Sunday, 10 February 2019

Pedagogy- SCERT आधारित परीक्षा प्वाइंटर Chapter-1 शिक्षण कौशल- शिक्षण की विधियाँ एवं कौशल



प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा
सहायक अध्यापक
शिक्षण कौशल, जीवन कौशल/ प्रबन्धन
एवं अभिवृत्ति, बाल मनोविज्ञान
(SCERT आधारित परीक्षा प्वाइंटर)


Chapter-1 
शिक्षण कौशल

1. शिक्षण की विधियाँ एवं कौशल

‘‘शिक्षण  एक  प्रकार  का  पारस्परिक  प्रभाव  है  जिसका  उद्देश्य  है दूसरे व्यत्ति  के  व्यवहारों में  वांछित परिवर्तन  लाना।’’  यह  कथन है–  गेज महोदय का

शिक्षण का अर्थ है–   सीखने में वृद्धि करना

ज्ञान प्रदान करने की प्रव्रिया है–   शिक्षण

शिक्षण के तत्व हैं–   कक्षा, विद्यालय, समाज

उद्देश्य के आधार पर शिक्षण के प्रकार हैं–   
(१) ज्ञानात्मक शिक्षण
(२) भावात्मक शिक्षण
(३) मनोगत्यात्मक शिक्षण

शिक्षण के स्तरों के आधार पर शिक्षण के प्रकार–
(१) स्मृति स्तर, (२) बोध स्तर, (३) चिन्तन स्तर

शासन प्रणाली के आधार पर शिक्षण के प्रकार हैं–
(१) एकतन्त्रीय शिक्षण
(२) लोकतंत्रीय शिक्षण
(३) हस्तक्षेप रहित शिक्षण

शैक्षिक व्यवस्था के आधार पर शिक्षण के प्रकार हैं–
(१) औपचारिक शिक्षण
(२) अनौपचारिक शिक्षण
(३) औपचारिकेत्तर शिक्षण

शिक्षण की अवस्थाएँ हैं–
(१) पूर्व क्रिया अवस्था
(२) अन्त: प्रक्रिया अवस्था
(३) उत्तर क्रिया अवस्था

 पूर्व क्रिया अवस्था है–   कक्षा में जाने से पूर्व की गई क्रिया

 अन्त:क्रिया अवस्था है–  कक्षा में जाने के बाद की गई क्रिया

 उत्तर क्रिया अवस्था है–   सीखे गये कार्य का शिक्षक द्वारा मूल्यांकन करना

 शिक्षण विधियाँ हैं– शिक्षण को रुचिपूर्ण एवं प्रभावशाली बनाने का तरीका

 व्याख्यान विधि है– कठिन अंशों को सरल बनाना

 एक पूर्ण एवं विस्तृत कथन होता है– स्पष्टीकरण विधि में

 सामाजिक विज्ञान के लिए आवश्यक विधि है– विवरण विधि

 पूर्ण शाब्दिक चित्र प्रस्तुत करके समझाया जाता है– वर्णन विधि


 शिक्षण की प्रमुख विधियाँ हैं–

(१) व्याख्यान विधि (९) आगमन विधि
(२) स्पष्टीकरण विधि (१०) निगमन विधि
(३) विवरण विधि (११) विश्लेषण विधि
(४) वर्णन विधि (१२) संश्लेषण विधि
(५) कहानी कथन विधि (१३) प्रश्नोत्तर विधि
(६) निरीक्षित अध्ययन विधि (१४) प्रोजेक्ट विधि
(७) उदाहरण विधि (१५) डाल्टन विधि

(८) प्रत्युत्तर विधि (१६) किण्डर गार्डन विधि


 कहानी कथन विधि द्वारा–   सूक्ष्म तथा जटिल अंशों को सरल बनाया जाता है

 व्यक्तिगत भिन्नता तथा क्रियाशीलता के सिद्धांत पर आधारित विधि है–     निरीक्षित अध्ययन विधि

 उदाहरण प्रविधि का प्रयोग किया जाता है–     छात्रों की विचार शक्ति तथा कल्पना शक्ति के विकास एवं वृद्धि के लिए

 शूप्द् (विधि) शब्द लिया गया है–        लैटिन भाषा से

 प्रदर्शन विधि की विशेषता है–        शिक्षक एवं छात्र दोनों सक्रिय होते हैं

 प्रदर्शन विधि उपयोगी होती है–            छोटी कक्षाओं के लिए

 ‘‘शिक्षण कौशल छात्रों के सीखने के लिए सुगमता प्रदान करने के विचार से सम्पन्न की गयी सम्बन्धित शिक्षण क्रियाओं या व्यवहारों का समूह है।’’             यह कथन है– डॉ. वी. के. पासी

 कक्षा-कक्ष में अपने शिक्षण को प्रभावशाली बनाने को कहते हैं–          शिक्षण कौशल


 शिक्षण कौशल की विशेषता है–                       प्रक्रिया एवं व्यवहार सम्बन्धित

 विशिष्ट लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक है–             शिक्षण कौशल

 शिक्षण कौशल प्रभावशाली बनाते हैं–               शिक्षण प्रक्रिया को

 शिक्षण कौशल से सक्रिय बनाया जाता है–        समस्त अन्त:क्रिया

 सूक्ष्म शिक्षण आधारित है–                               शिक्षण कौशल पर

 सर्वप्रथम शिक्षण कौशल सूची तैयार की गई–    स्टेनफोर्ड वि. वि. तथा फोर्निया वि. वि.


 सूक्ष्म शिक्षण के अन्तर्गत शिक्षण कौशल निर्मित है– प्रो. वी. के. पासी द्वारा १३ सूची

 सूक्ष्म शिक्षण का प्रथम स्तर है– उद्देश्य को लिखना

 सूक्ष्म शिक्षण का द्वितीय स्तर है– पाठ की प्रस्तावना

 N.C.E.R.T. द्वारा निर्धारित महत्वपूर्ण शिक्षण कौशल है– ५
(१) खोजक प्रश्न कौशल
(२) स्पष्टीकरण का कौशल
(३) उद्दीपन परिवर्तन कौशल
(४) पुर्नबलन कौशल
(५) दृष्टान्त कौशल

 शिक्षक छात्रों में रुचि एवं जिज्ञासा उत्पन्न करके पूर्वज्ञान को नवीन ज्ञान से जोड़ता है– खोजक प्रश्न कौशल द्वारा

 खोजक प्रश्न कौशल के घटक हैं–
(१) संकेत देना
(२) विस्तृत सूचना प्राप्ति
(३) पुन: केन्द्रीयकरण
(४) पुन: सम्प्रेषण
(५) आलोचनात्मक जागरुकता

 विषय वस्तु पर आधारित क्रमबद्ध तथा सार्थक कथन शिक्षक द्वारा दिये जाते हैं– स्पष्टीकरण कौशल द्वारा

 ध्यान को पाठ में लगाये रखने के लिए शिक्षक अपने व्यवहारों में जान-बूझकर जो परिवर्तन लाता है– उद्दीपन परिवर्तन कौशल द्वारा

 उद्दीपन परिवर्तन कौशल में– शिक्षक को अपने हाव-भाव में परिवर्तन करना चाहिए

 अनुक्रिया की बारम्बारता बढ़ जाती है– पुनर्बलन कौशल द्वारा

 पुनर्बलन के प्रकार–  (१) धनात्मक पुर्नबलन (२) ऋणात्मक पुर्नबलन

 धनात्मक पुर्नबलन कौशल का घटक है– प्रशंसात्मक कथनों का प्रयोग

 शिक्षक नवीन, जटिल व अमूर्त ज्ञान को सरलता से छात्रों तक पहुँचाता है– दृष्टान्त कौशल द्वारा

 दृष्टान्त कौशल में प्रयोग होता है– चित्र एवं उदाहरण

 दृष्टान्त कौशल के प्रकार हैं– (१) शाब्दिक (२) अशाब्दिक

 कहानी कथन है– शाब्दिक उदाहरण

 शाब्दिक उदाहरण हैं– घटना का वर्णन, चुटकुले, कविता, लेख

 अशॉब्दिक का उदाहरण है– मॉडल तथा चित्र, मानचित्र, रेखाचित्र व प्रायोगिक प्रदर्शन

 कक्षा कक्ष प्रबन्ध कौशल है– शिक्षक द्वारा कक्षा में प्रभावशाली शिक्षण अधिगम

 अधिगम को रुचिपूर्ण बनाया जाता है– कक्षा-कक्ष प्रबन्ध कौशल के द्वारा


 शिक्षण कौशल का मूल्यांकन किया जाता है– अनुसूची एवं रेटिंग स्केल से

 आगमन विधि के जनक हैं– अरस्तू

 उदाहरण से नियम तक पहुँचना है– आगमन विधि

 आगमन विधि उपयोगी है– प्राथमिक शिक्षा के लिए

 शिक्षण सूत्र हैं– ११
(१) ज्ञात से अज्ञात की ओर
(२) सरल से जटिल की ओर
(३) अनिश्चित से निश्चित की ओर
(४) अनुभूत से युक्तियुक्त की ओर
(५) मूर्त से अमूर्त की ओर
(६) विश्लेषण से संश्लेषण की ओर
(७) प्रत्यक्ष से अप्रत्यक्ष की ओर
(८) विशिष्ट से सामान्य की ओर
(९) मनोवैज्ञानिक से तार्किक क्रम की ओर
(१०) आगमन से निगमन की ओर
(११) पूर्ण से अंश की ओर

 छात्रों के पूर्व ज्ञान के आधार पर नवीन ज्ञान देना– ज्ञात से अज्ञात की ओर

 सरल प्रत्यय के क्रमानुसार जटिल प्रत्यय बताना– सरल से जटिल की ओर

 शिक्षक छात्रों की अनिश्चित धारणाओं को निश्चयात्मकता प्रदान करता है– अनिश्चित से निश्चित की ओर

 ठोस अनुभूत सत्यों की अनुभूति के बाद ही युक्तियुक्त चिन्तन आता है– अनुभूत से युक्तियुक्त की ओर

 किसी तथ्य या समस्या को बांटना है– विश्लेषण

 सूचनाओं को जोड़कर समग्र रूप से समझना है– संश्लेषण

 ज्ञान को स्थायित्व प्रदान करता है– संश्लेषण

 वर्तमान ज्ञान के बाद भूत अथवा भविष्य का ज्ञान देना है– प्रत्यक्ष से अप्रत्यक्ष की ओर

 विशिष्ट नियम से सामान्य नियम की ओर पहुँचना– विशिष्ट से सामान्य की ओर

 मनोवैज्ञानिक ढंग से शिक्षण के पश्चात् मानसिक विकास के अनुकूल ज्ञान को तर्कसम्मत बनाना है–
मनोवैज्ञानिक ज्ञान से तार्किक ज्ञान की ओर

 आगमन विधि है– उदाहरण से नियम की ओर

 नियम से उदाहरण की ओर है– निगमन विधि

 नये ज्ञान की खोज में सहायक है– आगमन विधि

 शिक्षक को शिक्षण प्रदान करना चाहिए– आगमन से निगमन

 खोज के फलस्वरूप प्राप्त ज्ञान है– निगमन विधि

 निगमन विधि से शिक्षण होना चाहिए– आगमन के पश्चात्

 निगमन विधि के जनक हैं– अरस्तू

 प्रमाण से प्रत्यक्ष की ओर– निगमन विधि

 निगमन विधि है– सामान्य से विशिष्ट की ओर

 योजना पद्धति है– किलपैट्रिक की

 किलपैट्रिक हैं– प्रयोजनवादी


 प्रयोग में विश्वास करता है– प्रयोजनवाद

 प्रयोजनवाद के जनक हैं– डिवी

 हैलेन पार्कहर्स्ट जनक हैं– डाल्टन विधि के

 किण्डर गार्डन विधि के जनक हैं– प्रâाबेल

 निगमन विधि उपयोगी है– उच्च कक्षाओं के लिए

 किण्डर गार्डन का शाब्दिक अर्थ है– बच्चों का बगीचा

 मारिया माण्टेसरी जनक हैं– माण्टेसरी विधि की

 आर्मस्ट्रांग जनक हैं– ह्यूरिस्टिक विधि

 ह्यूरिस्टिक का शाब्दिक अर्थ है– खोज करना

 ह्यूरिस्टिक शब्द है– ग्रीक भाषा का

 महात्मा गाँधी जनक हैं– बेसिक शिक्षा प्रणाली

 वर्धा योजना के प्रतिपादक हैं– महात्मा गाँधी

 वर्धा योजना लागू हुई– १९३७ में

 सुकरात जनक हैं– प्रश्नोत्तर विधि

 संवाद विधि के जनक हैं– प्लेटो

 कविता इस विधि द्वारा याद कराई जाती है– पूर्ण से अंश की ओर

 शिक्षण होना चाहिए– बाल केन्द्रित

 बाल-केन्द्रित शिक्षा का सम्प्रत्यय देन है– मनोविज्ञान की

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