कक्षा -12
N.C.E.R.T
अपठित काव्यांश-बोध
Page-4
26.
आँसू से भाग्य पसीजा है, हे मित्र, कहाँ इस जग में?
नित यहाँ शक्ति के आगे, दीपक जलते मग-मग में।
कुछ तनिक ध्यान से सोची, धरती किसकी हो पाई?
बोलो युग-युग तक किसने, किसकी विरुदावलि गाई?
मधुमास मधुर रुचिकर है, पर पतझर भी आता है।
जग रंगमंच का अभिनय, जो आता सो जाता है।
सचमुच वह ही जीवित है, जिसमें कुछ बल-विक्रम है।
पल-पल घुड़दौड़ यहाँ है, बल-पौरुष का संगम है।
दुर्बल को सहज मिटाकर, चुपचाप समय खा जाता,
वीरों के ही गीतों को, इतिहास सदा दोहराता।
फिर क्या विषाद, भय, चिंता, जो होगा सब सह लेंगे,
परिवर्तन की लहरों में जैसे होगा बह लेंगे।
नित यहाँ शक्ति के आगे, दीपक जलते मग-मग में।
कुछ तनिक ध्यान से सोची, धरती किसकी हो पाई?
बोलो युग-युग तक किसने, किसकी विरुदावलि गाई?
मधुमास मधुर रुचिकर है, पर पतझर भी आता है।
जग रंगमंच का अभिनय, जो आता सो जाता है।
सचमुच वह ही जीवित है, जिसमें कुछ बल-विक्रम है।
पल-पल घुड़दौड़ यहाँ है, बल-पौरुष का संगम है।
दुर्बल को सहज मिटाकर, चुपचाप समय खा जाता,
वीरों के ही गीतों को, इतिहास सदा दोहराता।
फिर क्या विषाद, भय, चिंता, जो होगा सब सह लेंगे,
परिवर्तन की लहरों में जैसे होगा बह लेंगे।
प्रश्न
(क) कविता का मूल संदेश क्या है?
(ख) ‘रोने से दुर्भाग्य सौभाग्य में नहीं बदल जाता’ के भाव की पंक्तियाँ छाँटकर लिखिए।
(ग) समय किसे नष्ट कर देता है और कैसे?
(घ) इतिहास किसे याद रखता है और क्यों?
(ङ) ‘मधुमास मधुर रुचिकर है, पर पतझर भी आता है’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए। [CBSE (Foreign), 2014)]
(ख) ‘रोने से दुर्भाग्य सौभाग्य में नहीं बदल जाता’ के भाव की पंक्तियाँ छाँटकर लिखिए।
(ग) समय किसे नष्ट कर देता है और कैसे?
(घ) इतिहास किसे याद रखता है और क्यों?
(ङ) ‘मधुमास मधुर रुचिकर है, पर पतझर भी आता है’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए। [CBSE (Foreign), 2014)]
उत्तर-
(क) कविता का मूल संदेश यह है कि हमें अपनी दुर्बलता त्यागकर सबल बनना चाहिए। व्यक्ति अपनी कोई पहचान नहीं छोड़ पाते, जबकि वीरों और सबलों की कीर्ति धरती पर गूँजती रहती है।
(ख) उक्त भाव प्रकट करने वाली पंक्तियाँ हैं
आँसू से भाग्य पसीजा है, हे मित्र, कहाँ इस जग में?
नित यहाँ शक्ति के आगे, दीपक जलते मग-मग में।
(ग) समय कमजोर व्यक्तियों को नष्ट कर देता है। कमजोर व्यक्ति अपनी कायरता और दुर्बलता के कारण कोई ऐसा महत्वपूर्ण काम नहीं कर पाते, जिससे आने वाली पीढ़ियाँ उन्हें याद रखें। इसके अलावा साहसपूर्ण काम न करने वाले लोग आसानी से भुला दिए जाते हैं।
(घ) इतिहास उन लोगों को याद रखता है, जिनमें बल और पुरुषार्थ का संगम होता है। इतिहास उन्हें इसलिए याद रखता है क्योंकि वे अपनी वीरता और साहस से याद रखने वाले काम करते हैं तथा अपने इसी गुण के कारण वे विपरीत परिस्थितियों में भी जिंदा बने रहते हैं।
(ङ) ‘मधुमास मधुर रुचिकर है, पर पतझर भी आता है’-पंक्ति का भाव यह है अच्छे दिन सदैव नहीं रहते। मनुष्य के जीवन में बुरे दिन भी आते हैं। इस तरह जीवन में सुख-दुख का आना-जाना लगा रहता है।
(ख) उक्त भाव प्रकट करने वाली पंक्तियाँ हैं
आँसू से भाग्य पसीजा है, हे मित्र, कहाँ इस जग में?
नित यहाँ शक्ति के आगे, दीपक जलते मग-मग में।
(ग) समय कमजोर व्यक्तियों को नष्ट कर देता है। कमजोर व्यक्ति अपनी कायरता और दुर्बलता के कारण कोई ऐसा महत्वपूर्ण काम नहीं कर पाते, जिससे आने वाली पीढ़ियाँ उन्हें याद रखें। इसके अलावा साहसपूर्ण काम न करने वाले लोग आसानी से भुला दिए जाते हैं।
(घ) इतिहास उन लोगों को याद रखता है, जिनमें बल और पुरुषार्थ का संगम होता है। इतिहास उन्हें इसलिए याद रखता है क्योंकि वे अपनी वीरता और साहस से याद रखने वाले काम करते हैं तथा अपने इसी गुण के कारण वे विपरीत परिस्थितियों में भी जिंदा बने रहते हैं।
(ङ) ‘मधुमास मधुर रुचिकर है, पर पतझर भी आता है’-पंक्ति का भाव यह है अच्छे दिन सदैव नहीं रहते। मनुष्य के जीवन में बुरे दिन भी आते हैं। इस तरह जीवन में सुख-दुख का आना-जाना लगा रहता है।
27.
मैंने गढ़े
ताकत और उत्साह से
भरे-भरे
कुछ शब्द
जिन्हें छीन लिया मठाधीशों ने
दे दिया उन्हें धर्म का झंडा
उन्मादी हो गए
मेरे शब्द।
तलवार लेकर
मिटाने लगे
खाद-पानी से
फिर रचे मैंने
इंसानियत से लबरेज
ढेर सारे शब्द।
नहीं छीन पाएगा उन्हें
छीनने की कोशिश में भी
गिर ही जाएँगे कुछ दाने
और समय आने पर
फिर उगेंगे
ताकत और उत्साह से
भरे-भरे
कुछ शब्द
जिन्हें छीन लिया मठाधीशों ने
दे दिया उन्हें धर्म का झंडा
उन्मादी हो गए
मेरे शब्द।
तलवार लेकर
मिटाने लगे
खाद-पानी से
फिर रचे मैंने
इंसानियत से लबरेज
ढेर सारे शब्द।
नहीं छीन पाएगा उन्हें
छीनने की कोशिश में भी
गिर ही जाएँगे कुछ दाने
और समय आने पर
फिर उगेंगे
अबकी उन्हें अगवा कर लिया
सफ़ेदपोश लुटेरों ने
और दबा दिया उन्हें
कुर्सी के पाये तले
असहनीय दर्द से चीख रहे हैं
मेरे शब्द और वे
कर रहे हैं अट्ठहास।
अब मैं गढ़ेंगी
बोऊँगी उन्हें
निराई गुड़ाई और
अपना ही वजूद
लहलहा उठेगी फसल
तब कोई मठाधीश
कोई लुटेरा
एक बार
दो बार
लगातार उगेंगेबार-बार
वे मेरे शब्द।
सफ़ेदपोश लुटेरों ने
और दबा दिया उन्हें
कुर्सी के पाये तले
असहनीय दर्द से चीख रहे हैं
मेरे शब्द और वे
कर रहे हैं अट्ठहास।
अब मैं गढ़ेंगी
बोऊँगी उन्हें
निराई गुड़ाई और
अपना ही वजूद
लहलहा उठेगी फसल
तब कोई मठाधीश
कोई लुटेरा
एक बार
दो बार
लगातार उगेंगेबार-बार
वे मेरे शब्द।
प्रश्न
(क) ‘मठधीशों’ ने उत्साह भरे शब्दों को क्यों छीना होगा?
(ख) ‘तलवार’ शब्द यहाँ किस ओर संकेत कर रहा है?
(ग) आशय समझाइए कुर्सी के पाये तले-दर्द से चीख रहे हैं।
(घ) कवयित्री किस उम्मीद से शब्दों को बो रही है?
(ङ) ‘और वे कर रहे हैं अट्ठहास’ में ‘वे’ शब्द किनके लिए प्रयुक्त हुआ है? [CBSE Sample Paper 2015]
(ख) ‘तलवार’ शब्द यहाँ किस ओर संकेत कर रहा है?
(ग) आशय समझाइए कुर्सी के पाये तले-दर्द से चीख रहे हैं।
(घ) कवयित्री किस उम्मीद से शब्दों को बो रही है?
(ङ) ‘और वे कर रहे हैं अट्ठहास’ में ‘वे’ शब्द किनके लिए प्रयुक्त हुआ है? [CBSE Sample Paper 2015]
उत्तर-
(क) मठाधीशों ने उत्साह-भरे शब्दों को इसलिए छीना होगा ताकि वे उनका दुरुपयोग करते हुए भोले-भाले लोगो को बहकाएँ और उनमें धार्मिक उन्माद पैदा कर सकें।
(ख) यहाँ ‘ तलवार ‘ द्वारा आना ही वह मानेक कर्य किया गया है अत यहा “आयात को ओ सीता कर रहा ह।
(ग) आशय यह है कि समाज के तथाकथित लुटेरों ने कवयित्री द्वारा गढ़े गए ताकत और उत्साह से भरे शब्दों का दुरुपयोग सत्ता पाने के लिए किया और लोग उन शब्दों के भ्रम में आ गए।
(घ) कवयित्री शब्दों को इसलिए बो रही है ताकि वे समाज में खूब फैलें। उसे उम्मीद है कि ये शब्द समय आने पर अपने सही अर्थ की अभिव्यक्ति करेंगे।
(ङ) ‘वे कर रहे हैं अट्ठहास’ में ‘वे’ शब्द समाज के सफ़ेदपोश लुटेरों के लिए प्रयुक्त हुआ है।
(ख) यहाँ ‘ तलवार ‘ द्वारा आना ही वह मानेक कर्य किया गया है अत यहा “आयात को ओ सीता कर रहा ह।
(ग) आशय यह है कि समाज के तथाकथित लुटेरों ने कवयित्री द्वारा गढ़े गए ताकत और उत्साह से भरे शब्दों का दुरुपयोग सत्ता पाने के लिए किया और लोग उन शब्दों के भ्रम में आ गए।
(घ) कवयित्री शब्दों को इसलिए बो रही है ताकि वे समाज में खूब फैलें। उसे उम्मीद है कि ये शब्द समय आने पर अपने सही अर्थ की अभिव्यक्ति करेंगे।
(ङ) ‘वे कर रहे हैं अट्ठहास’ में ‘वे’ शब्द समाज के सफ़ेदपोश लुटेरों के लिए प्रयुक्त हुआ है।
28.
पैदा करती कलम विचारों के जलते अंगारे,
और प्रज्वलित प्राण देश क्या कभी मरेगा मारे?
लहू गर्म करने को रक्खो मन में ज्वलित विचार,
हिंस्र जीव से बचने को चाहिए किंतु तलवार।
एक भेद है और, जहाँ निर्भय होते नर-नारी
और प्रज्वलित प्राण देश क्या कभी मरेगा मारे?
लहू गर्म करने को रक्खो मन में ज्वलित विचार,
हिंस्र जीव से बचने को चाहिए किंतु तलवार।
एक भेद है और, जहाँ निर्भय होते नर-नारी
कलम उगलती आग, जहाँ अक्षर बनते चिंगारी
जहाँ मनुष्यों के भीतर हरदम जलते हैं शोले,
बातों में बिजली होती, होते दिमाग में गोले।
जहाँ लोग पालते लहू में हालाहल की धार
क्या चिंता यदि वहाँ हाथ में हुई नहीं तलवार?
जहाँ मनुष्यों के भीतर हरदम जलते हैं शोले,
बातों में बिजली होती, होते दिमाग में गोले।
जहाँ लोग पालते लहू में हालाहल की धार
क्या चिंता यदि वहाँ हाथ में हुई नहीं तलवार?
प्रश्न
(क) कलम किस बात की प्रतीक है?
(ख) तलवार की आवश्यकता कहाँ पड़ती है?
(ग) लहू को गर्म करने से कवि का क्या आशय है?
(घ) कैसे व्यक्ति को तलवार की आवश्यकता नहीं होती?
(ङ) तलवार कब अपरिहार्य हो जाती है? [CBSE (Delhi), 2015]
(ख) तलवार की आवश्यकता कहाँ पड़ती है?
(ग) लहू को गर्म करने से कवि का क्या आशय है?
(घ) कैसे व्यक्ति को तलवार की आवश्यकता नहीं होती?
(ङ) तलवार कब अपरिहार्य हो जाती है? [CBSE (Delhi), 2015]
उत्तर-
(क) कलम व्यक्ति में ओजस्वी और क्रांतिकारी विचार उत्पन्न करने के साधन का प्रतीक है जिससे व्यक्ति की दीनता-हीनता नष्ट हो जाती है।
(ख) जहाँ लोग क्रांतिकारी विचारों से दूरी रखते हैं; साहस, उत्साह से हीन होते हैं; वाणी में दीनता और व्यवहार में ल्किता है जो लोक कल्ममेंआपाउलों की ताकता नाटह चुकहैव लरिक आवयकता पडती है।
(ग) लहू को गर्म रखने का तात्पर्य है-मन में जोश, उत्साह और उमंग बनाए रखते हुए क्रांतिकारी विचार रखना।
(घ) जो व्यक्ति निर्भय होता है, जिस व्यक्ति के विचारों में क्रांति की ज्वाला फूटती है, अन्याय अत्याचार को न सहने की प्रबल भावना होती है तथा जिसमें अपने राष्ट्र के प्रति बलिदान की उत्कट भावना होती है उसे तलवार की आवश्यकता नहीं पड़ती।
(ङ) तलवार तब अपरिहार्य बन जाती है जब अत्याचार, अन्याय तथा राष्ट्र के प्रति कुदृष्टि रखने वाले शत्रुरूपी हिंसक जीव से अपना बचाव करना होता है तथा प्रेम, सद्भाव आदि को दुर्बलता समझकर उनका अनुचित फायदा उठाया जाता है।
(ख) जहाँ लोग क्रांतिकारी विचारों से दूरी रखते हैं; साहस, उत्साह से हीन होते हैं; वाणी में दीनता और व्यवहार में ल्किता है जो लोक कल्ममेंआपाउलों की ताकता नाटह चुकहैव लरिक आवयकता पडती है।
(ग) लहू को गर्म रखने का तात्पर्य है-मन में जोश, उत्साह और उमंग बनाए रखते हुए क्रांतिकारी विचार रखना।
(घ) जो व्यक्ति निर्भय होता है, जिस व्यक्ति के विचारों में क्रांति की ज्वाला फूटती है, अन्याय अत्याचार को न सहने की प्रबल भावना होती है तथा जिसमें अपने राष्ट्र के प्रति बलिदान की उत्कट भावना होती है उसे तलवार की आवश्यकता नहीं पड़ती।
(ङ) तलवार तब अपरिहार्य बन जाती है जब अत्याचार, अन्याय तथा राष्ट्र के प्रति कुदृष्टि रखने वाले शत्रुरूपी हिंसक जीव से अपना बचाव करना होता है तथा प्रेम, सद्भाव आदि को दुर्बलता समझकर उनका अनुचित फायदा उठाया जाता है।
-------------THE END--------------
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