Part-1
Hindi Grammar
हिंदी व्याकरण
वर्णों के समुदाय को ही वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी वर्णमाला में वर्णों की संख्या 45 हैं। उच्चारण और प्रयोग के आधार पर हिन्दी वर्णमाला के दो भेद किए गए हैं –
1) स्वर
2) व्यंजन
स्वर
वे ध्वनियाँ जो स्वतंत्र रूप से बोली जाए, परन्तु जिनका प्रयोग स्वतंत्र रूप से न होकर मात्राओं के रूप में हो स्वर कहलाते है|
हिन्दी में स्वरों की संख्या 11 है | अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
स्वरों के मुख्यत: दो भेद होते है|
2. दीर्घ स्वर
1. ह्रस्व स्वर
जिन स्वरों के उच्चारण में कम-से-कम समय लगता हैं उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं।
अ, इ, उ, ऋ। इन्हें मूल स्वर भी कहते हैं।
2. दीर्घ स्वर
जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से दुगुना समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं।
आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
व्यंजन
जिन वर्णों के पूर्ण उच्चारण के लिए स्वरों की सहायता ली जाती है वे व्यंजन कहलाते हैं। अर्थात व्यंजन बिना स्वरों की सहायता के बोले ही नहीं जा सकते।
ये संख्या में 33 हैं।
व्यंजन के निम्नलिखित तीन भेद हैं-
1. स्पर्श व्यंजन
2. अंतःस्
3. ऊष्म
I. स्पर्श व्यंजन
इन्हें पाँच वर्गों में रखा गया है और हर वर्ग में पाँच-पाँच व्यंजन हैं। हर वर्ग का नाम पहले वर्ग के अनुसार रखा गया है।
उदाहरण: -
जैसे-
क वर्ग- क् ख् ग् घ् ड़्
च वर्ग- च् छ् ज् झ् ञ्
ट वर्ग- ट् ठ् ड् ढ् ण् (ड़् ढ्)
त वर्ग- त् थ् द् ध् न्
प वर्ग- प् फ् ब् भ् म्
2. अंतःस्थ
इनकी संख्या चार होती है|
य् र् ल् व्
3. ऊष्म
इनकी संख्या चार होती है|
श् ष् स् ह्
शब्द
भाषा की न्यूनतम इकाई वाक्य है और वाक्य की न्यूनतम इकाई शब्द है ।वर्णों अथवा अक्षरों का ऐसा समूह जिसका कोई अर्थ हो, शब्द कहलाता है।
शब्द मुख्यतः दो प्रकार के होते है –
1. सार्थक शब्द
2. निरर्थक शब्द
सार्थक शब्द
जिन शब्दों का कुछ अर्थ होता है, 'सार्थक शब्द' कहलाते है।
उदाहरण: -
जैसे- मन्दिर, पुस्तक आदि|
निरर्थक शब्द
जिन शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता और जिनका प्रयोग स्थान विशेष पर बोलचाल की भाषा में करते हैं। उसे 'निरर्थक शब्द' कहते है।
उदाहरण: -
जैसे- फटाफट, चटाचट, धर-धर आदि|
ü उत्पत्ति की दृष्टि से शब्द चार प्रकार के होते हैं
(1) तत्सम शब्द
(2) तद्भव शब्द
(3) देशज शब्द
(4) विदेशज शब्द
(1) तत्सम शब्द
हिंदी में जो शब्द संस्कृत से ज्यों के त्यों ग्रहण कर लिए गए हैं तथा जिनमें कोई ध्वनि परिवर्तन नहीं हुआ है, तत्सम शब्द कहलाते हैं।
उदाहरण: -
जैसे- मयूर, नयन, अमूल्य, वानर आदि|
(2) तद्भव शब्द
तत्सम शब्दों में समय और परिस्थितियों के कारण कुछ परिवर्तन होने से जो शब्द बने हैं उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं।
उदाहरण: -
जैसे- आग, मोर, बन्दर, चाँद आदि|
(3) देशज शब्द
जिन शब्दों की उत्पत्ति हमारे देश की भाषाओं से हुई है, उन्हें देशज शब्द कहा जाता है।
उदाहरण: -
जैसे- दुआ, थोथा, लोटा आदि।
(4) विदेशज शब्द
दूसरी भाषाओं से आये हुए शब्द विदेशज शब्द कहे जाते हैं।
उदाहरण: -
जैसे- अलमीरा, आलपीन आदि|
कुछ तत्सम व तद्भव शब्द निम्नलिखित
तत्सम शब्द ------à तद्भव शब्द
अगम -------à अगम्य
अमोल -------à अमूल्य
आग ------à अग्नि
आम -------à आम्र
नाक -------à नासिका
ब्याह -------à विवाह
भाप --------à वाष्प
भाई -------à भ्राता
ü रचना की दृष्टि से शब्द तीन प्रकार के होते हैं–
(1) रूढ़ शब्द
(2) यौगिक शब्द
(3) योगरूढ़ शब्द
(1) रूढ़
जिनका कोई भी खंड सार्थक न हो और जो परम्परा से किसी विशेष अर्थ में प्रयुक्त होते है
जैसे- लोटा, कल, जल, आदि।
(2) यौगिक
यौगिक उन शब्दों को कहते हैं, जिनके खंड सार्थक होते हैं।
जैसे- विद्यालय (विद्या और आलय), दयासागर (दया और सागर), आदि।
(3) योगरूढ़
ऐसे शब्द, जो यौगिक तो होते हैं, पर सामान्य अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ का बोध कराते हैं, योगरूढ़ कहलाते हैं।
जैसे- पंकज शब्द ‘पंक’ और ‘ज’ के मेल् से बना है, जिसका विशेष अर्थ कमल होता है।
किसी जाति, द्रव्य, गुण, भाव, व्यक्ति, स्थान और क्रिया आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं। अर्थात नाम का ही दूसरा नाम संज्ञा है|
संज्ञा के भेद- संज्ञा के तीन भेद होते है|
1. व्यक्ति वाचक संज्ञा
2. जाति वाचक संज्ञा
3. भाववाचक संज्ञा
1. व्यक्ति वाचक संज्ञा
जिन विकारी शब्दों में केवल एक व्यक्ति, वस्तु या स्थान के लिये जिस नाम का प्रयोग होता है, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
उदाहरण: -
जैसे- चित्तौड़गढ़ का किला, भारत, अनिल, हिमालय
2. जाति वाचक संज्ञा
जिस संज्ञा शब्द से किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान की संपूर्ण जाति का बोध हो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
उदाहरण: -
मनुष्य, नदी, नगर, पर्वत, पशु, पक्षी, लड़का, कुत्ता, बैल, तोता, पंखा ।
जातिवाचक संज्ञा के दो भेद होते है|
समूह वाचक
द्रववाचक संज्ञा
समूह वाचक
वे संज्ञा शब्द जिनके संगठन का बोध हो समूह बचक संज्ञा के अंतर्गत आती है ।
उदाहरण:-
जैसे:- पुलिस, चाबी का गुच्छा, कक्षा आदि।
द्रववाचक संज्ञा
वे वस्तुएं जिन्हे मापा या तोला जाता है। अर्थात नापतोल संबंधी बस्तुएं द्रववाचक संज्ञा के अंतर्गत आती है।
उदाहरण :-
जैसे- गुड, चना, शक्कर, चाँदी आदि
3. भाववाचक संज्ञा
वे सभी संज्ञा जिसे न तो देखा जा सकता हो और न ही स्पर्श किया जा सकता हो जिन्हें केवल महसूस किया जाए! भाववाचक संज्ञा कहलाती है|
उदाहरण: -
जैसे- दर्द, प्रेम-क्रोध, भूख, प्यास, शर्म, मोह, लोभ, प्राण, वीरता, गर्मी, ईमानदारी आदि|
जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, उन्हें सर्वनाम कहते है।
सरल शब्दों में- सर्व (सब) नामों (संज्ञाओं) के बदले जो शब्द आते है, उन्हें 'सर्वनाम' कहते हैं।
सर्वनाम शब्द जैसे- मै, तू, वह, आप, कोई, यह, ये, वे, हम, तुम, कुछ, कौन, क्या, जो, सो, उसका आदि सर्वनाम शब्द हैं।
सर्वनाम के भेद
सर्वनाम के छ: भेद होते है-
(1) पुरुषवाचक सर्वनाम
(2) निजवाचक सर्वनाम
(3) निश्चयवाचक सर्वनाम
(4) अनिश्चयवाचक सर्वनाम
(5) संबंधवाचक सर्वनाम
(6) प्रश्नवाचक सर्वनाम
1. पुरुषवाचक सर्वनाम
जिन सर्वनाम शब्दों से व्यक्ति का बोध होता है, उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है। 'पुरुषवाचक सर्वनाम' पुरुषों (स्त्री या पुरुष) के नाम के बदले आते हैं।
जैसे- मैं आता हूँ।
तुम जाते हो।
पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते है-
उत्तम पुरुष
मध्यम पुरुष
अन्य पुरुष
उत्तम पुरुष
जिन सर्वनामों का प्रयोग बोलने वाला अपने लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरुष कहते है।
उदाहरण:-
जैसे- मैं, हम, मुझको, हमारी, मैंने, मेरा, मुझे आदि।
मध्यम पुरुष
जिन सर्वनामों का प्रयोग सुनने वाले के लिए किया जाता है, उन्हें मध्यम पुरुष कहते है।
उदाहरण:-
जैसे- तुम, तुम्हे, आप, तुम्हारे, तुमने, आपने आदि।
अन्य पुरुष
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किसी अन्य व्यक्ति के लिए किया जाता है, उन्हें अन्य पुरुष कहते है।
उदाहरण:-
जैसे- वे, यह, वह, इनका, इन्हें, उसे, उन्होंने, इनसे, उनसे आदि।
2. निजवाचक सर्वनाम
निजवाचक सर्वनाम आप, स्वयं, या खुद होता है| इसका प्रयोग हम अपने आप के लिए करते है|
उदाहरण:-
जैसे- राम वहाँ स्वयं चला जाएगा।
ईश्वर भी उन्हीं का साथ देता है, जो अपनी मदद आप करता है।
3. निश्चयवाचक सर्वनाम
निश्चयवाचक सर्वनाम का प्रयोग किसी संज्ञा को निश्चित करने के लिए किया जाता है|
उदाहरण:-
जैसे- यह मेरी पुस्तक है|
वह मंदिर है|
4. अनिश्चयवाचक
जिस सर्वनाम शब्द से किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध न हो, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।
उदाहरण:-
जैसे- कोई, कुछ, किसी आदि।
(i) कुछ खा लेना|
(ii) कुछ काम करो आदि।
5. सम्बन्धवाचक सर्वनाम
सम्बन्धवाचक सर्वनाम में जो/ सो/ जैसा/ वैसा/ होते है| इसका प्रयोग वाक्य में सम्बन्ध स्थापित करने के लिए किया जाता है|
उदाहरण:-
जैसे- जो सोवेगा सो खोवेगा|
जो करेगा सो भरेगा|
जो जागेगा सो पावेगा|
जो परिश्रम करते हैं, वे सुखी रहते हैं।
6. प्रश्नवाचक सर्वनाम
जिस सर्वनाम का प्रयोग प्रश्न करने के लिए किया जाता है, वह प्रश्नवाचक सर्वनाम होता है।
उदाहरण:-
जैसे- आपने क्या खाया है ?
बाहर कौन खड़ा है?
टोकरी में क्या रखा है?
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