Friday 24 April 2020

Lakhpal Special | Lekhpal Gram Samaj Suchi | Gramin Samaj Vikas Part 2



राजस्व लेखपाल

राजस्व विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित

ग्राम समाज एवं विकास

Part 2


ग्राम विकास योजनाएँ एवं प्रबन्ध


भारत सरकार तथा विभिन्न प्रदेशों की सरकारों द्वारा ग्रामीण विकास हेतु चलायी जा रही विभिन्न विकास योजनाओं तथा उनके प्रबन्धन का विवरण निम्नवत् हैं

सांसद आदर्श ग्राम योजना:
¤ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने ११ अक्टूबर, २०१४ को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती की पूर्व संध्या पर सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की।

¤ इस योजना में यह अनुबाqन्धत है कि संसद के प्रत्येक सदस्य/सांसद को अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के एक गाँव को गोद लेना होगा और उसे एक वर्ष के भीतर आदर्श गाँव के रूप में विकसित करना होगा।

¤ लोकसभा का सदस्य मैदानी क्षेत्रों में ,०००-५००० और पर्वतीय क्षेत्रों में १०००-३००० की आबादी वाले किसी भी गाँव का चयन कर सकता है।

¤ राज्यसभा का सदस्य उस राज्य जिसका वह प्रतिनिधित्व करता है, वह किसी भी गाँव को चुन सकता है। तथापि, तो लोकसभा और ही राज्यसभा का कोई भी सदस्य अपने गाँव या अपने पति/पत्नी से सम्बन्धित गाँव का चयन नहीं कर सकते हैं। बाद में वे इस प्रयोजन के लिए दो और गाँवों का चयन करेंगे। इस तरह से वर्ष २०१९ तक कई हजार गाँवों का चयन होगा। इस उद्देश्य के लिए सांसद स्थानीय क्षेत्रीय विकास योजना (MPLADS) को केंद्र और राज्य प्रायोजित योजनाओं में मिला दिया जाएगा।

¤ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस १५ अगस्त, २०१४ को सांसद आदर्श ग्राम योजना की घोषणा की थी। श्री मोदी ने सभी सांसदों से विकास के लिए एक-एक गांव का चयन करने का आग्रह किया और कहा कि ये विकास आपूर्ति पर आधारित मॉडल के बजाय मांग और जरूरत तथा जनता की भागीदारी पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सांसद आदर्श ग्राम योजना की तीन प्रमुख विशेषताएँ होनी चाहिए - यह माँग पर आधारित हो, समाज द्वारा प्रेरित हो और इसमें जनता की भागीदारी होनी चाहिए।

¤ आदर्श ग्राम योजनावर्ष १९०३ में सर डेनियल हेमिल्टन ने सहकारिता के आधार पर ग्रामीण विकास की एक योजना बनाकर मद्रास के निकट सुन्दरम ग्राम में लागू की। इस योजना में ग्रामीण क्षेत्र के बेरोजगार युवक-कृषकों को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने पर बल दिया गया।

¤ श्री निकेतन योजनारवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा समाजशास्त्री श्री एल. एम. हर्स्त से सहयोग लेकर वर्ष १९२० में एक ग्रामीण विकास की योजना प्रारम्भ की। यह योजना प्रारम्भ में ग्रामों में शुरु की गई और बाद में इसका प्रसार १५ ग्रामों में और किया गया। लेकिन यह योजना व्यक्ति केन्द्रित होने के कारण ज्यादा दिन नहीं चल सकी और टैगोर के देहावसान के पश्चात् यह योजना भी मृतप्राय हो गई।

¤ सेवाग्रामगाँधीजी ने वर्ष १९२० में वर्धा नामक ग्राम में अपना आश्रम बनाकर सेवाग्राम नामक कल्याणकारी योजना प्रारम्भ की। अपने इस कार्यक्रम को सफल एवं प्रभावी बनाने के लिए गाँधीजी ने भारतीय ग्रामोद्योग संघ, हिन्दुस्तानी तालीम संघ, ऑल इण्डिया स्पाइनस एसोसियेशन एवं कस्तूरबा गाँधी संघ आदि स्थापित किये।

¤ सामुदायिक विकास योजनाइटावा अग्रगामी योजना से प्रेरित होकर सरकार ने एक नयी योजना अक्टूबर १९५२ में प्रारम्भ की और योजना को नाम दिया सामुदायिक विकास योजना। विशेषज्ञों का मानना था कि देश में एक ऐसा संगठन स्थापित किया जाए जिसका मुख्य उद्देश्य सर्वांगीण ग्रामीण विकास हो एवं इस उद्देश्य को प्राप्त करने में सभी देशवासियों का सहकारिता के आधार पर सहयोग हो। इस कार्यक्रम के निर्माण में तीन अमेरिकी विशेषज्ञों ने विशेष रूप से योगदान दिया। ये थेडगलस एन्सिमगर, चेस्टर बाउल्स तथा कार्लटेलर।

¤ राष्ट्रीय प्रदर्शन योजनासामान्य प्रदर्शन विधि को प्रभावशाली और योजनाबद्ध ढंग से प्रयोग करने के उद्देश्य से भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् (I.C.A.R.) द्वारा वर्ष १९६५) में प्रारम्भ की गई। ये प्रदर्शन विषय-विशेषज्ञों द्वारा लगभग एक एकड़ भूमि पर किया जाता है। भारत सरकार ने वर्ष २०००-२००१ से प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना के पाँच घटकों (प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य, ग्रामीण आवास, ग्रामीण पेयजल और पोषाहार) में से ग्रामीण पेयजल घटक को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

¤निर्मल ग्राम पुरस्कार’- सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिए भारत सरकार ने पूर्णत: स्वच्छ और खुले में मल त्याग विहीन ग्राम पंचायतों, ब्लॉकों और जिलों के लिएनिर्मल ग्राम पुरस्कारयोजना शुरू की।

¤ जवाहर रोजगार योजना इस योजना को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्व. जवाहर लाल नेहरू की जन्म शताब्दी वर्ष में १९८९- ९० में लागू किया गया था। बाद में इस योजना को अप्रैल १९९९ में जवाहर ग्राम समृद्धि योजना में सम्मिलित कर दिया गया।

¤ प्रधानमन्त्री रोजगार योजनायह योजना शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए अक्टूबर, १९९३ से प्रारम्भ की गई। इसके लिए चुने हुए आठवीं कक्षा उत्तीर्ण शिक्षित बेरोजगारों, जिनकी आयु १८ से ३५ वर्ष के बीच है तथा जिनकी पारिवारिक आय ४०,००० रुपये वार्षिक से कम है एवं जो उस क्षेत्र में पिछले तीन वर्षों से निवास कर रहे हैं, को व्यापारिक कारोबार के लिए एक लाख रुपये तक तथा अन्य गतिविधियों के लिए लाख रुपये तक तथा दो या दो से अधिक लोगों की भागीदारी वाली परियोजनाओं के लिए १० लाख रुपये तक का ऋण दिया जाता है।

¤ अप्रैल, १९९४ से प्रधानमंत्री रोजगार योजना शहरी तथा ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लागू कर दी गयी है। अप्रैल, १९९४ से शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार की योजना को भी इस योजना में ही एकीकृत कर दिया गया है। इस योजना का कार्यान्वयन उद्योग मन्त्रालय द्वारा किया जाता है।

¤ जवाहर ग्राम समृद्धि योजनायह योजना पूर्व में चल रही जवाहर रोजगार योजना का पुनर्गठित सुव्यवस्थित और व्यापक रूप थी, जो अप्रैल, १९९९ को प्रारम्भ की गई थी। इस योजना में J.R.Y के अलावा N.R.E.P. एवं R.L.E.G.P. आदि कार्यक्रमों को शामिल कर दिया गया था। सितम्बर, २००१ में `जवाहर ग्राम समृद्धि योजना' को भी `सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना' में सम्मिलित कर दिया गया है।

¤ प्रधानमन्त्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY)─दिसम्बर, २००० से १०० प्रतिशत केन्द्रीय प्रायोजित योजना के रूप में शुरु की गई पी.एम.जी.एस.वाई. का उद्देश्य दसवीं योजनावधि के अन्त तक ग्रामीण क्षेत्रों में ५०० या अधिक की जनसंख्या वाली सम्पर्क रहित बस्तियों को ग्रामीण सम्पर्क-सुविधा उपलब्ध कराना है।

¤  यह कार्यक्रम मुख्यतया केन्द्रीय सड़क निधि में डीजल उपकर के अर्जन, बहुपक्षीय वित्तपोषण एजेन्सियों और घरेलू वित्तीय संस्थाओं से वित्त पोषित है।

¤ इन्दिरा आवास योजना (IAY)─वर्ष १९८५-८६ में RLEGP की एक उपयोजना के रूप में आरम्भ की गई इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति/जनजाति तथा मुक्त बंधुआ मजदूरों को नि:शुल्क आवास उपलब्ध कराना है। १९८९-९० में RLEGP को JRY में मिला दिए जाने के बाद इस योजना को भी JRY का अंग बना दिया गया था। किन्तु वर्ष १९९६ में इसे JRY से अलग करके स्वतन्त्र योजना का रूप दिया गया है।

¤ १९९३-९४ से इस योजना के कार्यक्षेत्र में गैर-अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजाति के ग्रामीण गरीबों (गरीबी रेखा के नीचे) को भी सम्मिलित किया गया है। कुल निर्मित मकानों का प्रतिशत भाग ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीबी की रेखा के नीचे के अपंग एवं मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्तियों के लिए आरक्षित किया गया है।

¤ इन्दिरा आवास योजना के अन्तर्गत मकान का आवंटन लाभार्थी परिवार की महिला सदस्य के नाम अथवा पति-पत्नी के संयुक्त नाम पर किया जाता है।

¤ इस योजना के अन्तर्गत लाभार्थियों के चयन करने का अधिकार ग्राम सभा को है। स्वच्छ शौचालय और धुआँ रहित चूल्हा इस योजना का अभिन्न अंग है। यह योजना केन्द्र और राज्यों के बीच ७५ : २५ के आधार पर वित्त पोषित है।

¤ ग्रामीण आवास की ऋण-सह-अनुदान योजनायह योजना अप्रैल, १९९९ से आरम्भ की गई और इसमें ३२००० रुपये तक की वार्षिक आय वाले ग्रामीण परिवारों को लक्षित लाभार्थियों में सम्मिलित करने का प्रावधान है। इस योजना में अधिकतम १०,००० रुपये तक की सब्सिडी और ४०,००० तक का अधिकतम ऋण देने का प्रावधान है। इस योजना में सब्सिडी राशि में केन्द्र एवं राज्यों की हिस्सेदारी ७५ : २५ है।

¤ राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनाइसका प्रारम्भ अगले पाँच वर्षों में देश के सभी गाँवों और वासस्थलों का विद्युतीकरण करने, सभी आवासों को विद्युत उपलब्ध कराने तथा निर्धनता रेखा से नीचे (BPL) के परिवारों को नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराने के लक्ष्यों प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन िसह ने अप्रैल, २००५ को किया।

¤ बन्धक ऋण गारण्टी योजनाग्रामीण क्षेत्रों में आवासों की उपलब्धता बढ़ाने के अहम उद्देश्यों को लेकर वर्ष २००२-२००३ के बजट में सरकार द्वारा इस योजना को प्रारम्भ करने की घोषणा की गई। योजना को राष्ट्रीय आवास बैंक के माध्यम से संचालित किया जाना है। इस योजना के अन्तर्गत आवास ऋण प्राप्त करना अब
आसान हो जाएगा।

¤ हरियाली परियोजनाकेन्द्र सरकार की दो हजार करोड़ रुपये की लागत वाली जल संग्रहण से सम्बन्धित विकास योजनाओं की महत्त्वाकांक्षी बहुआयामी हरियाली परियोजना का शुभारम्भ प्रधानमंत्री ने २७ जनवरी, २००३ को किया। ग्रामीण विकास मन्त्रालय के अधीन इस परियोजना को देश की .३२ लाख पंचायतों के जरिए चलाया जाएगा। जल संरक्षण के अतिरिक्त परियोजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। सौ वृक्ष लगाने वाले व्यक्ति को वनरक्षक के रूप में नियुक्त कर उसे पंचायत के माध्यम से सौ रुपये प्रति माह का पारितोषिक प्रदान किया जाएगा।

ग्रामीण विकास योजनाएँ : महत्त्वपूर्ण तथ्य




ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा पोषित राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) का क्रियान्वयन फरवरी, २००६ को अनन्तपुर गांव से हुआ।
अनन्तपुर ग्राम आन्ध्र प्रदेश के बान्दावाली जनपद में स्थित है।
एक कल्याणकारी योजना के रूप में नरेगा के माध्यम से सरकार की पहुँच समाज के निचले तबके तक होने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
प्रत्येक जरूरतमंद व्यक्ति को राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) के अंतर्गत १०० दिन का गारंटीशुदा रोजगार देने का प्रावधान है।
बेल्जियम के अर्थशास्त्री ज्याँ द्रेज को नरेगा अधिनियम का मुख्य प्रेरणा दााोत माना जाता है।
राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) के लागू होने की तारीख फरवरी को रोजगार दिवस मनाया जाता है।
काम के लिए अनाज योजना तथा सम्पूर्ण ग्राम रोजगार योजना का आपस में विलय करके राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम का निर्माण हुआ है।
भारत में लागू नरेगा अधिनियम काम पाने के कानूनी अधिकार का सृजन करता है।
राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम को सर्वप्रथम देश के २०० पिछड़े जिलों में लागू किया गया।
द्वितीय चरण में २००७-०८ में नरेगा को देश के अन्य १३० जिलों में विस्तृत किया गया।
तृतीय चरण में अप्रैल, २००८ से यह अधिनियम देश के सभी जिलों में लागू किया गया है।
राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) का नाम परिवर्तित करके अक्टूबर, २००९ को महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) कर दिया गया है।
मनरेगा के अंतर्गत योजना का ९०ज्ञ् वित्त पोषण केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है, जबकि सम्बन्धित राज्यों का योगदान १०ज्ञ् होता है।
रोजगार पैदा करने की योजना के रूप में मनरेगा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहला कानून है।
मनरेगा योजना के माध्यम से स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार उपलब्ध कराकर, उनसे स्थानीय स्थिति के अनुसार प्राकृतिक संसाधनों को बढ़ावा देते हुए आवश्यक कार्यों को कराया जाता है।
मनरेगा योजना का क्रियान्वयन पंचायती राज संस्थाओं/पंचायतों द्वारा ही अधिकतर किया जाता है।
मनरेगा अधिनियम के अनुसार १५ दिन में मजदूरी का भुगतान अनिवार्य है तथा 33% महिलाओं का कार्य में नियोजन होना भी अनिवार्य है।
मनरेगा अधिनियम के अंतर्गत कार्य स्थल पर पेयजल बच्चों के लेटने खेलने की व्यवस्था, मरहम पट्टी इत्यादि तत्काल की आवश्यक वस्तुओं की सुविधा होना भी अनिवार्य है।
मनरेगा एक अधिकार आधारित कार्य योजना है, इसमें कार्य में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है।
मनरेगा में तीस नये कार्यों को मई, २०१२ को अधिसूचित संशोधन द्वारा जोड़ा गया है।
नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) और राज्य सरकारों की सिफारिश के मद्देनजर मनरेगा को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए इसके प्रावधानों में संशोधन का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया है।
मनरेगा में हुये प्रमुख संशोधनों में अब कार्य के आधार पर मजदूरी का भुगतान होगा, मजदूरी भुगतान में देरी  सम्बन्धित अधिकारी से वसूली तथा फार्म मिलने पर बेरोजगारी भत्ता देने की अनिवार्यता।
मनरेगा कर्मियों के भुगतान हेतु सितम्बर, २०१२ को केंद्र सरकार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक फण्ड मैनेजमेंट प्रणाली (EFMS) की शुरुआत की गयी।
२६ फरवरी, २०१४ को केन्द्र सरकार के आदेश द्वारा आदिवासियों के लिए १५० दिन का रोजगार मनरेगा के अंतर्गत देने की स्वीकृति की गयी।
१००ज्ञ् केंद्र वित्तपोषित `प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना' २५ दिसम्बर२००० को लागू की गयी।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में सड़क सम्पर्क से वंचित गाँवों को बारहमासी सड़कों से जोड़े जाने का प्रावधान है।
ग्रामीणों के आवास हेतु १९८५-८६ में गरीबी की रेखा से नीचे रहने वालों को नये मकान बनाने या सुधार करने के लिये (इंआयो) इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत मदद दी जा रही है।
इंदिरा आवास योजना में केंद्र राज्यों का वित्त अनुपात ७५ : २५ का है, मगर पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह अनुपात ९० : १० का होता है।
इंदिरा आवास योजना में मैदानी क्षेत्रों के लिये ७०,००० पर्वतीय तथा दुरूह क्षेत्रों के लिए ७५,००० रुपये निर्धारित किये गये हैं।
स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एस.जी.एस.वाई.) का प्रवर्तन  अप्रैल, १९९९ को ग्रामीण गरीबों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से हुआ।
स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के रूप में पुनर्गठित किया गया जिसका नाम बदलकर अब `आजीविका' कर दिया गया है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एस.जी.एस.वाई. को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के रूप में पुनर्निर्धारित किया है।
एस.जी.एस.वाई. का मुख्य उद्देश्य है, कौशल विकास को बढ़ावा, ग्रामीण गरीबों की आर्थिक स्थिति में सुधार, प्रत्येक गरीब ग्रामीण को गरीबी से निकाल कर एक बेहतर योग्य जीवन देने की व्यवस्था करना।
भारतीय संविधान के अनु. ४१ के प्रावधानों के पालनार्थ १९९५ में राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम को प्रारम्भ किया गया।
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के अंतर्गत अन्नपूर्णा योजनाराष्ट्रीय पेंशन योजना, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय वृद्धा पेंशन योजना शामिल है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के द्वारा १९ फरवरी, २००९ को प्रवर्तित इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के अंतर्गत ६० से ७९ वर्ष के व्यक्तियों को २०० रु. तथा ८० वर्ष की आयु के ऊपर के व्यक्तियों को ५०० रु. मासिक पेंशन दी जाती है।
इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली ४० से ५९ वर्ष की आयु की विधवाओं को २०० रुमासिक पेंशन दी जाती है।
राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना अंतर्गत गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन कर रहे परिवारों में १८ से ६४ वर्ष के कमाऊ सदस्य की मृत्यु हो जाने पर १०,००० रु. में एकमुश्त दिये जाने का प्रावधान है।
अन्नपूर्णा योजना में वृद्धावस्था पेंशन से वंचित वृद्ध व्यक्तियों को प्रत्येक माह १० किग्रा. अनाज दिया जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधायें (पुरा) योजना को २००४-०५ में तीन वर्षों के लिए उत्तर प्रदेश आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, महाराष्ट्रउड़ीसा, राजस्थान में लागू किया गया।
पुरा योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधायें और आजीविका के साधन उपलब्ध कराना है।
जन सहयोग और ग्रामीण प्रौद्योगिकी विकास परिषद (कपार्ट) की स्थापना १९८६ में ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था के रूप में की गयी।
कापार्ट का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण परियोजनाओं का क्रियान्वयन करने में मदद करना है, इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है, इसकी नौ प्रादेशिक समितियाँ भी हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल १९८६ में प्रारम्भ किया गया तथा १९९१ में इसका नाम बदलकर राजीव गाँधी पेयजल मिशन कर दिया गया।
भारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता एवं सफाई हेतु १९८६ में पूर्ण स्वच्छता अभियान (T.A.AC) की शुरुआत की गयी।
स्थानीय पंचायत संस्था द्वारा अपने क्षेत्र में सभी लोगों को शौचालय सुविधा उपलब्ध कराने के एवज में निर्मल ग्राम पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
निर्मल ग्राम पुरस्कार को जून २००५ में प्रारम्भ किया गया, यह सामूहिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने वाला पुरस्कार भी कहा जाता है।
राष्ट्रीय -गवर्नेंस परियोजना भारत सरकार द्वारा २००६ में शुरू की गयी।
-गवर्नेंस परियोजना के अंतर्गत ही -पंचायत व्यवस्था को अपनाया गया।
देश के पंचायती राज संस्थानों से सम्बद्ध सॉफ्टवेयर का नाम `प्रिया' है।
२०१२ से २०१७ की बारहवीं योजना अवधि में राजीव गाँधी पंचायत सशक्तिकरण नामक नई योजना चलाने का निर्णय लिया गया है।
भू-अभिलेखों को अद्यतन बनाने हेतु भारत सरकार द्वारा १००ज्ञ् वित्त पोषित ``भू-अभिलेख कम्प्यूटरीकरण योजना'' को १९८८-८९ में प्रारम्भ किया गया।
१५ अगस्त, १९४७ को देश की स्वतंत्रता के पश्चात् प्रथम बार `सांसदों' के नाम से ``सांसद आदर्श ग्राम योजना'' नामक विकास योजना की शुरुआत हुई।
■ `सांसद आदर्श ग्राम योजना' की घोषणा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा १५ अगस्त, २०१४ को की गयी।
जय प्रकाश नारायण (जे. पी.) की जयंती की पूर्व संध्या पर ११ अक्टूबर, २०१४ को इस योजना की शुरुआत की गयी।
सांसद आदर्श ग्राम योजना अंतर्गत सांसद द्वारा `गोद' लिये गये गांव का समग्र क्षेत्र में विश्वस्तरीय विकास नियत समय सीमा में किया जाना है।




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