Part-3
Hindi Grammar
हिंदी व्याकरण
लिंग
संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति या वस्तु की पुरुष अथवा स्त्री जाति का बोध होता हैं उसे लिंग कहते हैं।
उदाहरण:-
माता, पिता, यमुना, शेर, शेरनी, दादा, दादी, बकरा, बकरी।
लिंग के दो भेद होते हैं-
1. पुल्लिंग
2. स्त्रीलिंग
पुल्लिंग-
जिन शब्दों से पुरुष जाति का बोध होता है उन्हें पुल्लिंग शब्द कहते हैं।
जैसे:- पिता, भाई, लड़का, पेड़, सिंह शिव, हनुमान, बैल।
स्त्रीलिंग
जिन शब्दों से स्त्री जाति का बोध होता है उन्हें स्त्रीलिंग शब्द कहते हैं।
जैसे: माता, बहन, यमुना, गंगा, कुरसी, छड़ी, नारी बुआ, लड़की, लक्ष्मी, गाय।
(i) कुछ प्राणिवाचक शब्द हमेशा पुल्लिंग व स्त्रीलिंग मे ही प्रयुक्त होते है।
ü पुल्लिंग- खटमल, कौवा, मच्छर, चीता आदि
ü स्त्रीलिंग- गंगा, यमुना, सवारी,
(ii) पर्वतों के नाम पुल्लिंग होते है।
जैसे-हिमाचल, सतपुड़ा विंध्याचल आदि।
(iii) महीनों के नाम पुल्लिंग होते है।
जैसे- जनवरी, फरवाई, चेत्र, वैसाख
(iv) नदियों के नाम हमेशा स्त्रीलिंग होते है।
जैसे- गंगा, यमुना, नर्मदा आदि
(v) बोलियों के नाम भी हमेशा स्त्रीलिंग होते है
जैसे- हिन्दी, गुजरती,पंजाबी, राजस्थानी, अरबी आदि।
शब्दों का लिंग परिवर्तन-
पुल्लिंग à स्त्रीलिंग
दादा à दादी
घोड़ा à घोड़ी
छात्र ---à छात्रा
धोबी ---à धोबिन
हाथी ---à हथिनी
नर ---à मादा
युवक -à युवती
बालक -à बालिका
शिष्य ---à शिष्या
बाल ---à बाला
पंडित --à पंडिताइन
ठाकुर ---à ठाकुराइन
पुरुष ---à स्त्री
सम्राट --à सम्राज्ञी
वचन
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध हो, उसे 'वचन' कहते है।
जैसे- तालाब में मछलियाँ तैर रही हैं।
माली पौधे सींच रहा है।
वचन दो प्रकार के होते है-
1. एकवचन
2. बहुवचन
1. एकवचन
शब्दों के जिस रूप से एक वस्तु का बोध होता है, उसे एकवचन कहते हैं।
उदाहरण:-
जैसे- स्त्री, घोड़ा, नदी, रुपया, लड़का, गाय, सिपाही, बच्चा, कपड़ा, माता, माला, पुस्तक, टोपी, बंदर, मोर आदि।
2. बहुवचन
शब्द के जिस रूप से एक से अधिक व्यक्ति या वस्तु होने का ज्ञान हो, उसे बहुवचन कहते है।
उदाहरण:-
जैसे- स्त्रियाँ, घोड़े, नदियाँ, रूपये, लड़के, गायें, कपड़े, टोपियाँ, मालाएँ, माताएँ, पुस्तकें, वधुएँ, गुरुजन, रोटियाँ, लताएँ, बेटे आदि।
v विशेष-
(i) आदरणीय व्यक्तियों के लिए सदैव बहुवचन का प्रयोग किया जाता है। जैसे- पापाजी कल मुंबई जायेंगे।
(ii) द्रव्यसूचक संज्ञायें एकवचन में प्रयोग होती है। जैसे- पानी, तेल, घी, दूध आदि
(iii) संबद्ध दर्शाने वाली कुछ संज्ञायें एकवचन और बहुवचन में एक समान रहती है। जैसे- ताई, मामा, दादा, नाना, चाचा आदि।
(iv) कुछ शब्द सदैव बहुवचन में प्रयोग किये जाते है जैसे- दाम, दर्शन, प्राण, आँसू आदि।
ü समान्यत: एक संख्या के लिए एकवचन और अनेक संख्याओं के लिए बहुवचन का प्रयोग होता है|
ü कभी-कभी एक के लिए बहुवचन और अनेक के लिए एकवचन का प्रयोग होता है |
उपसर्ग
वे शब्दांश है जो किसी शब्द से पूर्व लगकर उस शब्द का अर्थ बदल देते है उन्हें उपसर्ग कहते हैं।
उदाहरण:-
जैसे- उपसर्ग + मूल शब्द = नया शब्द
उप + कार = उपकार
हिन्दी भाषा में प्रयुक्त होने वाले उपसर्ग मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किए जा सकते है|
(i) संस्कृत के उपसर्ग
(ii) हिन्दी के उपसर्ग
(iii) आगत उपसर्ग
1. संस्कृत के उपसर्ग
संस्कृत के कुल 22 उपसर्ग है किन्तु ‘निस’ ‘नीर’ तथा ‘दुस’ ‘दूर’ में कोई अन्तर नहीं होता है, अत: संस्कृत भाषा के 20 उपसर्ग उन तत्सम शब्दों के साथ प्रयुक्त होते है जिनका प्रयोग हिन्दी भाषा में होता है, इसलिए इन्हें ‘तत्सम’ उपसर्ग भी कहा जाता है|
उदाहरण:-
उपसर्ग तथा उनसे निर्मित शब्द
अति=> अतिकाल, अत्याचार, अतिकर्मण,अतिरिक्त, अतिशय, अत्यन्त, अत्युक्ति, अतिक्रमण, इत्यादि।
अधि=> अधिकरण, अधिकार, अधिराज, अध्यात्म, अध्यक्ष, अधिपति इत्यादि।
अप=> अपकार, अपमान, अपशब्द, अपराध, अपहरण, अपकीर्ति, अपप्रयोग, अपव्यय, अपवाद इत्यादि।
अ=> अज्ञान, अधर्म, अस्वीकार इत्यादि।
अनु=> अनुशासन, अनुज, अनुपात, अनुवाद, अनुचर, अनुकरण, अनुरूप, अनुस्वार, अनुशीलन इत्यादि
आ=> आकाश, आदान, आजीवन, आगमन, आरम्भ, आचरण, आमुख, आकर्षण, आरोहण इत्यादि।
अव=> अवगत, अवलोकन, अवनत, अवस्था, अवसान, अवज्ञा, अवरोहण, अवतार, अवनति, अवशेष, इत्यादि।
उप=> उपकार, उपकूल, उपनिवेश, उपदेश, उपस्थिति, उपवन, उपनाम, उपासना, उपभेद इत्यादि।
नि=> निदर्शन, निपात, नियुक्त, निवास, निरूपण, निवारण, निम्र, निषेध, निरोध, निदान, निबन्ध इत्यादि।
निर्=> निर्वास, निराकरण, निर्भय, निरपराध, निर्वाह, निर्दोष, निर्जीव, नीरोग, निर्मल इत्यादि।
परा=> पराजय, पराक्रम, पराभव, परामर्श, पराभूत इत्यादि।
परि=> परिक्रमा, परिजन, परिणाम, परिधि, परिपूर्ण इत्यादि।
प्र=> प्रकाश, प्रख्यात, प्रचार, प्रबल, प्रभु, प्रयोग, प्रगति, प्रसार, प्रयास इत्यादि।
प्रति=> प्रतिक्षण, प्रतिनिधि, प्रतिकार, प्रत्येक, प्रतिदान, प्रतिकूल, प्रत्यक्ष इत्यादि।
वि=> विकास, विज्ञान, विदेश, विधवा, विवाद, विशेष, विस्मरण, विराम, वियोग, विभाग, विकार, विमुख, विनय, विनाश इत्यादि।
सम्=> संकल्प, संग्रह, सन्तोष, संन्यास, संयोग, संस्कार, संरक्षण, संहार, सम्मेलन, संस्कृत, सम्मुख, संग्राम इत्यादि।
सु=> सुकृत, सुगम, सुलभ, सुदूर, स्वागत, सुयश, सुभाषित, सुवास, सुजन इत्यादि।
अध=> अधजला, अधपका, अधखिला, अधमरा, अधसेरा इत्यादि।
अ-अन=> अमोल, अपढ़, अजान, अथाह, अलग, अनमोल, अनजान इत्यादि।
उन=> उत्रीस, उनतीस, उनचास, उनसठ, उनहत्तर इत्यादि।
2. हिन्दी के उपसर्ग
उदाहरण:-
उपसर्ग तथा उनसे निर्मित शब्द
अ=> अचेत , अमर , अशान्त
अन=> अनमोल , अनजान , अनाचार
भर=> भरसक , भरमार , भरपेट
दु=> दुबला , दुगना , दुसह
उन=> उनासी , उनतीस , उनचास
3. आगत उपसर्ग
उदाहरण:-
उपसर्ग तथा उनसे निर्मित शब्द
अल=> अलबत्ता , अलबेला
बद=> बदतमीज , बदबू
कम=> कमजोर, कमसिन
ब=> बनाम , बदौलत
हम=> हमराज , हमसफर
प्रत्यय
प्रत्यय दो शब्दों से बना है- प्रति+अय। 'प्रति' का अर्थ 'साथ में, 'पर बाद में' है और 'अय' का अर्थ 'चलनेवाला' है। अतएव, 'प्रत्यय' का अर्थ है 'शब्दों के साथ, पर बाद में चलनेवाला या लगनेवाला। प्रत्यय उपसर्गों की तरह अविकारी शब्दांश है, जो शब्दों के बाद जोड़े जाते है।
जैसे- 'भला' शब्द में 'आई' प्रत्यय लगाने से 'भलाई' शब्द बनता है। यहाँ प्रत्यय 'आई' है।
प्रत्यय के भेद
प्रत्यय के दो प्रकार है –
(1) कृत् प्रत्यय
(2) तद्धित प्रत्यय
1. कृत् प्रत्यय
क्रिया या धातु के अन्त में प्रयुक्त होने वाले प्रत्ययों को 'कृत्' प्रत्यय कहते है और उनके मेल से बने शब्द को 'कृदन्त' कहते है।
वे प्रत्यय जो धातु में जोड़े जाते हैं, कृत प्रत्यय कहलाते हैं। कृत् प्रत्यय से बने शब्द कृदंत (कृत्+अंत) शब्द कहलाते हैं।
उदाहरण:-
जैसे- लेख् + अक = लेखक।
यहाँ अक कृत् प्रत्यय है, तथा लेखक कृदंत शब्द है।
अन => मनन, चलन, पालन, सहन, नयन, चरण
आवना => डरावना, सुहावना
कर => जाकर, गिनकर, लिखकर
औती => मनौती, फिरौती
उक => इच्छुक, भिक्षुक
या => मृगया, विद्या
वाई => सुनवाई, कटवाई, बनवाई
इया => छलिया, जड़िया, बढ़िया, घटिया
आ => लिखा, भूला,भटका, भूला, झूला
आव => बहाव, कटाव, झुकाव
हार => होनहार, रखनहार, खेवनहार
उक => इच्छुक, भिक्षुक
न => बंधन, बेलन, झाड़न
इयल => मरियल, अड़ियल, सड़ियल
ई => बोली, हँसी,रेती, फाँसी, भारी
इत्र=> चरित्र, पवित्र, खनित्र
वाला => देनेवाला, आनेवाला, पढ़नेवाला
2. तद्धित प्रत्यय
वे प्रत्यय जो धातु को छोड़कर अन्य शब्दों- संज्ञा, सर्वनाम व विशेषण में जुड़ते हैं, तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। तद्धित प्रत्यय से बने शब्द तद्धितांत शब्द कहलाते हैं।
उदाहरण:-
जैसे- सेठ + आनी = सेठानी।
यहाँ आनी तद्धित प्रत्यय हैं तथा सेठानी तद्धितांत शब्द है।
ईन => ग्रामीण, कुलीन
त: => अत: , स्वत:, अतः
आई => पण्डिताई,चतुराई, ठकुराई
क => चमक,ललक, धमक
इल => फेनिल, जटिल
सा => ऐसा, कैसा,वैसा
ऐरा => बहुतेरा, सवेरा
आयत => बहुतायत, पंचायत, अपनायत
इष्ठ => कनिष्ठ, वरिष्ठ, गरिष्ठ, बलिष्ठ
वान => धनवान, गुणवान
ल#2354; => शीतल,कोमल, श्यामल
मात्र => लेशमात्र, रंचमात्र
एय => आतिथेय, आत्रेय, कौंतेय, पौरुषेय, राधेय
ओला => खटोला, पटोला, सँपोला
तन => अद्यतन
ती => कमती, बढ़ती, चढ़ती
No comments:
Post a Comment