Friday 13 September 2019

Proverbs in Hindi मुहावरे Part-3

Proverbs in Hindi 
मुहावरे 
Part-3
151. घर की खेती (सहज में सुलभ पदार्थ)-बाल कटवा देने पर इतना क्यों दु:खी हो रहे हो? यह तो. घर की खेती है। कुछ दिनों में फिर हो जाएगी।
152. चार चाँद लगाना (शोभा बढ़ाना)-मदर टेरेसा ने कुष्ठ रोगियों के लिए लगे चिकित्सा शिविर में पधारकर शिविर के आयोजन में चार चाँद लगा दिये।
153. चिकना घड़ा होना (बेशर्म आदमी)-हमारे जिलाध्यक्ष को हर व्यक्ति गालियाँ देता है, परन्तु वह ऐसा चिकना घड़ा है कि उस पर कोई प्रभाव ही नहीं होता।
154. चोली-दामन का साथ (अधिक घनिष्ठता)-रूस के साथ चोली-दामन का सम्बन्ध रखकर भारत दिनों-दिन प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है।
155. चुल्लूभर पानी में डूबना (लज्जित होना)-सोहन का छोटा भाई रोहन मेहनत करके उससे अगली कक्षा में पहुंच गया। यह सोहन के लिए चुल्लूभर पानी में डूबने वाली बात है।
156. चिराग तले अँधेरा (सबको सुविधा देने वालों का स्वयं सुविधाओं से वंचित रह जाना)-हमारे अध्यापक महोदय का लड़का पढ़ाई में बहुत कमजोर है। इसे कहते हैं चिराग तले अँधेरा।।
157. चल बसना (मर जाना)-मेरे मित्र के दादा कल चल बसे, यह जानकर मुझे हार्दिक वेदना
हुई।
158. चंगुल में फंसाना (मीठी बातों के द्वारा वश में करना)-जेबकतरों ने वृद्ध व्यापारी को अपने चंगुल में फँसा लिया और उसकी जेब से रुपए निकाल लिए।
159. चाँद पर थूकना (भले आदमी पर दोष लगाना)-श्री लालबहादुर शास्त्री के विषय में उल्टा-सीधा कहना चाँद पर थूकना है।
160. चारों खाने चित्त करना (बहुत बुरी तरह हराना)-मोहन पहलवान ने श्याम पहलवान को अखाड़े में पहुँचते ही चारों खाने चित्त कर दिया।
161. चींटी के पर निकलना (अति सामान्य व्यक्ति द्वारा घमण्ड करना)-आजकल उसका दिमाग सातवें आसमान पर है। रोज धमकियाँ दे रहा है। लगता है कि चींटी के पर निकल आये हैं।
162. चूड़ियाँ पहनना (कायरता दिखाना)-हम भारतीय वीर हैं। मौत आने तक हम आक्रान्ता से लड़ेंगे। चूड़ियाँ पहनकर हम कभी नहीं बैठ सकते।
163. चूल्हा जलना (बहुत गरीब होना)-हमारी क्या पूछते हो? हमारे यहाँ तो कई-कई दिन तक चूल्हा भी नहीं जलता है।
164. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना (घबरा जाना)-टिकट-परीक्षक के डिब्बे में घुसते ही बिना टिकट यात्रियों के चेहरों पर हवाइयाँ उड़ने लगी।
165. चैन की वंशी बजाना (आनन्द से समय बिताना)-अधिकांश चिट-फण्ड कम्पनियों को दिवालिया घोषित कर लोग उसके धन से चैन की वंशी बजा रहे हैं।
166. चौकड़ी भूलना (यार-दोस्तों में बैठना)-विवाह के बाद गृहस्थी की जिम्मेदारियों से दबकर बीरेन्द्र चौकड़ी भूल.गया।
167.चूना लगाना (हानि पहुँचाना)-उसने मुझे रिश्तेदारी का हवाला दिया और बात-बात में सौ रुपये का चूना लगा गया।
168. चाँदी काटना (अधिक लाभ प्राप्त करना)-आपातस्थिति से पूर्व काले धन्धे में लगे व्यक्ति कृत्रिम कमी उत्पन्न करके चाँदी काट रहे थे।
169. छक्के छुड़ाना (बुरी तरह हराना)-भारतीय सेनाओं ने कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेनाओं के छक्के छुड़ा दिये।
170. छप्पर फाड़कर देना (अकस्मात् धन देना)-लड़की की शादी के समय उसकी लॉटरी निकल आयी। सच ही कहा है कि ईश्वर जब देता है, छप्पर फाड़कर देता है।
171. छाती पर पत्थर रखना (चुपचाप दुःख सहना)-उस युवती ने वैधव्य के दिनों को छाती पर पत्थर रखकर और रिश्तेदारों के ताने सुनकर बिता दिया।
172. छोटे मुँह बड़ी बात करना (अपनी योग्यता से अधिक बात करना)-तुम अपने बुजुर्ग पिता को उपदेश देकर छोटे मुँह बड़ी बातें कर रहे हो।
173. छाती पर साँप लोटना (ईर्ष्या होना)-मेरे लड़के के सरकारी अफसर बन जाने पर रिश्तेदारों की छाती पर साँप लोटने लगा।
174. छठी का दूध याद कराना (प्रतिद्वन्द्वी को किंकर्तव्यविमूढ़ कर देना)-सतपाल ने अपनी युवावस्था में अखाड़े में बड़े-बड़े पहलवानों को भी छठी का दूध याद करा दिया था।
175. छाती पर मूंग दलना (अत्यधिक कष्ट देना)-तुमको पढ़ा-लिखा दिया, परिश्रम करो और कोई नौकरी-धन्धा देखो। कब तक मेरी छाती पर मूंग दलते रहोगे।
176. जीभ चलाना (अत्यधिक बोलना)-संजय की छोटी-सी बच्ची बहुत जीभ चलाती है।
177.जमीन पर पैर पड़ना (बहुत अधिक प्रसन्न होना)-सुधीर कक्षा में प्रथम आया है, इसलिए उसके जमीन पर पैर ही नहीं पड़ रहे हैं।
178. जलती आग में घी डालना (और अधिक झगड़ा बढ़ाना)-राम और श्याम का झगड़ा तो समाप्त हो गया था, परन्तु राम के बड़े भाई ने जली-कटी बातें सुनाकर जलती आग में घी डाल दिया।
179. जूतियाँचटकाते फिरना (व्यर्थ इधर-उधर घूमना)-वह अपने पद और घर की मर्यादा का ध्यान रखकर कुछ लफंगों के साथ दिनभर जूतियाँ चटकाता फिरता है।
180. जहर उगलना (कठोर लगने वाली बात कहना)-वह जब देखो तब जहर उगलता ही रहता है। उसे किसी की उन्नति तनिक भी नहीं सुहाती।
181. जली-कटी कहना (व्यंग्यपूर्ण बात करना)-जब देखो तब तुम दूसरे को जली-कटी कहते रहते हो। कभी तो प्रेम के साथ बोला करो।
182. जहाज का पंछी होना (ऐसी मजबूरी जिससे वहीं आश्रय लेने के लिए बाध्य होना पड़े)-बहुत ढूँढ़ने पर भी मुझे कोई उपयुक्त किराये का घर नहीं मिला। जहाज के पंछी की तरह मैं फिर लौटकर उसी घर में रहने के लिए गया।
183. जी-जान लड़ाना (बहुत परिश्रम करना)-हमने तो कार्यक्रम की सफलता के लिए जी-जान लड़ा दी, किन्तु उच्चाधिकारी को तो कोई बात पसन्द ही नहीं आती।।
184. जान पर खेलना (प्राणों की परवाह करना)-झाला सरदार ने अपनी जान पर खेल कर राणा प्रताप के प्राणों की रक्षा की।
185. जहर का घूट पीना (अपमान का उत्तर तक देना)-गत वर्ष हुए अपमान को मैं जहर का चूंट पीकर सह गया हूँ।
186. जोड़-तोड़ करना (दाँव-पेंच युक्त उपाय करना)-किसी भी तरह जोड़-तोड़ करके अन्तत: रमेश ने मन्त्रीपद प्राप्त कर ही लिया।
187.झण्डा गाड़ना (धाक जमाना)-भारतीय सेनाओं ने कारगिल का युद्ध जीतकर अपनी विजय के झण्डे गाड़ दिये।
188.झखमारना (व्यर्थ समय व्यतीत करना)-बी०ए० की परीक्षा देने के बाद क्यों बैठे झख मार रहे हो? कोई काम-धन्धा क्यों नहीं तलाश करते ?
189. टीका-टिप्पणी करना (पराये दोष गिनना)-दूसरों की टीका-टिप्पणी करना बहुत बुरी आदत है।
190. टूट पड़ना (अचानक हमला करना)-मराठा सैनिक रात्रि में मुगल-सेना पर टूट पड़े। 
191. टेढ़ी खीर (कठिन काम)-आजकल अच्छी नौकरी पाना टेढ़ी खीर है।
192. टस से मस होना (विचलित होना)-अनेकानेक विपत्तियाँ आयीं, किन्तु वह टस से मस नहीं हुआ। अन्ततः जीत उसी की हुई।
193. टोपी उछालना (बेइज्जत करना)-तुम्हारे पास पैसे हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि तुम सबकी टोपी उछालते रहो।
194. टपक पड़ना (सहसा पहुँचना)-अरे! अभी तुम्हारी ही बात हो रही थी, तुम एकाएक कहाँ से टपक पड़े ?
195. ठोकरें खाना (बेकार भटकना)-बेकारी के इस युग में जाने कितने ही ग्रेजुएट सड़कों पर ठोकरें खाते फिरते हैं।
196. ठगा-सा रह जाना (चकित रह जाना)-जादूगर के प्रत्यक्ष चमत्कारों को देखकर मैं ठगा-सा रह गया।
197. ठिकाने लगाना (मार डालना)-तुम्हारा मामला है, अन्यथा उस दुष्ट को तो मैं जाने कब का ठिकाने लगा चुका होता।
198. ठन-ठन गोपाल (जेब खाली होना)-नौकरी-पेशा वाले लोग आधे महीने के बाद ही ठन-ठन गोपाल हो जाते हैं।
199. डकार जाना (हजम कर जाना)-बेईमान नेता जनता से काम करने का वायदा करके विदेशों से प्राप्त धन के अरबों रुपये डकार जाते हैं।
200. डंके की चोट पर कहना (निर्भीकता से कहना)-निर्भीक लोग भ्रष्ट अधिकारियों की काली करतूतों को डंके की चोट पर कहने में संकोच नहीं करते।
201. डूबते को तिनके का सहारा (दुःख में पड़े हुए को थोड़ी सहायता ही बहुत होती है)-मोहनलाल की नौकरी छूट जाने पर सेठ जी ने उसे अपने यहाँ ₹ 5000 मासिक पर मुनीम रखकर डूबते को तिनके का सहारा दे दिया।
202. डींग मारना (बढ़-चढ़कर अपनी प्रशंसा करना)-अभी से प्रथम श्रेणी कहकर क्यों डींग मारते फिरते हो, परीक्षाफल आने पर वास्तविकता का तो पता लग ही जाएगा।
203. ढाई ईंट की मस्जिद अलग बनाना (सार्वजनिक मत के विरुद्ध कार्य करना)-अजय से हमारी मित्रता सम्भव ही नहीं है। वह सदैव ढाई ईंट की मस्जिद अलग बनाता रहता है।
204. ढिंढोरा पीटना (बात का खुलेआम प्रचार करना)-अक्षय के पेट में कोई बात नहीं पचती, वह तुरन्त बात का ढिंढोरा पीट देता है।
205. तकदीर फूट जाना (भाग्यहीन होना)-युवावस्था में विधवा होने पर स्त्री की तो मानो तकदीर ही फूट जाती है।
206. तलवे चाटना (चापलूसी करना)-उसने अपने अधिकारियों के बहुत तलवे चाटे, परन्तु पदोन्नति आज तक नहीं मिल सकी।
207. तारे गिनना (बेचैनी से रात्रि व्यतीत करना)-मैं तुम्हारी याद में तारे गिनता रहा।
208.तिल का ताड़ करना (छोटी-सी बात को बड़ी बनाना)-बात तो बहुत छोटी-सी थी, किन्तु उन्होंने आपस में झगड़ा करके तिल का ताड़ बना दिया।
209. तीन-तेरह करना (तितर-बितर करना)-आयकर का छापा पड़ने से पहले ही लाला जी ने अपने सारे कागजों को तीन-तेरह कर दिया।
210. तीन में तेरह में (सर्वथा उपेक्षित)-चुगलखोर व्यक्ति तीन में तेरह में होके रह जाते हैं।
211. तीन-पाँच क़रना (बहाना बनाना, इधर-उधर की बात करना)-सिपाही ने चोर से कहा कि सच-सच बताओ कि बात क्या है ? तीन-पाँच करोगे तो अच्छा होगा।
212. तूती बोलना (धाक जमना)-छत्रपति शिवाजी की सम्पूर्ण दक्षिण भारत में तूती बोलती थी।
213. त्यौरी चढ़ाना (गुस्सा करना)-पिताजी ने ज्यों ही त्यौरी चढ़ायी, घनश्याम उनके पास से उठकर चल दिया।
214. तोते की तरह रटना (बिना अर्थ समझे पाठ याद करना)-परीक्षा के समय विद्यार्थी तोते की तरह सब कुछ रट लेते हैं। उनको यह समझना चाहिए कि रट लेने में ही पढ़ाई पूरी नहीं होती।
215. थाली का बैंगन होना (पक्ष बदलते रहना)-रंजन की बात पर कोई विश्वास नहीं करता। वह कभी इस ओर हो जाता है और कभी उस ओर। उसे तो थाली का बैंगन कहना चाहिए।
216. थूक कर चाटना (त्यक्त वस्तु को पुनः ग्रहण करना)-पहले तो आवेश में तुमने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। अब उसके लिए पुन: आवेदन-पत्र देकर थूक कर चाटना क्यों चाहते हो ?
217. दाई से पेट छिपाना (जानकारों से बात छिपाना)-मिस्टर ! मैं तुम्हारी नस-नस पहचानता हूँ। दाई से पेट छिपाना आसान नहीं होता।
218. दाँत खट्टे करना (हराना)-भारतीय सेना ने सन् 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना के दाँत खट्टे कर दिये थे।
219. दाल में कुछ काला होना (गड़बड़ होना)-तुम रात में सड़कों पर इधर से उधर क्यों घूम रहे हो, जरूर दाल में कुछ काला है। 
220. दूध का दूध पानी का पानी करना (न्याय करना)-सच्चा पंच हमेशा दूध का दूध और पानी का पानी करता है। वह किसी एक पक्ष की बात नहीं करता।

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