Friday 13 September 2019

Proverbs in Hindi मुहावरे Part-5

Proverbs in Hindi 
मुहावरे 
Part-5
291. मुँह फुलाना (नाराज होना, रूठना)-राजेश ने विकास से उधार रुपये माँगे थे। प्रयास करने पर भी इन्तजाम होने पर विकास ने मना कर दिया। राजेश ने इस बात पर मुँह फुला लिया।
292. मुट्ठी गर्म करना (रिश्वत देना)-आजकल दफ्तरों में क्लर्कों की मुट्ठी गर्म किये बिना कोई फाइल आगे नहीं सरकती।
293. मक्खियाँ मारना (बेकार बैठना)-इस डॉक्टर के पास तो एक भी मरीज नहीं आता। दिन भर यह मक्खी मारता रहता है।
294. मिट्टी में मिलना (बरबाद होना)-अरविन्द मोहन की जुए और सट्टेबाजी की आदत ने उसका घर मिट्टी में मिला दिया।
295. मन खट्टा हो जाना (घृणा का भाव भर जाना)-एक ओर दीपक के पिता की लाश पड़ी थी और दूसरी ओर उसका छोटा भाई बँटवारे के लिए झगड़ रहा था। यह देखकर छोटे भाई के प्रति दीपक का मन खट्टा हो गया।
296. मन्त्र कना (अनुचित बातें समझाना)-दो भाइयों के विवाद में अक्सर पड़ोसी और रिश्तेदार दोनों को ही मन्त्र फूंकते रहते हैं।
297. मन मारकर बैठना (निराश होना)-घर में चोरी होने तथा चोर का पता लगने पर बीरेन्द्र मन मारकर बैठ गया।
298. मिट्टी के मोल बिकना (अत्यधिक कम मूल्य पर बिकना)-आर्थिक रूप से विवश होकर प्रेमचन्द जी को अपने अधिकांश उपन्यास प्रकाशकों के हाथ मिट्टी के मोल बेचने पड़े।
299. मिट्टी में मिलाना (पूरी तरह नष्ट कर देना)-कुपुत्र अपने कुकर्म द्वारा पूर्वजों के यश को मिट्टी में मिला देते हैं।
300. मुँह पर कालिख लगना (कलंक लगना)-चन्दर जब चोरी के अपराध में रंगे हाथों पकड़ा गया तो उसके मुँह पर कालिख लग गयी।
301. मुँह की खाना (परास्त होना, अपमानित होना)-रानी लक्ष्मीबाई से युद्ध में बड़े-बड़े अंग्रेज अफसरों को मुंह की खानी पड़ी थी।
302. मूंछों पर ताव देना (घमण्ड करना)-परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर लोकेश हमेशा मूंछों को ताव दिये फिरता है।
303. मूंछे नीची हो जाना (अभिमान नष्ट होने के कारण लज्जित होना)-दूसरों से उधार ले लेकर हरीश खर्च करता था और अपनी मूंछों पर ताव दिया करता था। एक बकायेदार ने कई लोगों के सामने अपने बाकी के रुपए माँग लिये, जिससे उसकी मूंछे नीची हो गयीं।
304. मैदान मारना (विजय प्राप्त करना)-रमेश ने 100 मी० की दौड़ में अन्य सभी प्रतिभागियों को पराजित कर मैदान मार लिया।
305. रफूचक्कर होना (भाग जाना)-रेलवे स्टेशन पर मेरी अटैची को लेकर एक उठाईगीरा रफूचक्कर हो गया।
306. रोंगटे खड़े होना (भयभीत हो जाना)-शेर को सामने देखकर हरीश के रोंगटे खड़े हो गये।
307. रंग उतरना (रौनक खत्म होना)-परीक्षा में नकल करते हुए पकड़े जाने पर शर्म के कारण नरेश के चेहरे का रंग उतर गया।
308. रंग में भंग पड़ना (आनन्द में विघ्न होना)-सिनेमा हाल में कुछ लोगों में झगड़ा होने के कारण अधिकांश दर्शकों के रंग में भंग पड़ गया।
309. रँगा सियार होना (धोखा देने वाला)-घर में रह रहा साधु कपड़े लेकर भाग गया तो साधु रूपी उस रँगे सियार का भेद खुल ही गया।
310. राई से पर्वत करना (छोटी बात को बहुत बढ़ा देना)-साम्प्रदायिक दंगों के समय समाज-विरोधी तत्त्व राई जैसी बातों को पर्वत के समान बनाकर अपने स्वार्थ की पूर्ति करते हैं।
311. रास्ते का काँटा बनना (मार्ग में बाधा डालना)-देश की प्रगति के रास्ते में काँटा बनने वाले इन नेताओं और राष्ट्रद्रोहियों को समाप्त कर देना चाहिए।
312. लम्बी-चौड़ी हाँकना (व्यर्थ की बातें करना)-आजकल नेता लोग कुछ करते तो हैं नहीं, जब कभी जनता के बीच आते हैं तो लम्बी-चौड़ी हाँककर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
313. लोहे के चने चबाना (कठोर परिश्रम करना)-किसी प्रतियोगी परीक्षा में चयन कराने के लिए लोहे के चने चबाने पड़ते हैं।
314. लकीर का फकीर होना (रूढ़िवादी होना)-तुम तो लकीर के फकीर हो रहे हो, भला शनिवार को लोहा खरीदने से क्या होता है ?
315. लकीर पीटना (पुरानी रीति पर चलना)-परम्परावादी लोग इक्कीसवीं सदी में भी पुराने रीति-रिवाजों की ही लकीर पीटते रहते हैं।
316. लोहा लेना (मुकाबला करना)-कई दिनों तक महारानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजी सेना से लोहा लेती रही; अन्ततः युद्ध भूमि में वीरों की तरह प्राण त्याग दिये।
317. लोहा मानना (किसी को अपने से शक्तिशाली मानना)-स्वामी दयानन्द का तत्कालीन सभी विद्वान् लोहा मानते थे।
318. श्रीगणेश करना (प्रारम्भ करना)-आज मैंने पुस्तक लिखने का श्रीगणेश कर ही दिया। यह एक महीने में पूरी हो जाएगी।
319.सिर ऊँचा होना (आत्म-गौरव का अनुभव करना)-जो व्यक्ति अच्छे काम करता है, उसका सिर सदा ऊँचा रहता है।
320. सफेद झूठ (बिल्कुल झूठ)-उसके आई० ए० एस० में चयनित होने का समाचार सफेद झूठ
321. सिर उठाना (विरोध में खड़े होना, बगावत करना)-भगवान् श्रीकृष्ण के सम्मुख कंस, जरासन्ध, शिशुपाल जैसे अनेक दुराचारियों ने सिर उठाये, जो उनके द्वारा मार दिये गये।
322. सिर खाना (परेशान करना)-इस समय मैं अपनी परीक्षा की तैयारी में लगा हुआ हूँ, बार-बार प्रश्न पूछकर मेरा सिर मत खाओ।
323. सितारा चमकना (उन्नति पर होना)-हमारे अणु-शक्ति के वैज्ञानिकों के प्रयत्नों से अणु-शक्ति के क्षेत्र में भी हमारा सितारा चमक रहा है।
324. सिर पर सवार होना (कड़ाई से निगरानी करना)-वह व्यक्ति मेरे काम को बार-बार टालता रहता है। अब तो मैं उसके सिर पर सवार होकर ही अपना काम करवाऊँगा।
325. सूरज को दीपक दिखाना (अति गुणवान् या बुद्धिमान् को कुछ बतानों या लिखना अथवा किसी अति प्रसिद्ध पुरुष का परिचय देना)-महात्मा गाँधी के चरित्र के बारे में कुछ भी कहना सूरज को दीपक दिखाने के समान है।
326. सोने में सुगन्ध होना (गुणों में और गुणों की वृद्धि)-सुन्दर और सुशील तो वह था ही, विद्वत्ता ने उसके व्यक्तित्व में सोने में सुगन्ध पैदा कर दी है।
327. सौ बातों की एक बात (निष्कर्ष, सार-तत्त्व)-राम ने श्याम से कहा कि तुम्हारी सौ बातों की एक बात यह है कि मैं आज सिनेमा देखने नहीं जा सकता क्योंकि मुझे अपने कई जरूरी काम करने हैं।
328. साँच को आँच नहीं (सच्चे मनुष्य को भय नहीं होता)-मैं जानता हूँ कि साँच को आँच नहीं, इसलिए मैं पुलिस से क्यों डरूँ, क्योंकि मैंने कोई गलत काम तो किया नहीं।
329. सोने में सुहागा (अच्छी वस्तु में एक और गुण बढ़ना)-वह हिन्दी का उच्चकोटि का वक्ता है, यदि थोड़ी-सी संस्कृत भी सीख ले तो सोने में सुहागा हो जाए।
330. सीधे मुँह बात करना (ठीक व्यवहार करना)-जब से वह लोकसभा का सदस्य बना है, किसी से सीधे मुँह बात भी नहीं करता है।
331. सिर मुंड़ाते ही ओले पड़ना (काम के शुरू होते ही विघ्नों का पड़ना)-मोहन को अनाज के व्यापार से तीन वर्षों के नुकसान के बाद लाभ होना शुरू ही हुआ था कि मुनीम हजार रुपये लेकर भाग गया। बेचारे को सिर मुंडाते ही ओले पड़े।
332. हाथ धो बैठना (गँवा देना)-इतना बोझ मत उठाया करो, किसी दिन जान से हाथ धो बैठोगे।
333. हाथ खींचना (अलग हट जाना)-राम और श्याम में घनिष्ठ मित्रता थी, परन्तु श्याम बुरी संगति में पड़ने लगा है; अत: राम ने भी उससे हाथ खींच लिया है।
334. हक्का -बक्का रह जाना (आश्चर्य में पड़ जाना)-आज अचानक गाँव में पुलिस को देखकर सभी ग्रामवासी हक्के-बक्के रह गये। 
335. हवा से बातें करना (बहुत तेज चलना)-जापान में स्टेशन छोड़ते ही बुलेट ट्रेन हवा से बातें करने लगती है।
336. हँसी खेल होना (आसान काम होना)-बी०ए० की परीक्षा में अंग्रेजी विषय के साथ प्रथम श्रेणी लाना हँसी खेल नहीं है।
337. हाथ मलना (पछताना)-बचपन में अध्ययन में अधिक परिश्रम करने वाले व्यक्ति जीवनभर सामान्य-सी आजीविका प्राप्त कर हाथ मलते रह जाते हैं।
338. हाथ पीले करना (विवाह करना)-वर्तमान युग में किसी सामान्य व्यक्ति के लिए अपनी बेटी के हाथ पीले करना अत्यधिक कठिन कार्य है।
339. हाथ-पाँव मारना (अत्यधिक प्रयत्न करना)-अपनी बेटी को एम०बी०बी०एस० में अच्छे कॉलेज में प्रवेश दिलाने के लिए उसके पिता आशुतोष ने खूब हाथ-पाँव मारे, लेकिन सफल हो सके।
340. हाथ पसारना (भीख या सहायता माँगना)-पुरुषार्थी व्यक्ति कभी किसी अन्य व्यक्ति के सम्मुख हाथ नहीं पसारते। वे अपने प्राप्तव्य को स्वयं प्राप्त करते हैं।
341. हाथ पर हाथ धरकर बैठना (निकम्मा होना)-परिश्रमशील व्यक्ति कभी हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठते। वे सदैव कुछ--कुछ करते रहते हैं।
342. हाँ में हाँ मिलाना (चापलूसी करना)-स्वार्थी लोग अधिकारियों की हाँ में हाँ मिलाकर ही अपना काम निकाल लेते हैं।
343. हाथ-पाँव फूलना (भय से घबरा जाना)-ट्रेन में डाकुओं को देखकर सभी यात्रियों के हाथ-पाँव फूल गये।
344. हाथ को हाथ नहीं सूझना (बहुत अँधेरा होना)-एक तो अमावस्या की रात्रि है और दूसरे विद्युत प्रवाह भी बाधित है, हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा है, वहाँ कैसे जाऊँ ?
345. होश ठिकाने होना (अक्ल ठिकाने होना)-आपातकाल में बड़े-बड़े कालाबाजारियों के होश ठिकाने गये थे।
346. होश उड़ जाना (घबरा जाना)-सामने से शेर को आता देखकर शिकारी के होश उड़ गये।
347.हाथ के तोते उड़ जाना (हतप्रभ रह जाना)-सेल्स टैक्स अधिकारी के दल-बल को देखकर सेठ जी के हाथ के तोते उड़ गये।
348. हथियार डाल देना (हार मान लेना)-कारगिल के युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने भारत की सेना के आगे हथियार डाल दिये।

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