आधुनिक आवर्त
नियम के
अनुसार, तत्वों
के भौतिक
तथा रासायनिक
गुण उनके
परमाणु क्रमांकों
के आवर्ती
फलन होते
हैं।
दीर्घाकार
आवर्त सारणी
के मुख्य
लक्षण अथवा
विशेषताएँ निम्नलिखित
हैं:-
(1) इस सारणी
में 7 क्षैतिज
पंक्तियाँ (horizontal rows) है जिन्हें
आवर्त कहते
हैं। पहले,
दूसरे, तीसरे,
चौथे, पाँचवें,
छठे तथा
सातवें आवर्त
में क्रमश:
2, 8, 8, 18, 18, 32 तथा 26 तत्व हैं।
पहले, दूसरे
तथा तीसरे
आवों को
लघु आवर्त
तथा चौथे,
पाँचवें, छठे
व सातवें आवतों
को दीर्घ
आवर्त कहते
हैं। सातवाँ
आवर्त अभी
भी अपूर्ण
है।
(2) इस सारणी
में 18 ऊध्वाधर
(vertical) स्तम्भ (columns) हैं
जिन्हें वर्ग
या समूह
कहते हैं।
इन समूहों
को आवर्त
सारणी में
बाएं से
दाएं निम्नलिखित
क्रम में
व्यवस्थित किया
गया है-1
(I-A), 2 (II-A), 3 (III-B), 4 (IV-B), 5(V-B), 6(VI-B), 7 (VII-B), 8, 9, 10
(VIII), 11 (I-B), 12 (II-B), 13 (III-A), 14 (IV-A), 15 (V-A), 16 (VI-A), 17
(VII-A) तथा 18 (शून्य)।
(3) तत्वों को
उनके परमाणु
क्रमांकों के
बढ़ते हुए
क्रम में
रखा गया
है।
(4) समान इलेक्ट्रॉनिक
विन्यास वाले,
तत्वों को
एक साथ
रखा गया
है।
(5) परमाणु क्रमांक
58 से 71 तक
के तत्वों
(लैन्थेनाइड्स) तथा
परमाणु क्रमांक
90 से 103 तक
के तत्वों
(ऐक्टिनाइड्स) को
सारणी में
अलग स्थान
दिया गया
है।
(6) सभी धात्विक
तत्व आवर्त
सारणी में
बायीं ओर
तथा अधात्विक
तत्व दायीं
ओर रखे
गए हैं।
प्रश्न 8. मेण्डलीफ का आवर्त नियम तथा आधुनिक आवर्त नियम लिखिए। मेण्डलीफ की आवर्त सारणी के किन्हीं दो दोषों को भी लिखिए।
[2017,19]
अथवा
मेण्डलीफ का आवर्त नियम और आधुनिक आवर्त नियम लिखिए।
[2020]
अथवा
मेण्डलीफ के मूल आवर्त नियम तथा आधुनिक आवर्त नियम में मूल अन्तर स्पष्ट करो।
[2015]
अथवा
मेण्डलीफ के आवर्त नियम तथा आधुनिक आवर्त नियम में क्या मौलिक अन्तर है? किसी आवर्त के दो लक्षण भी लिखिए।
[2011, 18]
उत्तर : मेण्डलीफ का आवर्त नियम - मेण्डलीफ के मूल आवर्त नियम के अनुसार, तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं।
आधुनिक आवर्त नियम - मेण्डलीफ के नियम में 'परमाणु भार' के स्थान पर 'परमाणु क्रमांक' का उपयोग करके आधुनिक आवर्त नियम प्राप्त किया गया, जिसके अनुसार, तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांक के आवर्ती फलन होते हैं।
मेण्डलीफ का मूल आवर्त नियम तत्वों के परमाणु-भारों पर आधारित है, जबकि आधुनिक आवर्त नियम तत्वों के परमाणु क्रमांक पर आधारित है।
आवर्तो के गुण (लक्षण) -
(i) मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में पहले अतिलघु आवर्त में केवल दो तत्व हैं।
(ii) आवर्त सारणी के दूसरे व तीसरे आवर्गों में आठ-आठ तत्व हैं इन्हें लघु आवर्त कहते हैं।
मेण्डलीफ की आवर्त सारणी के दो दोष-
(i) अधिक परमाणु भार वाले तत्वों को कम परमाणु भार वाले तत्वों से पहले रखा जाना; जैसे—आर्गन (परमाणु भार 39.9) को पोटॅशियम (परमाणु भार 39.1) से पहले रखे जाना, कोबाल्ट (परमाणु भार 59.9) को निकिल (परमाणु भार 58.7) से पहले रखा जाना।
(ii) समस्थानिकों का स्थान-इस सारणी में तत्वों को उनके परमाणु भारों के वृद्धि क्रम में रखा गया है तथा कुछ तत्वों के परमाणु भार भिन्न-भिन्न होते हैं जिन्हें समस्थानिक कहते हैं, समस्थानिकों के लिए अलग से कोई स्थान नहीं दिया गया।
प्रश्न 9. मेण्डलीफ की मूल आवर्त सारणी के दो लक्षण लिखिए तथा द्वितीय आवर्त के तत्वों के नाम लिखिए।
[2018]
उत्तर : मेण्डलीफ की आवर्त सारणी के लक्षण-
(i) प्रत्येक आवर्त में तत्व अपने परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित हैं।
(ii) एक ही समूह के सभी तत्वों के गुणधर्म समान हैं। द्वितीय आवर्त के तत्व- Li, Be,
B, C.
प्रश्न 10. आवर्त सारणी में वर्गों एवं आवर्तों के चार-चार मुख्य लक्षण बताइए।
[2016]
अथवा
आवर्त सारणी में आवर्तों के चार मुख्य लक्षण लिखिए।
[2011, 15]
उत्तर : आवर्त सारणी के आवर्तों के सामान्य लक्षण-मेण्डलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी में सात क्षैतिज पंक्तियाँ उपस्थित हैं, जिन्हें आवर्त कहते हैं। प्रथम आवर्त से सातवें आवर्त तक कुल 7 आवर्त हैं। इन आवर्तों के सामान्य लक्षण हैं:
(1) आवर्त सारणी
में पहले
लघु आवर्त
में केवल
दो तत्व
क्रमशः हाइड्रोजन
और हीलियम
हैं जिसके
कारण इस
आवर्त को
अति लघु
आवर्त कहते
हैं। आवर्त
सारणी के
दूसरे व
तीसरे आवर्तों
में आठ-आठ तत्व
है। इन्हें
लघु आवर्त
कहते हैं।
(2) आवर्त सारणी
में अन्तिम
चार आवर्त
दीर्घ आवर्त
कहलाते हैं।
चौथे तथा
पाँचवें आवतों
में प्रत्येक
में 18, 18 तत्व
हैं। छठे
आवर्त में
32 तथा सातवाँ
आवर्त अपूर्ण
(incomplete period) है।
(3) चौथे, पाँचवें
तथा छठे
आवर्गों में
प्रत्येक में
ही तत्वों
की दो
श्रेणियाँ (पहली
सम तथा
दूसरी विषम)
हैं। सम
श्रेणी में
8 तथा विषम
श्रेणी में
7 तत्व हैं।
(4) आवों में
बाएं से
दाएँ जाने
पर तत्वों
के गुणों
में आवर्तिता
(लगातार/नियमित
परिवर्तन) प्रदर्शित
होती है।
आवर्त
सारणी के
वर्गों के
सामान्य लक्षण
(विशेषताएँ)-
मेण्डलीफ
की आधुनिक
आवर्त सारणी
में नौ
ऊर्ध्वाधर स्तम्भ
उपस्थित हैं,
जिन्हें वर्ग
या समूह
कहते हैं।
इन वर्गों
के सामान्य
लक्षण हैं
:-
(1) वर्ग I से
वर्ग VII तक
प्रत्येक वर्ग
2 उपवर्गों में
विभाजित है
जिन्हें क्रमश:
A तथा B उपवर्ग
कहते हैं।
(2) वर्ग VIII में
तत्वों को
तीन स्तम्भों
में स्थान
दिया गया
है।
(3) नौवें वर्ग
को शून्य
वर्ग कहा
गया है।
इसमें अक्रिय
या उत्कृष्ट
गैसों को
स्थान दिया
गया है।
(4) प्रत्येक वर्ग
के समस्त
तत्वों के
सामान्य गुणधर्म
समान होते
हैं।
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