Friday 13 September 2019

Proverbs in Hindi मुहावरे Part-2


Proverbs in Hindi 
मुहावरे 
Part-2

81. कमर कसना (तैयार हो जाना)-परीक्षा निकट गयी है, अब तुम भी अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने के लिए कमर कस लो।
82. कलेजा मुँह को आना (अत्यधिक व्याकुल होना)-पत्नी के असामयिक निधन का समाचार सुनते ही उसका कलेजा मुँह को गया।
83. कलेजे पर साँप लोटना (ईर्ष्या से जल उठना)-राघव को नयी कार की सवारी करते देखकर शीतल के कलेजे पर साँप लोटने लगा।
84. कलेजा फटना (घोर दुःख होना)-गुजरात में भूकम्प से मरने वालों के विषय में सुनकर सबका कलेजा फटने लगा।
85. कलेजा छलनी होना (दिल अति दुःखी होना)-एक रात माता-पिता को छोड़कर पुत्र कहीं चल दिया तो अत्यधिक दुःख से उसके पिता का कलेजा छलनी हो गया।
86. कलेजे पर पत्थर रखना (धैर्य धारण करना)-डकैती में समस्त सम्पत्ति लुट जाने पर उसने कलेजे पर पत्थर रख लिया।
87.कलेजा थामना (स्वयं को कठिनाई से सँभालना)-युवा सुन्दरियों को देखकर मनचले युवक कलेजा थाम कर रह जाते हैं।
88. कलम उठाना (किसी विषय पर लिखना प्रारम्भ करना)-आजकल पत्रकारों ने सरकार के विरोध में लिखने हेतु कलम उठा ली है।
89. कसौटी पर कसना (परखना)-श्री नेहरू ऐसे प्रधानमन्त्री थे, जो संसद सदस्यों को कसौटी पर कसकर ही मन्त्री नियुक्त करते थे। 
90. कान पर जूं रेंगना (कोई परवाह करना)-मैंने लिपिक को समय पर आने के लिए मौखिक एवं लिखित रूप में चेतावनी दी, लेकिन उसके कान पर तक नहीं रेंगती।
91. कान खड़े होना (सावधान होना)-सेना रात्रि में आराम से सो रही थी। तोपों की गड़गड़ाहट सुनकर सबके कान खड़े हो गये।
92. कान काटना (चतुराईपूर्ण कार्य करना)-चन्द्रमोहन छोटी कक्षा का छात्र होकर भी बड़े-बड़ों के कान काटता है।
93. कान का कच्चा (झूठी शिकायत पर ध्यान देने वाला)-जो अधिकारी कान का कच्चा होता है, उसके विश्वसनीय कर्मचारी उसका साथ छोड़ देते हैं।
94. काम तमाम करना (मार डालना)-झाँसी की रानी ने आक्रमणकारी अंग्रेजों से लड़ते हुए बहुत से अंग्रेजों का काम तमाम कर दिया।
95. काँटा दूर होना (संकट टलना)-निर्भय की मृत्यु होते ही घनश्याम के रास्ते का तो मानो काँटा ही दूर हो गया।
96. कुत्ते की मौत मरना (सम्मानरहित एवं कष्ट सहित मरना)-पापी और बुरे कर्म करने वाले प्रायः कुत्ते की मौत मरते हैं।
97.कुएँ में भाँग पड़ना (सबकी बुद्धि नष्ट हो जाना)-सरकारी तन्त्र में रिश्वतखोरी का आलम यह है कि मानो कुएँ में भाँग पड़ी है।
98. कूपमण्डूक होना (अल्पज्ञ होना)-तुम्हारा मित्र कूपमण्डूक है। वह अपने घर के अलावा कुछ नहीं जानता।
99. कायापलट होना (अत्यधिक परिवर्तन होना)-ईमानदार जिलाधिकारी के आने से मेरठ शहर
100. किनारा करना (साथ छोड़ना)-गौरव के व्यवहार को देखकर उसके सभी भाई एक-एक करके उससे किनारा कर गये।
101. कन्धे से कन्धा मिलाना (सहयोग देना)-विपत्ति के समय देश के प्रत्येक नागरिक को कन्धे से कन्धा मिलाकर काम करना चाहिए।
102. कच्चा चिट्ठा खोलना (गुप्त भेद खोलना)-सी०बी०आई० की कार्यवाही ने देश के बड़े-बड़े सफेदपोशों का कच्चा चिट्ठा खोलकर रख दिया।
103. कलेजा धक-धक करना (भयभीत होना)-घने जंगल में बन्द गाड़ी में घूमते समय भी हम सभी के कलेजे धक-धक कर रहे थे।
104. कलेजा निकालकर रख देना (सर्वस्व दे देना)-यदि सौतेली माँ अपना कलेजा निकालकर रख दे, तो भी ऐसे व्यक्ति बहुत कम होंगे जो उसकी प्रशंसा करेंगे।
105. कसाई के खूटे से बाँधना (निर्दयी व्यक्ति को सौंपना)-रमेश से विवाह के बाद शीला बहुत दुःखी है। यदि उसके घर वालों को रमेश की असलियत का पता होता, तो वे उसे कसाई के खूटे से कभी नहीं बाँधते।
106. काँटों पर लोटना (ईर्ष्या से जलना, बेचैन होना)-रमेश नयी कार लाया है। इस समाचार से राकेश की बेचैनी बढ़ गयी, तभी किसी ने कहा कि व्यर्थ काँटों पर क्यों लोटते हो।
107. किस्मत खुलना (भाग्य चमकना)-जमींदारी उन्मूलन के बाद भारतीय किसानों की धीरे-धीरे किस्मत खुलने लगी।
108. कीचड़ उछालना (दोष लगाना)-तुम एक साधु पुरुष पर कीचड़ उछाल रहे हो। तुम्हें शर्म करनी चाहिए।
109. खेत रहना (युद्ध में मारा जाना)-ईरान-इराक युद्ध में सेना के लाखों जवान खेत रहे।
110.खून-पसीना एक करना (कठिन परिश्रम करना)-मजदूर दिनभर बोरी ढोने में खून-पसीना एक करते हैं, तब कहीं उन्हें दोनों समय का भोजन मिल पाता है।
111.खटाई में पड़ना (झमेले में पड़ना)-अकाल और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदा के समय देश के विकास-कार्य खटाई में पड़ जाते हैं।
112. खाक छानना (बेकार भटकना)-आजकल बेरोजगारी बहुत बढ़ गयी है। शिक्षित बेरोजगार सड़कों पर खाक छानते घूम रहे हैं।
113. खून उबलना (क्रोध करना)-पड़ोसी ने जैसे ही रमेश को गाली दी, उसका खून उबलने लगा।
114. खरी-खोटी सुनाना (बुरा-भला कहना)-जरा-जरा सी बातों पर आपस में खरी-खोटी सुनाने से कोई लाभ नहीं है। शान्तिपूर्वक जीवन जीना ही उचित है।
115. खाक में मिलाना (नष्ट करना)-प्राणघातक नशीली सामग्री का सेवन करते-करते कुल-कपूत ने सम्पूर्ण घर को खाक में मिला दिया।
116. खाने को दौड़ना (आक्रामक बातें करना)-मैं तो तुमसे बहुत सामान्य-सी बातें करने को आया था, लेकिन तुम तो खाने को दौड़ने लगे।
117. खिल्ली उड़ाना (मजाक बनाना)-लम्बे समय तक अनुपस्थित रहकर तुम अपनी नौकरी को खटाई में डाल रहे हो तथा दूसरों को अपनी ही खिल्ली उड़ाने का मौका दे रहे हो।
118. खुशामदी टटू (दूसरों की चापलूसी करने वाला)-आजकल खुशामदी टटुओं का ही जमाना है, जो कम योग्य होते हुए भी आगे बढ़ जाते हैं।
119. खून का प्यासा (जानी दुश्मन)-रहीम और राम आजकल एक-दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं।
120. खून खौलना (जोश आना)-पाकिस्तान के आक्रमण करने की सूचना मिलने पर वीर सैनिकों का खून खौल उठा।।
121.खेल बिगड़ना (काम खराब होना)-कारगिल युद्ध में कितने ही योद्धा युद्धभूमि में मर गए। उनके परिवार का तो बना-बनाया खेल ही बिगड़ गया। 
122. खेल-खेल में (आसानी से)-कन्हैयालाल के लड़के ने खेल-खेल में ही एम०ए० कर लिया।
123. खून सूखना (भयग्रस्त होना)-आतंकवादियों की गतिविधियों के कारण सीमा के निकट रहने वालों का खून सूखता रहता है।
124. खोपड़ी गंजी करना (बुरी तरह पिटाई करना)-नौकर के हाथ से कीमती फूलदान गिरकर टूट गया, मालिक ने तो बेचारे नौकर की खोपड़ी गंजी कर दी।
125. खून सफेद होना (प्रेम और आत्मीयता की भावना समाप्त होना)-पिता की मृत्यु के बाद दोनों भाइयों में सम्पत्ति का बँटवारा क्या हुआ, दोनों के तो खून ही सफेद हो गये।
126. गर्दन पर छुरी चलाना (विश्वासघात अथवा धोखे से मारना)-सच्चा मित्र कभी अपने मित्र की गर्दन पर छुरी नहीं चलाता। 
127. गड़े मुर्दे उखाड़ना (पुरानी बातें खोलना)-गड़े मुर्दे उखाड़ने से किसी समस्या का समाधान नहीं निकलता।
128. गला घोंटना (अत्याचार करना)-प्रदेश सरकार से जनता को बड़ी-बड़ी अपेक्षाएँ थीं। लेकिन यह तो गरीबों का ही गला घोंट रही है।
129. गला फँसाना (बन्धन में पड़ना)-दूसरों के मामले में गला फँसाने से कोई लाभ नहीं होता, वरन् बदनामी ही हाथ लगती है।
130. गला काटना (बेईमानी करना)-लोगों का गला काटकर ही आज वह उद्योगपति बना बैठा
131. गले पड़ना (जबरदस्ती मित्रता का प्रयत्न करना)-उसने मुस्कराकर मुझसे दो-चार बातें क्या की, मैं तो उसके गले ही पड़ने लगा।
132. गले का हार होना (बहुत प्रिय होना)-विमल अपने ननिहाल में आकर अपने नाना के गले का हार बन गया है। .
133. गागर में सागर भरना (थोड़े शब्दों में बड़ी-बड़ी बात कहना)-बिहारी ने अपने दोहों में अनेकानेक भावों को भरकर गागर में सागर भर दिया है।
134. गिरगिट की तरह रंग बदलना (अस्थिर रहना)-आजकल के नेताओं को गिरगिट की तरह रंग बदलना अच्छी तरह आता है।
135. गुदड़ी का लाल (छिपा हुआ अमूल्य व्यक्तित्व)-डॉ० पद्मसिंह शर्मा 'कमलेश' गुदड़ी के लाल थे, जिन्होंने अपने साहित्य से आगरा शहर का नाम रोशन कर दिया।
136. गुलछर्रे उड़ाना (मौज उड़ाना)-अपने पिता की कमाई पर गुलछरें उड़ाना उचित नहीं है।
137. गाल बजाना (डींग मारना, शेखी बघारना)-मात्र गाल बजाने से ही तुम किसी काम में सफल नहीं हो सकते। सफलता के लिए कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है।
138. गूलर का फूल होना (दुर्लभ वस्तु होना)-आज के युग में नेताओं में ईमानदारी और देशभक्ति तो मानो गूलर का फूल हो गयी है। 
139. गूंगे की मिठाई होना (अवर्णनीय होना)-साहित्य के अध्ययन से मिलने वाला आनन्द गूंगे की मिठाई है, जिसका वर्णन सम्भव नहीं।
140. घोड़े बेचकर सोना (निश्चिन्त होना)-तुम तो लड़की की शादी करके अब आराम से घोड़े बेचकर सो सकते हो।
141. घाव पर नमक छिड़कना (दुःखी को और दुःखी करना)-उस विधवा को ताने देकर तुम उसके घावों पर क्यों नमक छिड़क रहे हो, यह बात उचित नहीं।
142. घड़ों पानी पड़ना (लज्जित होना)-मोहन सिगरेट पी रहा था कि उसके पिताजी उधर से निकले। अपने पिताजी को देखकर उस पर घड़ों पानी पड़ गया।
143. घर का भेदी लंका ढावे (आपसी फूट हानिकारक होती है)-तुमने मुकदमे में अपने भाई के विरुद्ध भेद की बात बताकर भाई को हरवा दिया। इसीलिए तो कहा जाता है कि घर का भेदी लंका ढावे।। 
144. घी के दीये जलाना (खुशियाँ मनाना)-दुष्ट अधिकारी का तंबादला होने पर कार्यालय के सभी कर्मचारियों ने घी के दीये जलाये।
145. घर सिर पर उठाना (शोर मचाना)-जब घर पर बड़े नहीं होते तो बच्चे घर को सिर पर उठा लेते हैं।
146. घर फूंक तमाशा देखना (अपनी हानि पर आनन्दित होना)-युवाओं को आतंकवाद में फंसाकर इस्लाम घर फूंक तमाशा देखने की कहावत को चरितार्थ कर रहा है।
147.घाव हरा होना (दु: का समय याद आना)-भाई के आते ही गीता के घाव हरे हो गये और वह अपने पति की मरणासन्न अवस्था को याद करते हुए रोने लगी।
148. घिग्घी बँधना (भय से गले से आवाज निकलना)-डकैतों के घर में घुसते ही छोटों के साथ-साथ बड़ों की भी घिग्घी बँध गयी।
149. घाट-घाट का पानी पीना (विभिन्न विद्याओं का अच्छा-बुरा अनुभव प्राप्त करना)-जिस व्यक्ति ने घाट-घाट का पानी पिया हो, उसे जीवन में कोई धोखा नहीं दे सकता।
150. घरका दीपक (कुल की कीर्ति को बढ़ाने वाला)-एकमात्र पुत्र अजय की मृत्यु पर संवेदना व्यक्त करने आये प्रत्येक व्यक्ति ने यही कहा कि उनके घर का तो दीपक ही बुझ गया।

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