Part-2
Hindi Grammar
हिंदी व्याकरण
विशेषण
जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है उसे विशेषण कहते हैं|
जैसे-
1. राम बुद्धिमान बालक हैं|
यहाँ ‘बुद्धिमान’ विशेषण’ तथा ‘बालक’ विशेष्य (जिसकी विशेषतता बताई जा रही हो) है|
2. मोहन ईमानदार बालक है|
यहाँ ‘ईमानदार’ विशेषण तथा ‘बालक’ विशेष्य (जिसकी विशेषतता बताई जा रही हो) है|
विशेषण के भेद-
विशेषण के चार भेद होते हैं -
1. गुणवाचक विशेषण
2. संख्यावाचक विशेषण
3. परिमाणवाचक विशेषण
4. सार्वनामिक विशेषण
1. गुणवाचक विशेषण
वे विशेषण शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम शब्द (विशेष्य) के गुण-दोष, रूप-रंग, आकार, स्वाद, दशा, अवस्था, स्थान आदि की विशेषता प्रकट करते हैं, गुणवाचक विशेषण कहलाते है।
जैसे-
रंग- काली टोपी, लाल रुमाल।
आकार- उसका चेहरा गोल है।
अवस्था- भूखे पेट भजन नहीं होता।
गुण- भला, उचित, अच्छा, ईमानदार आदि|
दोष - बुरा, अनुचित, झूठा, क्रूर, कठोर आदि|
स्थान- उजाड़, चौरस, भीतरी, बाहरी, उपरी, सतही आदि|
दशा/अवस्था- दुबला, पतला, मोटा, भारी, पिघला, गाढ़ा, गीला, सूखा, घना, गरीब, उद्यमी, पालतू आदि|
2. संख्यावाचक विशेषण
जब किसी गणना, योग, वस्तुओं की संख्या सम्बन्धी विशेषता बताई जाती है तो उसे संख्यावाचक विशेषण कहा जाता है|
इसके दो भेद होते है|
(1) निश्चित संख्यावाचक
(2) अनिश्चित संख्यावाचक
I. निश्चित संख्यावाचक
वे विशेषण शब्द जो विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध कराते हैं, निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।
उदाहरण:-
जैसे- पांच लड़के, दो छात्र, दर्जन, हजारों, 100, 25
मेरी कक्षा में चालीस छात्र हैं।
डाल पर दो चिड़ियाँ बैठी हैं।
II. अनिश्चित संख्यावाचक
वे विशेषण शब्द जो विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध न कराते हों, वे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।
उदाहरण:-
जैसे- लाखों, सेकड़ों, कम, अधिक, कुछ
कक्षा में बहुत कम छात्र उपस्थित थे।
बस स्टेशन पर बहुत लोग है|
3. परिमाणवाचक विशेषण
जिन विशेषण शब्दों से किसी वस्तु के माप-तौल संबंधी विशेषता का बोध होता है, वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
उदाहरण:-
जैसे- 'थोड़ा' पानी, 'दो' लीटर दूध, 'बहुत' चीनी इत्यादि।
परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद होते है-
(1) निश्चित परिमाणवाचक
(2) अनिश्चित परिमाणवाचक
(1) निश्चित परिमाणवाचक
जो विशेषण शब्द किसी वस्तु की निश्चित मात्रा अथवा माप-तौल का बोध कराते हैं, वे निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते है।
उदाहरण:-
जैसे- 'दस हाथ' जगह, 'चार गज' मलमल, 'चार किलो' चावल।
ट्रक में 20 टन गेहूं था|
5 kg गुड़ खरीद लाओ|
अनिश्चित परिमाणवाचक
(2) अनिश्चित परिमाणवाचक
जो विशेषण शब्द किसी वस्तु की निश्चित मात्रा अथवा माप-तौल का बोध नहीं कराते हैं, वे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते है।
उदाहरण:-
जैसे- 'कुछ' दूध, 'बहुत' पानी।
एक तालाब में लिटरों पानी भरा है|
मुझे थोड़ा दूध चाहिए|
4. संकेतवाचक या सार्वनामिक
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की ओर संकेत करते है या जो शब्द सर्वनाम होते हुए भी किसी संज्ञा से पहले आकर उसकी विशेषता को प्रकट करें, उन्हें संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण कहते है।
उदाहरण:-
जैसे – (i). यह काला घोड़ा है|
(ii). वह 5 kg आम है|
व्युत्पत्ति के अनुसार सार्वनामिक विशेषण के भी दो भेद है|
मौलिक सार्वनामिक विशेषण
यौगिक सार्वनामिक विशेषण
I. मौलिक सार्वनामिक विशेषण
जो बिना रूपान्तर के संज्ञा के पहले आते हैं ।बिना रूपान्तर के संज्ञा के पहले आता हैं।
उदाहरण:-
जैसे- 'यह' घर; वह लड़का; 'कोई' नौकर इत्यादि।
II. यौगिक सार्वनामिक विशेषण
जो मूल सर्वनामों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं।
उदाहरण:-
जैसे- 'ऐसा' आदमी; 'कैसा' घर; 'जैसा' देश इत्यादि।
अविकारी शब्द
ऐसे शब्द जिन पर लिंग, वचन व कारक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता एवं लीग वचन व कारक बदलने पर भी ये ज्यों-के-त्यों बने रहते है ऐसे शब्दों को अवयव या अविकारी शब्द कहते है।
सामन्यात: अवयव के चार भेद होते है।
(1) क्रियाविशेषण
(2) समुच्चयबोधक
(3) संबंधबोधक
(4) विस्मयादिबोधक
1. क्रियाविशेषण
जो शब्द क्रिया के अर्थकी विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें ‘क्रियाविशेषण’ कहते है। क्रिया विशेषण को अविकारी विशेषण भी कहते है।
उदाहरण:-
जैसे– आज, कल, यहाँ, वहाँ आदि।
क्रिया विशेषण के चार भेद होते है-
(i) कालवाचक क्रियाविशेषण
(ii) स्थानवाचक क्रियाविशेषण
(iii) परिणामवाचक क्रियाविशेषण
(iv) रीतिवाचक क्रियाविशेषण
I. कालवाचक क्रियाविशेषण
जिन शब्दों से क्रिया के होने का समय ज्ञात होता है, उन्हें कालवाचक क्रिया विशेषण कहा जाता है।
उदाहरण:-
जैसे –आज, कल, जब, तब, प्रातः, सायं, रात भर, दिन भर आदि।
कालवाचक क्रियाविशेषण के तीन भेद माने जाते है।
(i) समयवाचक- आज, कल, अभी, परसों, तुरंत आदि।
(ii) अवधिवाचक- रात-भर, दिनभर, आजकल, रोज, अभी-अभी आदि।
(iii) बारम्बारता वाचक- कई बार, प्रतिदिन, हरबार
II. स्थानवाचक क्रिया विशेषण
जिन शब्दों से क्रिया के होने के स्थान का पता चलता है, उसे स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहा जाता है।
उदाहरण:-
जैसे- यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, तहाँ, सामने, नीचे, ऊपर, आगे, भीतर, बाहर आदि।
स्थानवाचक क्रियाविशेषण के दो भेद होते है।
(i) स्थितिवाचक- वहाँ, यहाँ, बाहर आदि।
(ii) दिशावाचक- दाएँ, बाएँ, इधर, उधर आदि।
III. परिणामवाचक
जिन शब्दों से क्रिया अथवा क्रिया विशेषण का परिमाण ज्ञात होता हो, उन्हें परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहा जाता है।
उदाहरण:-
जैसे – अधिक, थोड़ा, बहुत, कम, तनिक, खुब, अल्प, केवल, आदि।
IV. रीतिवाचक क्रियाविशेषण
वाक्य में वह शब्द जिनसे क्रिया के होने की रीति या विधि का ज्ञान हो, उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहा जाता है।
उदाहरण:-
जैसे – चानक, सहसा, एकाएक, झटपट, आप ही, ध्यानपूर्वक, धड़ाधड़, यथा, तथा, ठीक, सचमुच, अवश्य, वास्तव में, निस्संदेह, बेशक, शायद, संभव हैं।
क्रियाविशेषणों की रचना
रचना के आधार पर क्रिया विशेषण के दो भेद है।
1. मूलक्रियाविशेषण – जो क्रिया विशेषण किसी दूसरे शब्द में प्रत्यय आदि लगाए बिना ही बनते है, उन्हें मूल क्रिया विशेषण कहते है।
जैसे – पास, दूर, ऊपर, आज, सदा, अचानक आदि।
2 .यौगिक क्रिया विशेषण – जो क्रिया विशेषण दूसरे शब्दों में प्रत्यय आदि लगाने से बनते है, उन्हें यौगिक क्रिया विशेषण कहते है।
(2) समुच्चयबोधक
दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं।
जैसे- और, तथा, एवं, अथवा, किन्तु, परंतु, लेकिन, कि, मानों, आदि, और, अथवा, यानि, तथापि, मगर, बल्कि मगर, वरन, बल्कि, नहीं, तो, इसलिए, यदि, सो, जिसका, इस प्रकार, क्योकि, या, अगर आदि।
उदाहरण-
सीता और गीता बाजार जाती है।
राम पढ़ता है और श्याम खेलता है।
3. संबंधबोधक अव्यय
जो अविकारी शब्द संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के साथ जुड़कर दूसरे शब्दों से उनका संबंध बताते हैं संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।
उदाहरण:-
जैसे- साथ, बाद, पहले, ऊपर, संग, आश्रय, बिना, भरोसे आदि ।
उदाहरण-
विद्या के बिना मनुष्य पशु है।
जल के बिना जीवन अधूरा है।
4. विस्मयादिबोधक
जो अविकारी शब्द हमारे मन के हर्ष ,शोक ,घृणा ,प्रशंसा , विस्मय आदि भावों को व्यक्त करते हैं , उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं।
उदाहरण:-
जैसे - अरे ,ओह ,हाय ,ओफ ,हे आदि । (इन शब्दों के साथ संबोधन का चिन्ह ( ! ) भी लगाया जाता है)
उदाहरण - हे भगवान ! यह क्या हो गया।
वाह ! कितना सुन्दर दृश्य है।
क्रिया
जिस शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाय, उसे क्रिया कहते है।
उदाहरण:-
जैसे- पढ़ना, खाना, पीना, जाना इत्यादि।
मूलधातु + प्रत्यय = क्रिया
मूलधातुओं में कुछ प्रत्ययों का प्रयोग करके क्रिया बताई जाती है। इसलिए मूलधातु को क्रिया का मूल अंश कहा जाता है।
जैसे-
चल् + अना = चलना
फिर् + अना = फिरना
उठ् + अना = उठना
क्रिया के दो भेद है।
(i) सकर्मक क्रिया
(ii) अकर्मक क्रिया
1. सकर्मक क्रिया
जो क्रिया कर्म के साथ आती हो अर्थात जिस क्रिया का फल कर्ता को छोड़कर कर्म पर पड़ता है। उसे सकर्मक क्रिया कहते है।
उदाहरण:-
जैसे- (i) राम पानी पिता है।
(पीना क्रिया के साथ कर्म पानी है)
(i) बस चलाई जाती है।
(ii) सीता गीत गति है।
2. अकर्मक क्रिया
अकर्मक क्रिया के साथ कर्म नहीं होता तथा उसका फल कर्ता पर पड़ता है । उन्हें अकर्मक क्रिया कहते है।
उदाहरण:-
जैसे- (i) सोहन हसता है।
(ii) राम कुर्सी पर बैठा है।
(iii) राम गाता है। (कर्म का अभाव है तथा गाता है क्रिया का फल राम पर पड़ता है)
क्रियाओं के अन्य भेद-
(1) संयुक्त क्रिया
(2) नामधातु क्रिया
(3) प्रेरणार्थक क्रिया
(4) पूर्वकालिक क्रिया
(5) द्विकर्मक क्रिया
(6) सहायक क्रिया
I. संयुक्त क्रिया
दो या दो से अधिक क्रियाओं के योग से जो क्रिया बनती है, उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे-
I. राम बैठकर खाना खाता है।
ii. सीता विध्यालय पहुँच गई।
iii. श्याम लेटकर टीवी देखता है।
एक साथ जब दो क्रियाएँ आती है तो वहाँ संयुक्त क्रिया होती है।
उदाहरण:-
जैसे- बैठना - खाना
उठना - बैठना
चलना – फिरना
II. नामधातु क्रिया
क्रिया को छोड़कर दुसरे शब्दों ( संज्ञा , सर्वनाम , एवं विशेषण ) से जो धातु बनते है , उन्हें नामधातु क्रिया कहते है।
उदाहरण:-
जैसे- अपना - अपनाना , गरम - गरमाना आदि
जैसे- लुटेरों ने जमीन हथिया ली। हमें गरीबों को अपनाना चाहिए।
III. प्रेरणार्थक क्रिया
जिस क्रिया से ज्ञान हो कि कर्ता स्वयं कार्य को न करके किसी अन्य को कार्य करने की प्रेरणा देता है वह प्रेरणार्थक क्रिया कहलाती है।
उदाहरण:-
जैसे- लिखना से लिखवाना
करना से करवाना
मैंने पत्र लिखवाया।
IV. पूर्वकालिक क्रिया
जब कोई कर्ता एक क्रिया समाप्त करके दूसरी क्रिया करता है तब पहली क्रिया ' पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है।
उदाहरण:-
जैसे- वह खाना खाकर सो गया।
वे पढ़कर चले गये।
V. द्विकर्मक क्रिया
वह क्रिया जिसके साथ दो कर्म प्रयोग में लाये जाते है। द्विकर्मक क्रिया कहलाती है।
उदाहरण:-
जैसे- राम ने श्याम को हिन्दी पढ़ाई। (दो कर्म-श्याम, हिन्दी)
अध्यापक छात्रों को हिन्दी पढ़ते है।
VI. सहायक क्रिया
सहायक क्रिया मुख्य क्रिया के साथ प्रयुक्त होकर अर्थ को स्पष्ट एवं पूर्ण करने में सहायक होती है, जैसे- मैं घर जाता हूँ। इस वाक्य में जाना मुख्य क्रिया है और हूँ सहायक क्रिया है।
उदाहरण:-
जैसे- मोहन सो रहा है।
सीता बाजार गयी थी।
विराम
विराम का अर्थ है - 'रुकना' या 'ठहरना' ।
वाक्य को लिखते अथवा बोलते समय बीच में कहीं थोड़ा-बहुत रुकना पड़ता है जिससे भाषा स्पष्ट, अर्थवान एवं भावपूर्ण हो जाती है।
लिखित भाषा में इस ठहराव को दिखाने के लिए कुछ विशेष प्रकार के चिह्नों का प्रयोग करते हैं। इन्हें ही विराम-चिह्न कहा जाता है।
जैसे- 1. ताजमहल किसने बनवाया ?
2. श्याम आया है !
विराम चिन्ह के मुख्य रूप निम्न लिखित हैं-
(1) अर्द्ध विराम ( ; )
(2) पूर्ण विराम ( । )
(3) उपविराम ( : )
(4) प्रश्नवाचक चिन्ह ( ? )
(5) अल्प विराम ( , )
(6) विस्मयादिबोधक ( ! )
(7) उद्धरण चिह्न (” “)
(8) योजक चिह्न ( - )
(9) विवरण चिन्ह ( :- )
(10) कोष्ठक ( )
(11) लाघव चिह्न ( . )
1. अर्द्ध विराम ( ; )
अर्द्ध विराम का अर्थ है – आधा विराम ।
जहाँ पूर्ण विराम की अपेक्षा कम देर तक रुकना पड़े, वहाँ अर्द्ध विराम (;) का प्रयोग करते है।
2 पूर्ण विराम ( । )
जहाँ एक बात पूरी हो जाये या वाक्य समाप्त हो जाये वहाँ पूर्ण विराम ( । ) चिह्न लगाया जाता है।
उदाहरण:-
जैसे- सीता स्कूल से आ रही है।
3. उपविराम ( : )
जब किसी कथन को अलग दिखाना हो तो वहाँ पर उप विराम (:) का प्रयोग करते हैं।
उदाहरण:-
जैसे- विज्ञान : वरदान या अभिशाप।
4. प्रश्नवाचक चिन्ह ( ? )
प्रश्नवाचक का उपयोग सवाल पूछने के बाद किया जाता है।
उदाहरण:-
जैसे- तुम्हारा नाम क्या है?
5. अल्प विराम ( , )
जहाँ थोड़ी सी देर रुकना पड़े, वहाँ अल्प विराम चिन्ह ( , ) का प्रयोग करते हैं।
उदाहरण:-
जैसे - टेबल, कुर्सी, पंखा
6 विस्मयादिबोधक ( ! )
विस्मय, हर्ष, शोक, घृणा, प्रेम आदि भावों को प्रकट करने वाले शब्दों के आगे इसका प्रयोग होता है।
उदाहरण:-
जैसे – वाह ! तुम धन्य हो।
7. उद्धरण चिह्न (” “)
किसी कथन को ज्यों का त्यों उद्धृत करने के लिए उद्धरण या अवतरण चिन्ह ( ‘’ ‘’ ) का प्रयोग करते हैं।
उदाहरण:-
जैसे- "पराधीन सपनेहु सुख नाहीं"
8. योजक चिह्न (-)
योजक चिन्ह (-) का प्रयोग समस्त पदों के मध्य में किया जाता है।
उदाहरण:-
जैसे - सुख-दुःख, माता-पिता, दिन-रात, यश-अपयश, तन-मन-धन।
9. विवरण चिन्ह ( :- )
विवरण चिन्ह (:-) का प्रयोग वाक्यांश के विषयों में कुछ सूचक निर्देश आदि देने के लिए किया जाता है।
उदाहरण:-
जैसे- भारत में कई बड़ी-बड़ी नदियाँ है; जैसे :- गंगा, यमुना, सिंधु आदि।
10. कोष्ठक ( )
इसका प्रयोग पद (शब्द) का अर्थ प्रकट करने हेतु, क्रम-बोध और नाटक या एकांकी में अभिनय के भावों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण:-
जैसे-निरंतर (लगातार) व्यायाम करते रहने से देह (शरीर) स्वस्थ रहता है।
11. लाघव चिह्न ( . )
किसी बड़े शब्द को संक्षेप में लिखने के लिए उस शब्द का प्रथम अक्षर लिखकर उसके आगे शून्य लगा देते हैं।
उदाहरण:-
जैसे:- डॉक्टर = डॉ॰
प्रोफेससर = प्रो॰
जिस
शब्द से किसी काम
का करना या होना
समझा जाय, उसे
क्रिया कहते है।
उदाहरण:-
जैसे- पढ़ना, खाना,
पीना, जाना
इत्यादि।
मूलधातु + प्रत्यय =
क्रिया
मूलधातुओं
में कुछ प्रत्ययों
का प्रयोग करके
क्रिया बताई जाती
है। इसलिए मूलधातु
को क्रिया का मूल
अंश कहा जाता है।
जैसे-
चल् + अना
= चलना
फिर् + अना
= फिरना
उठ् + अना
= उठना
क्रिया के दो
भेद है।
(i) सकर्मक
क्रिया
(ii) अकर्मक क्रिया
1. सकर्मक क्रिया
जो
क्रिया कर्म के
साथ आती हो अर्थात
जिस क्रिया का
फल कर्ता को छोड़कर
कर्म पर पड़ता है।
उसे सकर्मक क्रिया
कहते है।
उदाहरण:-
जैसे- (i) राम
पानी पिता है।
(पीना क्रिया के साथ
कर्म पानी
है)
(i) बस चलाई
जाती है।
(ii)
सीता गीत गति
है।
2. अकर्मक क्रिया
अकर्मक
क्रिया के साथ
कर्म नहीं होता
तथा उसका फल कर्ता
पर पड़ता है । उन्हें
अकर्मक क्रिया
कहते है।
उदाहरण:-
जैसे- (i) सोहन
हसता है।
(ii)
राम कुर्सी पर
बैठा है।
(iii)
राम गाता है।
(कर्म का अभाव
है तथा गाता है
क्रिया का फल राम
पर पड़ता है)
क्रियाओं के
अन्य भेद-
(1) संयुक्त
क्रिया
(2) नामधातु
क्रिया
(3) प्रेरणार्थक
क्रिया
(4) पूर्वकालिक
क्रिया
(5) द्विकर्मक
क्रिया
(6) सहायक क्रिया
I. संयुक्त क्रिया
दो
या दो से अधिक क्रियाओं
के योग से जो क्रिया
बनती है, उसे संयुक्त
क्रिया कहते हैं।
जैसे-
I.
राम बैठकर खाना
खाता है।
ii.
सीता विध्यालय
पहुँच गई।
iii.
श्याम लेटकर
टीवी देखता है।
एक
साथ जब दो क्रियाएँ
आती है तो वहाँ
संयुक्त क्रिया
होती है।
उदाहरण:-
जैसे- बैठना
- खाना
उठना
- बैठना
चलना
– फिरना
II. नामधातु क्रिया
क्रिया
को छोड़कर दुसरे
शब्दों ( संज्ञा
, सर्वनाम , एवं विशेषण ) से
जो धातु बनते है
, उन्हें नामधातु
क्रिया कहते है।
उदाहरण:-
जैसे- अपना - अपनाना
, गरम - गरमाना
आदि
जैसे- लुटेरों
ने जमीन हथिया
ली। हमें गरीबों
को अपनाना चाहिए।
III. प्रेरणार्थक
क्रिया
जिस
क्रिया से ज्ञान
हो कि कर्ता स्वयं
कार्य को न करके
किसी अन्य को कार्य
करने की प्रेरणा
देता है वह प्रेरणार्थक
क्रिया कहलाती
है।
उदाहरण:-
जैसे- लिखना
से लिखवाना
करना
से करवाना
मैंने
पत्र लिखवाया।
IV. पूर्वकालिक क्रिया
जब
कोई कर्ता एक क्रिया
समाप्त करके दूसरी
क्रिया करता है
तब पहली क्रिया ' पूर्वकालिक
क्रिया कहलाती
है।
उदाहरण:-
जैसे- वह खाना
खाकर सो गया।
वे
पढ़कर चले गये।
V. द्विकर्मक क्रिया
वह
क्रिया जिसके साथ
दो कर्म प्रयोग
में लाये जाते
है। द्विकर्मक
क्रिया कहलाती
है।
उदाहरण:-
जैसे- राम ने
श्याम को हिन्दी
पढ़ाई। (दो कर्म-श्याम, हिन्दी)
अध्यापक
छात्रों को हिन्दी
पढ़ते है।
VI. सहायक क्रिया
सहायक
क्रिया मुख्य क्रिया
के साथ प्रयुक्त
होकर अर्थ को स्पष्ट
एवं पूर्ण करने
में सहायक होती
है,
जैसे- मैं
घर जाता हूँ। इस
वाक्य में जाना
मुख्य क्रिया है
और हूँ सहायक क्रिया
है।
उदाहरण:-
जैसे- मोहन
सो रहा है।
सीता
बाजार गयी थी।
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