Class 12 Chemistry
Chapter 6
General Principles and Processes of Isolation of
Elements
(तत्त्वों के
निष्कर्षण के
सिद्धान्त एवं
प्रक्रम)
Hindi Medium
परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
(MCQ) बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा अयस्क नहीं है? (2017)
(i) आयरन पाइराइट
(ii) हॉर्न सिल्वर
(iii) मैलेकाइट
(iv) पिग आयरन
उत्तर
(iv) पिग आयरन
निम्नलिखित में से कौन-सा अयस्क नहीं है? (2017)
(i) आयरन पाइराइट
(ii) हॉर्न सिल्वर
(iii) मैलेकाइट
(iv) पिग आयरन
उत्तर
(iv) पिग आयरन
प्रश्न 2.
कौन से अयस्क का सान्द्रण फेल प्लवन विधि द्वारा किया जाता है? (2017)
(i) कार्बोनेट
(ii) सल्फाइड
(iii) ऑक्साइड
(iv) फॉस्फेट
उत्तर
(ii) सल्फाइड
कौन से अयस्क का सान्द्रण फेल प्लवन विधि द्वारा किया जाता है? (2017)
(i) कार्बोनेट
(ii) सल्फाइड
(iii) ऑक्साइड
(iv) फॉस्फेट
उत्तर
(ii) सल्फाइड
प्रश्न 3.
लौह अयस्कों का सान्द्रण किया जाता है – (2010, 17)
(i) गुरुत्व पृथक्करण विधि द्वारा।
(ii) फेन प्लवन विधि द्वारा
(iii) चुम्बकीय पृथक्करण विधि द्वारा
(iv) अमलगम विधि द्वारा।
उत्तर
(iii) चुम्बकीय पृथक्करण विधि द्वारा
लौह अयस्कों का सान्द्रण किया जाता है – (2010, 17)
(i) गुरुत्व पृथक्करण विधि द्वारा।
(ii) फेन प्लवन विधि द्वारा
(iii) चुम्बकीय पृथक्करण विधि द्वारा
(iv) अमलगम विधि द्वारा।
उत्तर
(iii) चुम्बकीय पृथक्करण विधि द्वारा
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन क्षारीय गालक नहीं है?
(i) CaCO3
(ii) CaO
(iii) SiO2
(iv) MgO
उत्तर
(iii) SiO2
निम्नलिखित में से कौन क्षारीय गालक नहीं है?
(i) CaCO3
(ii) CaO
(iii) SiO2
(iv) MgO
उत्तर
(iii) SiO2
प्रश्न 5.
वात्या भट्टी में आयरन ऑक्साइड अपचयित होता है – (2009, 18)
(i) SiO2 द्वारा
(ii) C द्वारा
(iii) CO द्वारा
(iv) CaCO3 द्वारा
उत्तर
(iii) CO द्वारा
वात्या भट्टी में आयरन ऑक्साइड अपचयित होता है – (2009, 18)
(i) SiO2 द्वारा
(ii) C द्वारा
(iii) CO द्वारा
(iv) CaCO3 द्वारा
उत्तर
(iii) CO द्वारा
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
अयस्क किसे कहते हैं? अयस्क तथा खनिज में क्या अन्तर है? (2009, 12)
उत्तर
खनिज-पृथ्वी में धातु तथा उनके यौगिक जिस रूप में मिलते हैं, वे खनिज कहलाते हैं; जैसे- रॉक साल्ट (rock salt), NaCl आदि।
अयस्क- वे खनिज जिनसे किसी शुद्ध धातु का निष्कर्षण अधिक मात्रा में सुविधापूर्वक व कम व्यय पर किया जा सके, उस धातु के अयस्क कहलाते हैं; जैसे- लोहे का अयस्क हेमेटाइट, Fe2O3 : 2H2O है। अतः सभी अयस्क खनिज होते हैं, परन्तु सभी खनिज अयस्क नहीं होते हैं।
अयस्क किसे कहते हैं? अयस्क तथा खनिज में क्या अन्तर है? (2009, 12)
उत्तर
खनिज-पृथ्वी में धातु तथा उनके यौगिक जिस रूप में मिलते हैं, वे खनिज कहलाते हैं; जैसे- रॉक साल्ट (rock salt), NaCl आदि।
अयस्क- वे खनिज जिनसे किसी शुद्ध धातु का निष्कर्षण अधिक मात्रा में सुविधापूर्वक व कम व्यय पर किया जा सके, उस धातु के अयस्क कहलाते हैं; जैसे- लोहे का अयस्क हेमेटाइट, Fe2O3 : 2H2O है। अतः सभी अयस्क खनिज होते हैं, परन्तु सभी खनिज अयस्क नहीं होते हैं।
प्रश्न 2.
ऐलुमिनियम के दो प्रमुख अयस्कों के नाम तथा सूत्र लिखिए। (2012)
उत्तर
ऐलुमिनियम के दो प्रमुख अयस्क इस प्रकार हैं –
ऐलुमिनियम के दो प्रमुख अयस्कों के नाम तथा सूत्र लिखिए। (2012)
उत्तर
ऐलुमिनियम के दो प्रमुख अयस्क इस प्रकार हैं –
1. बॉक्साइट Al2O3 : 2H2O
2. क्रायोलाइट Na3AIF6
प्रश्न 3.
ऐलुनाइट अयस्क का संगठन लिखिए। (2012)
उत्तर
K2SO4 : Al2(SO4)3 : 4 Al(OH)3
ऐलुनाइट अयस्क का संगठन लिखिए। (2012)
उत्तर
K2SO4 : Al2(SO4)3 : 4 Al(OH)3
प्रश्न 4.
कॉपर के दो प्रमुख अयस्कों के नाम तथा सूत्र लिखिए। (2016, 12, 15, 16, 17)
उत्तर
कॉपर के दो प्रमुख अयस्क क्यूप्राइट (Cu2O) व कॉपर पायराइट (CuFeS2) हैं।
कॉपर के दो प्रमुख अयस्कों के नाम तथा सूत्र लिखिए। (2016, 12, 15, 16, 17)
उत्तर
कॉपर के दो प्रमुख अयस्क क्यूप्राइट (Cu2O) व कॉपर पायराइट (CuFeS2) हैं।
प्रश्न 5.
किन्हीं दो सल्फाइड अयस्कों के नाम लिखिए। (2012)
उत्तर
किन्हीं दो सल्फाइड अयस्कों के नाम लिखिए। (2012)
उत्तर
1. अर्जेण्टाइट (Ag2S)
2. कैल्कोपायराइट (CuFeS2)
प्रश्न 6.
डायस्पोर तथा केरार्जिराइट किन धातुओं के अयस्क हैं? (2009)
उत्तर
डायस्पोर तथा केरार्जिराइट किन धातुओं के अयस्क हैं? (2009)
उत्तर
·
डायस्पोर- ऐलुमिनियम;
·
केरार्जिराइट- सिल्वर
प्रश्न 7.
लोहे के प्रमुख अयस्कों के नाम तथा सूत्र लिखिए। (2009, 10, 11, 13, 17)
उत्तर
1, ऑक्साइड अयस्क – लाल हेमेटाइट (Fe2O3 . 2H2O), मैग्नेटाइट (Fe3O4)
2. जलीय ऑक्साइड अयस्क – भूरा हेमेटाइट या लिमोनाइट (Fe2O3 : 3H2O)
3. कार्बोनेट अयस्क – सिडेराइट (FeCO3)
4. सल्फाइड अयस्क – आयरन पाइराइट (FeS2), कॉपर आयरन पाइराइट या कैल्को पाइराइट (CuFeS2)
लोहे के प्रमुख अयस्कों के नाम तथा सूत्र लिखिए। (2009, 10, 11, 13, 17)
उत्तर
1, ऑक्साइड अयस्क – लाल हेमेटाइट (Fe2O3 . 2H2O), मैग्नेटाइट (Fe3O4)
2. जलीय ऑक्साइड अयस्क – भूरा हेमेटाइट या लिमोनाइट (Fe2O3 : 3H2O)
3. कार्बोनेट अयस्क – सिडेराइट (FeCO3)
4. सल्फाइड अयस्क – आयरन पाइराइट (FeS2), कॉपर आयरन पाइराइट या कैल्को पाइराइट (CuFeS2)
प्रश्न 8.
ऐजुराइट तथा सिडेराइट अयस्कों का सूत्र लिखिए। (2012)
उत्तर
ऐजुराइट- 2CuCO3 . Cu(OH)2, सिडेराइट (FeCO3)
ऐजुराइट तथा सिडेराइट अयस्कों का सूत्र लिखिए। (2012)
उत्तर
ऐजुराइट- 2CuCO3 . Cu(OH)2, सिडेराइट (FeCO3)
प्रश्न 9.
आधात्री की व्याख्या कीजिए। (2009)
उत्तर
खनिजों में मिट्टी, कंकड़, पत्थर आदि अनावश्यक पदार्थ अशुद्धियों के रूप में मिले रहते हैं। इन पदार्थों को गैंग या आधात्री कहते हैं।
आधात्री की व्याख्या कीजिए। (2009)
उत्तर
खनिजों में मिट्टी, कंकड़, पत्थर आदि अनावश्यक पदार्थ अशुद्धियों के रूप में मिले रहते हैं। इन पदार्थों को गैंग या आधात्री कहते हैं।
प्रश्न 10.
फेन प्लवन विधि द्वारा किन अयस्कों का सान्द्रण किया जाता है। इस विधि का वर्णन | कीजिए। (2009, 11, 17)
उत्तर
यह विधि अयस्क तथा आधात्री (gangue) की किसी द्रव से भीगने की प्रवृत्ति पर निर्भर करती है। इस विधि में बारीक पिसे हुए अयस्क को जल तथा तेल के मिश्रण में डालकर वायु प्रवाहित की जाती है। अशुद्ध अयस्क तेल के साथ झाग (फेन) बनाकर ऊपर तैरने लगता है और अपद्रव्य नीचे बैठ जाते हैं। इस विधि में चीड़ का तेल (pine oil) या क्रीओसेट तेल (creosate oil) काम में लाया जाता है। सल्फाइड अयस्कों का सान्द्रण इसी विधि से किया जाता है।
फेन प्लवन विधि द्वारा किन अयस्कों का सान्द्रण किया जाता है। इस विधि का वर्णन | कीजिए। (2009, 11, 17)
उत्तर
यह विधि अयस्क तथा आधात्री (gangue) की किसी द्रव से भीगने की प्रवृत्ति पर निर्भर करती है। इस विधि में बारीक पिसे हुए अयस्क को जल तथा तेल के मिश्रण में डालकर वायु प्रवाहित की जाती है। अशुद्ध अयस्क तेल के साथ झाग (फेन) बनाकर ऊपर तैरने लगता है और अपद्रव्य नीचे बैठ जाते हैं। इस विधि में चीड़ का तेल (pine oil) या क्रीओसेट तेल (creosate oil) काम में लाया जाता है। सल्फाइड अयस्कों का सान्द्रण इसी विधि से किया जाता है।
प्रश्न11.
अयस्कों का सान्द्रण क्यों आवश्यक है? चुम्बकीय पृथक्करण विधि से क्या तात्पर्य है? (2012)
उत्तर
खानों से प्राप्त अयस्कों में मिट्टी, कंकड़, पत्थर आदि मिले होते हैं जिन्हें आधात्री कहते हैं। आधात्री के कारण शुद्ध धातु प्राप्त करने में अवरोध उत्पन्न होता है तथा धन व समय का भी अपव्यय होता है। अत: धातु निष्कर्षण के पूर्व अयस्क से इन अशुद्धियों को दूर किया जाता है जिसे अयस्क का सान्द्रण कहते हैं।
अयस्कों का सान्द्रण क्यों आवश्यक है? चुम्बकीय पृथक्करण विधि से क्या तात्पर्य है? (2012)
उत्तर
खानों से प्राप्त अयस्कों में मिट्टी, कंकड़, पत्थर आदि मिले होते हैं जिन्हें आधात्री कहते हैं। आधात्री के कारण शुद्ध धातु प्राप्त करने में अवरोध उत्पन्न होता है तथा धन व समय का भी अपव्यय होता है। अत: धातु निष्कर्षण के पूर्व अयस्क से इन अशुद्धियों को दूर किया जाता है जिसे अयस्क का सान्द्रण कहते हैं।
प्रश्न 12.
गालक किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइए। (2011, 12, 13, 15, 16, 17)
उत्तर
गालक– गालक उस पदार्थ को कहते हैं जो अयस्क में उपस्थित अगलनीय अशुद्धियों के साथ उच्च ताप पर क्रिया करके इनको आसानी से गलाकर पृथक् होने वाले पदार्थों के रूप में दूर कर देते हैं। अशुद्धियों की गालक से क्रिया के फलस्वरूप बने गलनीय पदार्थ को धातुमल कहा जाता है। धातुमल, धातु से हल्का होने के कारण उसके ऊपर एक अलग पर्त के रूप में तैरने लगता है जिसको अलग कर लेते हैं। गालक दो प्रकार के होते हैं –
1. अम्लीय गालक; जैसे- SiO2। यह क्षारीय अशुद्धियों; जैसे- CaO, FeO आदि को दूर करता है।
2. क्षारीय गालक; जैसे- चूने का पत्थर (CaCO3)। यह अम्लीय अशुद्धियों; जैसे- SiO2, P2O5 को दूर करता है।
गालक किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइए। (2011, 12, 13, 15, 16, 17)
उत्तर
गालक– गालक उस पदार्थ को कहते हैं जो अयस्क में उपस्थित अगलनीय अशुद्धियों के साथ उच्च ताप पर क्रिया करके इनको आसानी से गलाकर पृथक् होने वाले पदार्थों के रूप में दूर कर देते हैं। अशुद्धियों की गालक से क्रिया के फलस्वरूप बने गलनीय पदार्थ को धातुमल कहा जाता है। धातुमल, धातु से हल्का होने के कारण उसके ऊपर एक अलग पर्त के रूप में तैरने लगता है जिसको अलग कर लेते हैं। गालक दो प्रकार के होते हैं –
1. अम्लीय गालक; जैसे- SiO2। यह क्षारीय अशुद्धियों; जैसे- CaO, FeO आदि को दूर करता है।
2. क्षारीय गालक; जैसे- चूने का पत्थर (CaCO3)। यह अम्लीय अशुद्धियों; जैसे- SiO2, P2O5 को दूर करता है।
प्रश्न 13.
अम्लीय गालक क्या है? धातुकर्म में इसकी क्या उपयोगिता है? एक उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर
वे गालक जो क्षारीय अशुद्धियों से क्रिया करके धातुमल बनाते हैं, अम्लीय गालक कहलाते हैं। सिलिका (SiO2) तथा बोरेक्स प्रमुख अम्लीय गालक हैं।
अम्लीय गालक क्या है? धातुकर्म में इसकी क्या उपयोगिता है? एक उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर
वे गालक जो क्षारीय अशुद्धियों से क्रिया करके धातुमल बनाते हैं, अम्लीय गालक कहलाते हैं। सिलिका (SiO2) तथा बोरेक्स प्रमुख अम्लीय गालक हैं।
प्रश्न 14.
SiO2 अशुद्धि दूर करने के लिए उपयुक्त गालक लिखिए तथा सम्बन्धित अभिक्रिया लिखिए। (2009)
उत्तर
SiO2 अशुद्धि दूर करने के लिए उपयुक्त गालक लिखिए तथा सम्बन्धित अभिक्रिया लिखिए। (2009)
उत्तर
SiO2 अशुद्धि दूर करने के लिए उसमें क्षारीय गालक CaCO3 लिया जाता है।
प्रश्न15.
धातुमल किसे कहते हैं? एक उदाहरण से समझाइए। (2009, 12, 13, 15, 16)
उत्तर
अयस्क में कुछ अशुद्धियाँ ऐसी होती हैं जिनका गलनांक बहुत अधिक होता है। गालक इन अशुद्धियों से मिलकर द्रवित पदार्थ बनाते हैं जिसे धातुमल कहते हैं। यह धातु से हल्का होने के कारण ऊपर तैरता रहता है जिसे निथारकर अलग कर दिया जाता है।
अशुद्धि + गालक = धातुमल
उदाहरणार्थ- FeO में SiO2 मिलाने पर FeSiO3 धातुमल प्राप्त होता है।
धातुमल किसे कहते हैं? एक उदाहरण से समझाइए। (2009, 12, 13, 15, 16)
उत्तर
अयस्क में कुछ अशुद्धियाँ ऐसी होती हैं जिनका गलनांक बहुत अधिक होता है। गालक इन अशुद्धियों से मिलकर द्रवित पदार्थ बनाते हैं जिसे धातुमल कहते हैं। यह धातु से हल्का होने के कारण ऊपर तैरता रहता है जिसे निथारकर अलग कर दिया जाता है।
अशुद्धि + गालक = धातुमल
उदाहरणार्थ- FeO में SiO2 मिलाने पर FeSiO3 धातुमल प्राप्त होता है।
प्रश्न 16.
निस्तापन किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए। (2009, 11, 16)
उत्तर
वह क्रिया जिसमें अयस्क को इतना गर्म करते हैं कि वह पिघले नहीं तथा अयस्क से गैसीय पदार्थ या वाष्पशील पदार्थ पृथक् हो जाते हैं, निस्तापन कहलाती है। गैस निकलने पर अयस्क सरन्ध्र (porous) हो जाता है; जैसे- कार्बोनेट अयस्क गर्म होकर ऑक्साइड अयस्क तथा CO2 में बदल जाता है।
ZnCO3 → ZnO + CO2 ↑
निस्तापन किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए। (2009, 11, 16)
उत्तर
वह क्रिया जिसमें अयस्क को इतना गर्म करते हैं कि वह पिघले नहीं तथा अयस्क से गैसीय पदार्थ या वाष्पशील पदार्थ पृथक् हो जाते हैं, निस्तापन कहलाती है। गैस निकलने पर अयस्क सरन्ध्र (porous) हो जाता है; जैसे- कार्बोनेट अयस्क गर्म होकर ऑक्साइड अयस्क तथा CO2 में बदल जाता है।
ZnCO3 → ZnO + CO2 ↑
प्रश्न 17.
भर्जन किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए। (2011, 16, 17)
उत्तर
वह क्रिया जिसमें अयस्क को वायु की उपस्थिति में उसके गलनांक से नीचे गर्म किया जाता है, भर्जन कहलाती है। इस क्रिया में S, As आदि वाष्पशील अशुद्धियाँ ऑक्साइडों के रूप में पृथक् हो जाती हैं। और सल्फाइड अयस्क ऑक्साइड में बदल जाता है।
S + O2 → SO2 ↑
4 As + 3O2 → 2 As2O3 ↑
2 Zns + 3O2 → 2 ZnO + 2 SO2 ↑
भर्जन किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए। (2011, 16, 17)
उत्तर
वह क्रिया जिसमें अयस्क को वायु की उपस्थिति में उसके गलनांक से नीचे गर्म किया जाता है, भर्जन कहलाती है। इस क्रिया में S, As आदि वाष्पशील अशुद्धियाँ ऑक्साइडों के रूप में पृथक् हो जाती हैं। और सल्फाइड अयस्क ऑक्साइड में बदल जाता है।
S + O2 → SO2 ↑
4 As + 3O2 → 2 As2O3 ↑
2 Zns + 3O2 → 2 ZnO + 2 SO2 ↑
प्रश्न 18.
जिंक ब्लैण्ड से जिंक के निष्कर्षण में भर्जन व अपचयन की अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण दीजिए। (2014)
उत्तर
जिंक ब्लैण्ड (ZnS) एक सल्फाइड अयस्क है, अत: इसका निष्कर्षण फेन प्लवन विधि द्वारा सान्द्रित करने के पश्चात् निम्न पदों में किया जाता है –
1. जिंक ब्लैण्ड अयस्क का भर्जन – सान्द्रित जिंक ब्लैण्ड को परावर्तनी भट्ठी में 927°C पर वायु की उपस्थिति में गर्म करने पर यह (ZnS) अपने ऑक्साइड (ZnO) में परिवर्तित हो जाता है। अभिक्रिया निम्न है।
2 ZnS + 3O2 → 2 ZnO + 2 SO2 ↑
Zns + 2O2 → ZnSO4
2 ZnSO4 2 ZnO + 2 SO2 ↑ + O2 ↑
जिंक ब्लैण्ड से जिंक के निष्कर्षण में भर्जन व अपचयन की अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण दीजिए। (2014)
उत्तर
जिंक ब्लैण्ड (ZnS) एक सल्फाइड अयस्क है, अत: इसका निष्कर्षण फेन प्लवन विधि द्वारा सान्द्रित करने के पश्चात् निम्न पदों में किया जाता है –
1. जिंक ब्लैण्ड अयस्क का भर्जन – सान्द्रित जिंक ब्लैण्ड को परावर्तनी भट्ठी में 927°C पर वायु की उपस्थिति में गर्म करने पर यह (ZnS) अपने ऑक्साइड (ZnO) में परिवर्तित हो जाता है। अभिक्रिया निम्न है।
2 ZnS + 3O2 → 2 ZnO + 2 SO2 ↑
Zns + 2O2 → ZnSO4
2 ZnSO4 2 ZnO + 2 SO2 ↑ + O2 ↑
2. ऑक्साइड का अपचयन – भर्जन क्रिया से प्राप्त ZnO को कार्बन के साथ गर्म करने पर ZnO का Zn में अपचयन हो जाता है।
ZnO + C Zn + CO ↑
ZnO + C Zn + CO ↑
प्रश्न 19.
प्रगलन क्या है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए। (2009, 10, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18)
या
प्रगलन में किस भट्टी का प्रयोग करते हैं ? इसका नामांकित चित्र बनाइए। (2009, 15)
उत्तर
अयस्क में उचित गालक मिलाकर मिश्रण को उच्च ताप पर गलाने की क्रिया को प्रगलन कहते हैं। इस क्रिया में अयस्क का गलित धातु में अपचयन हो जाता है अथवा धातुयुक्त पदार्थ पिघल जाता है। गालक अयस्क में उपस्थित अपद्रव्य से क्रिया करके धातुमल बनाता है जिसे अलग कर लेते हैं। इसमें वात्या भट्ठी का प्रयोग करते हैं।
प्रगलन क्या है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए। (2009, 10, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18)
या
प्रगलन में किस भट्टी का प्रयोग करते हैं ? इसका नामांकित चित्र बनाइए। (2009, 15)
उत्तर
अयस्क में उचित गालक मिलाकर मिश्रण को उच्च ताप पर गलाने की क्रिया को प्रगलन कहते हैं। इस क्रिया में अयस्क का गलित धातु में अपचयन हो जाता है अथवा धातुयुक्त पदार्थ पिघल जाता है। गालक अयस्क में उपस्थित अपद्रव्य से क्रिया करके धातुमल बनाता है जिसे अलग कर लेते हैं। इसमें वात्या भट्ठी का प्रयोग करते हैं।
उदाहरणार्थ– कॉपर पाइराइट से कॉपर का निष्कर्षण वात्या भट्ठी में प्रगलन द्वारा किया जाता है। इसमें निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं –
Cu2O + Fes → Cu2S + FeO
2 Fes + 3O2 → 2 FeO + 2 SO2 ↑
FeO + SiO2 → FeSiO3
प्रश्न 20.
प्रगलन में कोक और गालक का प्रयोग क्यों किया जाता है? व्याख्या कीजिए। (2009, 17)
उत्तर
प्रगलन में कोक तथा गालक के प्रयोग से अयस्क के निस्तापन से प्राप्त ऑक्साइड को कोक अपचयित करता है, जिससे गलित धातु प्राप्त हो जाती है और अपद्रव्य गालक से क्रिया करके धातुमल के रूप में अलग हो जाते हैं। इससे अयस्क का गलनांक भी कम हो जाता है।
प्रगलन में कोक और गालक का प्रयोग क्यों किया जाता है? व्याख्या कीजिए। (2009, 17)
उत्तर
प्रगलन में कोक तथा गालक के प्रयोग से अयस्क के निस्तापन से प्राप्त ऑक्साइड को कोक अपचयित करता है, जिससे गलित धातु प्राप्त हो जाती है और अपद्रव्य गालक से क्रिया करके धातुमल के रूप में अलग हो जाते हैं। इससे अयस्क का गलनांक भी कम हो जाता है।
प्रश्न 21.
ऐलुमिनो-थर्मिक विधि क्या है ? इसके उपयोग लिखिए। (2012)
उत्तर
धातुओं के ऑक्साइडों को ऐलुमिनियम चूर्ण के साथ उच्च ताप पर गर्म करने से धातुएँ प्राप्त होती हैं। यह क्रिया ऊष्माक्षेपी है तथा इसको एलुमिनोथर्मिक विधि कहते हैं।
3 Co3O4 + 8 Al → 9 Co + 4Al2O5
3 Mn3O4 + 8 Al → 9 Mn + 4 Al2O5
इस विधि का उपयोग CO, Mn और Cr धातुओं के निष्कर्षण और थर्माइट वेल्डिंग में किया जाता है।
ऐलुमिनो-थर्मिक विधि क्या है ? इसके उपयोग लिखिए। (2012)
उत्तर
धातुओं के ऑक्साइडों को ऐलुमिनियम चूर्ण के साथ उच्च ताप पर गर्म करने से धातुएँ प्राप्त होती हैं। यह क्रिया ऊष्माक्षेपी है तथा इसको एलुमिनोथर्मिक विधि कहते हैं।
3 Co3O4 + 8 Al → 9 Co + 4Al2O5
3 Mn3O4 + 8 Al → 9 Mn + 4 Al2O5
इस विधि का उपयोग CO, Mn और Cr धातुओं के निष्कर्षण और थर्माइट वेल्डिंग में किया जाता है।
प्रश्न 22.
लीचिंग क्या है? एक उदाहरण द्वारा समझाइए। (2015)
उत्तर
यह विधि रासायनिक परिवर्तन पर आधारित है। इसके अन्तर्गत बारीक पिसे अयस्क को उचित अभिकर्मक के साथ क्रिया कराते हैं। जिससे विलयन की अवस्था में परिवर्तन आ जाता है तथा अशुद्धियाँ ठोस अवस्था में रह जाती हैं।
उदाहरण– बॉक्साइट अयस्क को सान्द्रण करने के लिए Al2O5 . 2H2O की क्रिया NaOH से कराने पर NaAlO2 बन जाता है जो जल में विलेय है और अशुद्धियाँ; जैसे- सिलिका, Fe2O3 नीचे ठोस के रूप में अवक्षिप्त हो जाती हैं।
Al2O3 . 2H2O + 2 NaOH → 2 NaAlO2 + 3 H2O
NaAlO2 + 2H2O → Al(OH)3 + NaOH
लीचिंग क्या है? एक उदाहरण द्वारा समझाइए। (2015)
उत्तर
यह विधि रासायनिक परिवर्तन पर आधारित है। इसके अन्तर्गत बारीक पिसे अयस्क को उचित अभिकर्मक के साथ क्रिया कराते हैं। जिससे विलयन की अवस्था में परिवर्तन आ जाता है तथा अशुद्धियाँ ठोस अवस्था में रह जाती हैं।
उदाहरण– बॉक्साइट अयस्क को सान्द्रण करने के लिए Al2O5 . 2H2O की क्रिया NaOH से कराने पर NaAlO2 बन जाता है जो जल में विलेय है और अशुद्धियाँ; जैसे- सिलिका, Fe2O3 नीचे ठोस के रूप में अवक्षिप्त हो जाती हैं।
Al2O3 . 2H2O + 2 NaOH → 2 NaAlO2 + 3 H2O
NaAlO2 + 2H2O → Al(OH)3 + NaOH
प्रश्न23.
लोहे के निष्कर्षण के दौरान वात्या भट्टी में चूने का पत्थर क्यों डालते हैं? समझाइए। (2015)
उत्तर
लोहे के निष्कर्षण के दौरान वात्या भट्टी में मिलाया गया चूना पत्थर (CaCO3) गालक का कार्य करता है। यह धातुमल (SiO2) से संयोग करके धातुमल (CaSiO3) कैल्सियम सिलिकेट बनाता है।
लोहे के निष्कर्षण के दौरान वात्या भट्टी में चूने का पत्थर क्यों डालते हैं? समझाइए। (2015)
उत्तर
लोहे के निष्कर्षण के दौरान वात्या भट्टी में मिलाया गया चूना पत्थर (CaCO3) गालक का कार्य करता है। यह धातुमल (SiO2) से संयोग करके धातुमल (CaSiO3) कैल्सियम सिलिकेट बनाता है।
प्रश्न 24.
इस्पात का ऊष्मा उपचार क्यों आवश्यक है ? यह किस प्रकार किया जाता है? (2010, 11, 12)
उत्तर
इस्पात के यान्त्रिक गुण उसके ऊष्मा उपचार पर निर्भर करते हैं। ऊष्मा उपचार द्वारा इस्पात को कठोर या नर्म बनाया जा सकता है।
इस्पात का कठोरीकरण – इस्पात को रक्त-तप्त ताप तक गर्म करके ठण्डे जल द्वारा उसे एकाएक ठण्डा करने की क्रिया इस्पात का कठोरीकरण (hardening of steel) कहलाती है। इस क्रिया से इस्पात बहुत कठोर और भंगुर हो जाता है।
इस्पात का ऊष्मा उपचार क्यों आवश्यक है ? यह किस प्रकार किया जाता है? (2010, 11, 12)
उत्तर
इस्पात के यान्त्रिक गुण उसके ऊष्मा उपचार पर निर्भर करते हैं। ऊष्मा उपचार द्वारा इस्पात को कठोर या नर्म बनाया जा सकता है।
इस्पात का कठोरीकरण – इस्पात को रक्त-तप्त ताप तक गर्म करके ठण्डे जल द्वारा उसे एकाएक ठण्डा करने की क्रिया इस्पात का कठोरीकरण (hardening of steel) कहलाती है। इस क्रिया से इस्पात बहुत कठोर और भंगुर हो जाता है।
इस्पात का टैम्परीकरण – कठोरीकृत (hardened) इस्पात को किसी उच्च ताप तक (पहले से कम ताप पर) पुनः गर्म करके धीरे-धीरे ठण्डा करने की क्रिया इस्पात का टैम्परीकरण (tempering) कहलाती है। इस क्रिया से इस्पात नर्म (soft) हो जाता है और उसकी भंगुरता (brittleness) मिट जाती है। इस्पात को धीरे-धीरे ठण्डा करने पर ऑस्टीनाइट धीरे-धीरे सीमेन्टाइट और आइरन में अपघटित हो जाता है, जिससे इस्पात नर्म हो जाता है।
प्रश्न 25.
ढलवाँ लोहा, पिटवाँ लोहा तथा इस्पात में अन्तर लिखिए।
उत्तर
ढलवाँ लोहा, पिटवाँ लोहा तथा इस्पात में अन्तर लिखिए।
उत्तर
·
ढलवाँ लोहा – इसमें लगभग 93 से 94% Fe, 2 से 4% C तथा शेष Si, P तथा Mn की अशुद्धियाँ होती हैं।
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पिटवाँ लोहा – इसमें 98.8% से 99.9% Fe और 0.1 से 0.25% C तथा शेष Si, P और Mn की अशुद्धियाँ होती हैं।
·
इस्पात – इसमें 98 से 99.8% Fe और 0.25 से 1.5% C होता है।
प्रश्न 26.
स्टेनलेस स्टील का संगठन तथा उपयोग लिखिए।
उत्तर
Fe – 74%, Ni – 8%, Cr (18%)
उपयोग– बर्तन, मूर्तियाँ, बॉल बेयरिंग तथा शल्य चिकित्सा के औजार बनाने में।
स्टेनलेस स्टील का संगठन तथा उपयोग लिखिए।
उत्तर
Fe – 74%, Ni – 8%, Cr (18%)
उपयोग– बर्तन, मूर्तियाँ, बॉल बेयरिंग तथा शल्य चिकित्सा के औजार बनाने में।
प्रश्न 27.
फेरिक क्लोराइड के दो रासायनिक गुण लिखिए।
उत्तर
1. जल- अपघटन पर यह HCl उत्पन्न करता है; अत: इसका जलीय विलयन अम्लीय प्रकृति का होता है।
FeCl3 + 3H2O → Fe(OH)3 + 3 HCl
2. पोटैशियम फेरोसायनाइड विलयन के साथ यह नीले रंग का फेरिक फेरोसायनाइड (प्रशियन ब्लू) बनाता है।
फेरिक क्लोराइड के दो रासायनिक गुण लिखिए।
उत्तर
1. जल- अपघटन पर यह HCl उत्पन्न करता है; अत: इसका जलीय विलयन अम्लीय प्रकृति का होता है।
FeCl3 + 3H2O → Fe(OH)3 + 3 HCl
2. पोटैशियम फेरोसायनाइड विलयन के साथ यह नीले रंग का फेरिक फेरोसायनाइड (प्रशियन ब्लू) बनाता है।
प्रश्न 28.
कॉपर के किसी एक मिश्र-धातु का संघटन तथा उपयोग लिखिए। (2011)
उत्तर
कॉपर के किसी एक मिश्र-धातु का संघटन तथा उपयोग लिखिए। (2011)
उत्तर
·
पीतल– Cu (80%), Zn (20%)
·
उपयोग– इसका उपयोग बर्तन बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 29.
जिंक ऑक्साइड के दो उपयोग लिखिए। (2011)
उत्तर
जिंक ऑक्साइड के दो उपयोग लिखिए। (2011)
उत्तर
1. सफेद वर्णक (pigment) के रूप में तथा
2. क्रीम, पाउडर और टूथपेस्ट बनाने में।
प्रश्न 30.
क्रायोलाइट का सूत्र लिखिए। इसका उपयोग किस धातुकर्म में होता है?
उत्तर
क्रायोलाइट का सूत्र Na3AlF6 है। यह ऐलुमिनियम के धातुकर्म में प्रयुक्त होता है।
क्रायोलाइट का सूत्र लिखिए। इसका उपयोग किस धातुकर्म में होता है?
उत्तर
क्रायोलाइट का सूत्र Na3AlF6 है। यह ऐलुमिनियम के धातुकर्म में प्रयुक्त होता है।
प्रश्न 31.
फ्लुओरस्पार का सूत्र लिखिए। इसका ऐलुमिनियम के निष्कर्षण में क्या उपयोग है? (2009, 12, 17)
उत्तर
फ्लुओरस्पार का सूत्र CaF2 है। ऐलुमिनियम के निष्कर्षण में इसका उपयोग तरलता बढ़ाने के लिए किया जाता है।
फ्लुओरस्पार का सूत्र लिखिए। इसका ऐलुमिनियम के निष्कर्षण में क्या उपयोग है? (2009, 12, 17)
उत्तर
फ्लुओरस्पार का सूत्र CaF2 है। ऐलुमिनियम के निष्कर्षण में इसका उपयोग तरलता बढ़ाने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 32.
ऐलुमिना के वैद्युत-अपघटन में क्रायोलाइट का उपयोग समझाइए। (2009, 12)
उत्तर
क्रायोलाइट ऐलुमिना का गलनांक कम करता है तथा ऐलुमिना के वेद्युत-अपघटन में सहायता करता है क्योंकि शुद्ध ऐलुमिना विद्युत कुचालक है परन्तु क्रायोलाइट की सहायता से यह वैद्युत सुचालक हो जाता है।
ऐलुमिना के वैद्युत-अपघटन में क्रायोलाइट का उपयोग समझाइए। (2009, 12)
उत्तर
क्रायोलाइट ऐलुमिना का गलनांक कम करता है तथा ऐलुमिना के वेद्युत-अपघटन में सहायता करता है क्योंकि शुद्ध ऐलुमिना विद्युत कुचालक है परन्तु क्रायोलाइट की सहायता से यह वैद्युत सुचालक हो जाता है।
प्रश्न 33.
Al(OH)3 उभयधर्मी है, समझाइए। (2011)
उत्तर
Al(OH)3 उभयधर्मी है क्योंकि यह अम्लों व अपने से प्रबल क्षारों के साथ क्रिया करके लवण व जल बनाता है।
Al(OH)3 उभयधर्मी है, समझाइए। (2011)
उत्तर
Al(OH)3 उभयधर्मी है क्योंकि यह अम्लों व अपने से प्रबल क्षारों के साथ क्रिया करके लवण व जल बनाता है।
प्रश्न 34.
अमलगम तथा मिश्रधातु में क्या अन्तर है?
उत्तर
दो या दो से अधिक धातुओं या धातु व अधातु के समांग मिश्रण को धातु संकर या मिश्रधातु कहते हैं। ये प्राय: ठोस होती हैं। यदि मिश्रधातु में एक धातु मर्करी हो तो इसे अमलगम कहते हैं। ये प्राय: द्रव होती हैं।
अमलगम तथा मिश्रधातु में क्या अन्तर है?
उत्तर
दो या दो से अधिक धातुओं या धातु व अधातु के समांग मिश्रण को धातु संकर या मिश्रधातु कहते हैं। ये प्राय: ठोस होती हैं। यदि मिश्रधातु में एक धातु मर्करी हो तो इसे अमलगम कहते हैं। ये प्राय: द्रव होती हैं।
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